फसल बीमा योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर, संगठित गिरोह ने किसानों के नाम पर उठाए क्लेम, देखिए खास रिपोर्ट

जोधपुर {राजीव गौड़}: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राजस्थान में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. पूरे प्रदेश में सैकड़ों किसानों की जमीन पर फर्जी बंटाईदार बनाकर बीमा करवाया गया और फिर फसलों का झूठा नुकसान दिखाकर करोड़ों रुपए के क्लेम उठाए गए. चौंकाने वाली बात यह है कि असली किसानों को इस ठगी की भनक तक नहीं लगी. कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के अनुसार, अब तक 122 करोड़ रुपए से अधिक के फर्जी क्लेम का मामला सामने आ चुका है.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में जिस रूप में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है उसके चलते,पड़ताल में सामने आया कि यह ठगी एक संगठित गिरोह द्वारा की गई, जिसने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की खामियों का फायदा उठाया. जनसेवा केंद्रों, कृषि विभाग, राजस्व विभाग और बीमा कंपनियों की मिलीभगत के बिना इतने बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा संभव नहीं था. गिरोह ने ऐसे किसानों को निशाना बनाया जिनके पास बड़ी जमीनें थीं, लेकिन जिन्होंने कभी बैंक से कृषि लोन नहीं लिया था. ऐसे किसानों की जमीन पर फर्जी बंटाईदार बनाकर बीमा करवाया गया और नुकसान दिखाकर क्लेम उठा लिए गए.जोधपुर के बावड़ी क्षेत्र में किसान डूंगरराम की 4.45 हेक्टेयर जमीन पर किसी और ने गेहूं की फसल का बीमा क्लेम उठाया, जबकि वह जमीन असिंचित है और वहां गेहूं की फसल होती ही नहीं. इसी तरह रामदीन नामक किसान, जिसकी मौत कई साल पहले हो चुकी थी, उसकी जमीन पर भी फर्जी दस्तावेज बनाकर लाखों रुपए का क्लेम उठा लिया गया. किसानों की आंख तब खुली जब,इस बार भारी बारिश के कारण जब किसान बीमा करवाने जनसेवा केंद्रों पर पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि उनकी जमीन पर पहले से बीमा हो रखा है और पिछले तीन सालों से क्लेम भी उठाए जा रहे हैं. 

जोधपुर, बीकानेर, पाली, नागौर, झालावाड़, और श्रीगंगानगर जिलों में ऐसे सैकड़ों मामले सामने आए हैं. कुछ मामलों में FIR दर्ज की गई है, जबकि कई किसान मौखिक शिकायतें कर रहे हैं.फर्जीवाड़े की जड़ जनसेवा केंद्रों से शुरू हुई. गिरोह ने किसानों की जमीन पर फर्जी बंटाईदार बनाकर स्टांप पेपर पर झूठे इकरारनामे तैयार किए और उन्हें पोर्टल पर अपलोड कर दिया. किसी भी स्तर पर इन दस्तावेजों का फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं हुआ. इसके बाद राजस्व विभाग के अधिकारी और बीमा कंपनी के एजेंट्स ने भी जांच के बिना क्लेम पास कर दिए.भारतीय किसान संघ के बावड़ी ब्लॉक अध्यक्ष मुकनाराम छापरिया ने बताया कि 2024 में बावड़ी ब्लॉक में 1.63 करोड़ रुपए का गेहूं क्लेम उठाया गया, जबकि उस क्षेत्र में गेहूं की खेती होती ही नहीं. इसी तरह खरीफ 2024 में 93 लाख रुपए का मोठ फसल का क्लेम किया गया, जबकि वहां मूंग, बाजरा और कपास की खेती होती है. इस साल भी तिल की फसल पर झूठे क्लेम किए जा रहे हैं, जबकि उस इलाके में तिल की बुवाई नहीं होती.फसल बीमा के जॉइंट डायरेक्टर जगदेव सिंह ने कहा कि राज्य में हर साल करीब 3.75 करोड़ बीमा पॉलिसियां बनती हैं, जिनमें से अधिकांश बैंक के माध्यम से होती हैं. बाकी किसान स्वयं जनसेवा केंद्रों के जरिए बीमा करवाते हैं. उन्होंने कहा कि यदि बंटाईदार गलत पाए गए हैं, तो जिम्मेदारी बीमा कंपनी की है, क्योंकि वेरिफिकेशन का काम वही करती है.किसानों और किसान संगठनों ने इस बड़े घोटाले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. उनका कहना है कि जब तक जनसेवा केंद्रों, पटवारियों और बीमा कंपनियों की मिलीभगत की जांच नहीं होगी, तब तक असली दोषियों तक पहुंचना संभव नहीं होगा. सरकार ने फिलहाल एफआईआर दर्ज मामलों की जांच शुरू कर दी है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है.यह फसल बीमा घोटाला न केवल किसानों की मेहनत पर डाका है, बल्कि यह सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है.