जयपुरः राजस्थान विधानसभा में आज उस समय भारी हंगामा हो गया जब नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली को प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवाल पूछने की अनुमति नहीं दी गई. स्पीकर के इस निर्णय से नाराज कांग्रेस विधायकों ने वेल में आकर जोरदार नारेबाजी की और सरकार के खिलाफ विरोध जताया. यह विवाद खानपुर क्षेत्र से जुड़े अपराधों के एक सवाल को लेकर शुरू हुआ. हंगामे के कारण तीन बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी .
राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र में पहली बार प्रश्नकाल के दौरान ही सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. प्रश्नकाल में क़रीब पच्चीस मिनट का ही समय ही हुआ था. तब कांग्रेस विधायक सुरेश गुर्जर द्वारा पूछे गए प्रश्न पर गृह राज्य मंत्री उत्तर दे रहे थे. उनके उत्तर के बाद नेता प्रतिपक्ष जूली पूरक प्रश्न पूछना चाहते थे, लेकिन स्पीकर ने उन्हें अनुमति देने से इनकार कर दिया. स्पीकर ने कहा, “खानपुर में आपका क्या लेना देना? प्रदेश का मामला हो तो पूछिए.” इस टिप्पणी पर कांग्रेस विधायकों का गुस्सा फूट पड़ा और वे वेल में आकर हंगामा करने लगे.
हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही पहले 12 बजे तक स्थगित की गई. जब कार्यवाही पुनः शुरू हुई, तब भी कांग्रेस विधायक नारेबाजी करते रहे. इस कारण स्पीकर ने एक बार फिर 12:05 बजे कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. इस दौरान शून्यकाल के मुद्दों और बोलने वाले विधायकों की सूची भी स्पीकर ने पढ़ी, लेकिन हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा था. इस बीच टीकाराम जूली ने मीडिया से बातचीत में कहा, “अगर आपको टीकाराम जूली से दिक्कत है, तो मत बोलने दो, लेकिन मैं नेता प्रतिपक्ष हूं, मेरा भी मान-सम्मान है.” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इससे पहले 8 सितंबर को जब सदन में बिल पारित हो रहा था, तब भी कांग्रेस के कई विधायकों को बोलने नहीं दिया गया. जूली ने कहा कि यह विपक्ष का संवैधानिक अधिकार है कि वह सदन में सरकार से जवाब मांगे और मुद्दे उठाए.
इस घटनाक्रम ने सदन के माहौल को गरमा दिया है और विपक्ष ने इसे लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन करार दिया है. सदन की कार्यवाही स्थगन के दौरान स्पीकर के कक्ष में विपक्ष से बातचीत हुई. मुख्यमंत्री भजनलाल भी इस दौरान स्पीकर के कक्ष में रहे. इसके बाद जब विधानसभा की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो सरकार की तरफ़ से संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम ने सदन में कहा कि सदन की परंपरा कायम रहेगी और नेता प्रतिपक्ष प्रश्न पूछ सकेंगे.
अक्सर यह सदन की कार्यवाही के दौरान परंपरा रही है कि प्रश्नकाल में नेता प्रतिपक्ष कभी भी पूरक प्रश्न पूछ सकते है. पहले भी टीकाराम पूरक प्रश्न पूछते रहे है, लेकिन आज अचानक स्पीकर में पूरक प्रश्न की इजाजत नहीं दी, जिसके करना प्रश्नकाल भी पूरा नहीं हो सका.