जयपुर: विदेशी परिंदों के कलरव से गुंजायमान सांभर झील एक बार फिर से परिंदों की कब्रगाह साबित हो रही है. इस बार एवियन बोच्यूलिज्म रोग से परिंदों की अकाल मौत हो रही है, जिसके बाद जगह-जगह पर मृत देशी-विदेशी परिंदे नजर आ रहे हैं.
साल 2019 में सर्दियों की दस्तक के साथ सांभर झील एकाएक चर्चा में आई थी. देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सांभर झील में घटे घटनाक्रम पर चर्चा और शोध शुरू हुए थे. क्योंकि तब अकेले सांभरलेक में हजारों की तादात में विदेशी पक्षियों की मौत हुई थी. उस दौरान शोध में सामने आया था कि मौत की वजह एवियन बोच्यूलिज्म था. वहीं, कुछ विशेषज्ञों ने नमक की अधिकता को भी मौत का जिम्मेदार माना था. वैसा ही मंजर पांच साल बाद फिर से सांभर झील में लौटता दिख रहा है. पिछले एक सप्ताह में झील में आए देशी-विदेशी परिंदों की एकाएक हो रही मौत हो रही है. इस बार भी पक्षियों की मौत के पीछे एवियन बोच्यूलिज्म रोग सामने आया है.
--- क्या है एवियन बोच्यूलिज्म रोग ---
यह बीमारी, क्लॉस्ट्रिडीयम बॉटुलिनम नामक बैक्टीरिया के ज़हर की वजह से होती है. लक्षणों की बात करें तो जीव को निगलने या बोलने में कठिनाई, धुंधली दृष्टि, अस्पष्ट वाणी, चेहरे की कमजोरी और लकवा शामिल हैं. चिकित्सकों की मानें तो जब पक्षी की मौत होती है और वह गलने लगता है तो बैक्टीरिया की सहायता से कीड़े पड़ते हैं और उनको खाने से दूसरे पक्षी या पशु में फैलती है. इस बीमारी की रोकथाम के लिए मृत पक्षी को जलाया जाता है ताकि बैक्टीरिया आगे ना फैल सकी. बताया जा रहा है कि वर्ष 2019 में सांभर झील में हजारों पक्षियों की एवियन बोच्यूलिज्म रोग से मौत हुई थी. पांच साल बाद फिर से बैक्टीरिया को अनुकूल वातावरण मिता तो बैक्टीरिया फिर से एक्टिव हो सकते हैं. इसी के चलते देशी-विदेशी पक्षियों की मौत हो रही है.
सांभर झील में अभी तो विदेशी परिंदों का आना शुरू हुआ है और आगामी दो माह के भीतर हजारों प्रवासी पक्षी यहां डेरा डालेंगे. गत 26 अक्टूबर को इस रोग का पहला पक्षी मिला था. उसके बाद संख्या तेजी से बढ़ती रही. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर बरेली में जांच के दौरान एवियन बोच्यूलिज्म रोग की पुष्टि हुई. इसके बाद से विभाग और सतर्क हो गया. एवियन बोच्यूलिज्म रोग को पूर्ण रूप से खत्म करने के लिए झील में मृत पक्षियों को निकालने और जलाने का काम किया जा रहा है. झील में अब तक ब्लैक विंग स्टील्ट, सेंड पाइपर, नॉर्दन शावलर, कामन सैंडपाइपर आदि प्रजातियों के पक्षियों की मौत हो चुकी है.
सांभर झील एवियन बोच्यूलिज्म रोग से हजारों पक्षियों की मौत का दर्द झेल चुका है और इसीलिए अब सतर्कता बरती जा रही है. सांभर झील अजमेर, डीडवाना-कुचामन और जयपुर जिले की सीमा से मिलती है. ऐसे में सभी जगह जांच की जा रही है कि कहीं कोई पक्षी इस रोग की चपेट में तो नहीं. उधर, जिला प्रशासन, पशुपालन विभाग, वन विभाग सहित अन्य संबंधित विभागों की करीब 10 टीम झील में काम कर रही है. एनडीआरएफ भी सहयोग कर रही है. अभी तक 150 मृत पक्षियों को जलाया जा चुका है. रोग से प्रभावित पक्षियों को रेस्क्यू सेंटर लाकर उपचार भी हो रहा है.