अजमेर : उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी मे विकसित भारत 2047 में उच्च शिक्षा भूमिका पर संवाद करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति किसी सरकार की नहीं है. ये नीति राष्ट्र के विकास के लिए मिली है, हमें इसे लागू करना चाहिए. हमारे लक्ष्य हमारा राष्ट्रवाद हैं. हमारे भारत को कोई सुई भी लगाएगा तो 140 करोड़ को दर्द होगा.
नाम लिए बिना उन्होंने राहुल गांधी के बयान पर हमला बोलते हुए कहा कि कुछ भटके हुए लोग भारतीय संविधान की शपथ के बाद भी राष्ट्रवाद को दूर रख रहे हैं. भारत मां को लहूलुहान करना चाहते हैं, जबकि हमारा लक्ष्य राष्ट्रवाद है. दुखद विषय है हम में से कुछ भटके हुए लोग हैं. संवैधानिक पद पर रहते हुए भारत मां को लहूलुहान करना चाहते हैं.
मेरा आह्वान है भारतीय देश से बाहर कदम रखता है तो वह देश के राजदूत के रूप में अपनी पहचान रखता है. उदाहरण के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी को देखिये. हमारी विचारधारा अलग हो सकती है. हम अलग अलग संगठन से हो सकते हैं. लेकिन हमारा राष्ट्रवाद एक होना चाहिए. हमें देश के लिए हमेशा एक होना चाहिए. शिक्षा ही है जो देश को बदल रहा है.
देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री जैसे बड़े दिग्गज इसी समाज के बीच से आए हैं. उच्च शिक्षा का एक अलग ही महत्व होता है. हर दिन कुछ ना कुछ सीखने का होता है. शिक्षा ही आज के सामाजिक परिदृश्य को बदल रहा है. शिक्षा के जरिये ही बदलाव संभव है, शिक्षा ही समानता लाती है. बिना शिक्षा के प्रचार के विकसित भारत मुमकिन नहीं है. रोजाना सीखने के लिए एक नया दिन है. हम अधिकारों की तो बात करते हैं लेकिन कर्तव्यों पर ध्यान देना जरूरी नहीं समझते.
उप राष्ट्रपति ने आगे कहा कि कितनी बहनों ने अपने भाई खोये हैं, कितनी माताओं ने बेटे खोये हैं. तब जाकर हमें आजादी मिली है. आज भी बॉर्डर पर सेना के जवान खड़े हैं, इसलिए हम चैन से सो रहे हैं. कुछ लोग देश के बाहर जाकर संविधान की शपथ भूल गए, हम उन्हें समझाएंगे. हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए, कभी ना कभी तो बदलाव आएगा. ये बदलाव कब आएगा जब हम उन लोगों को गलत करने पर टोकेंगे.
आज रोजगार के साधन बढ़ रहे हैं, पर आपको जानकारी नहीं है. हम सिर्फ सरकारी नौकरी को ही रोजगार समझ रहे हैं. लेकिन अब कई साधन हैं रोजगार के. वहीं उप राष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने कुलपति को कहा कि आपके सभी विद्यार्थियों को मैं आमंत्रित करता हूं, आप दिल्ली आएं पार्लियामेंट को देखें, भारत मंडपम का अलोकन करें. प्रधानमंत्री संग्रहालय देखने योग्य है. जिसमें पहले प्रधानमंत्री से आज तक प्रधानमंत्री का इतिहास लिखा है.