जयपुर: सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी के त्योहार का खास महत्व है. विनायक को समृद्धि और बुद्धि का देवता माना जाता है. गणेश चतुर्थी का त्योहार भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. भगवान गणेश को प्रथम देव माना जाता है. किसी भी शुभ काम को शुरू करने से पहले लंबोदर की पूजा की जाती है. इस साल 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर – जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाया जाएगा और बप्पा के भक्त गणपति की प्रतिमा को घर में लाकर उनकी भक्ति भाव से पूजा करेंगे. इस साल गणेश चतुर्थी का उत्सव 7 सितंबर से शुरू होगा, जबकि गणेश विसर्जन 17 सितंबर, 2024 के दिन किया जाएगा. इस दिन ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है और चित्रा नक्षत्र के साथ गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा. हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल की चतुर्थी से देशभर में गणेश चतुर्थी पर्व का शुभारंभ हो जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से 10 दिनों तक चलता है. इस दौरान भक्त बप्पा को अपने घर लाते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को विदा कर देते हैं. ग्रह गोचर और त्योहारों पर कई शुभ योग बनते हैं.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाता है. गणेश महोत्सव का पर्व चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर अगले 10 दिनों तक चलता है. वहीं अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश को विदा किया जाता है. इस बार उदया तिथि के आधार पर 7सितंबर को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाने वाला है. माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए. इससे श्राप लगता है. वहीं गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए.
गणेश चतुर्थी तिथि
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी के पर्व का विशेष महत्व होता है. वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 6 सितंबर की दोपहर को 03:01 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन अगले दिन 7 सितंबर की शाम 05:37 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, गणेश चतुर्थी का शुभारंभ शनिवार 7 सितंबर से होगा. इसी दिन गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना होगी और व्रत रखा जाएगा और 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत 7 सितंबर को रहेगी.
शुभ योग
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल गणेश चतुर्थी पर बहुत से शुभ योग भी बन रहे हैं. इस दिन चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, ब्रह्म योग, इंद्र योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होगा. इस दिन चित्रा नक्षत्र दोपहर 12:34 मिनट तक रहेगा. इसके बाद स्वाति नक्षत्र लगेगा. इसके साथ ही इस दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेंगे. सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 12:34 मिनट से 8 अगस्त की सुबह 6:15 मिनट तक रहेगा..
शुभ मुहूर्त
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी की पूजा और मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11:03 मिनट से लेकर दोपहर के 01:34 मिनट तक रहेगा. इस प्रकार 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी की पूजा और मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त 2 घंटे 31 मिनट तक रहेगा. इस दौरान भक्तजन गणपति बप्पा की पूजा अर्चना कर सकते हैं.
गणेश विसर्जन तिथि
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार गणेश चतुर्थी पर्व का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है. साथ ही इसी दिन बप्पा को श्रद्धापूर्वक विदा किया जाता है. पंचांग के अनुसार गणेश विसर्जन 17 सितंबर 2024 को किया जाएगा.
महत्व
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना गया है. किसी भी शुभ और मांगलिक कार्यक्रम में सबसे पहले गणेशी जी वंदना और पूजा की जाती है. भगवान गणेश बुद्धि, सुख-समृद्धि और विवेक का दाता माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में दोपहर के प्रहर में हुआ था. ऐसे में गणेश चतुर्थी के दिन पर अगर आप घर पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करने जा रहे है तो दोपहर के शुभ मुहूर्त में करना होता है. गणेश चतुर्थी तिथि लेकर अनंत चतुर्दशी तक यानी लगातार 10 दिनों तक विधि-विधान के साथ गणेश जी की पूजा उपासना किया जाता है. गणेश जी की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी तरह की बाधाएं और संकट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
पूजा विधि
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान मे रखकर सबसे पहले अपने घर के उत्तर भाग, पूर्व भाग, अथवा पूर्वोत्तर भाग में गणेश जी की प्रतिमा रखें. फिर पूजन सामग्री लेकर शुद्ध आसन पर बैठें. पूजा सामग्री में दूर्वा, शमी पत्र,लड्डू, हल्दी, पुष्प और अक्षत से ही पूजन करके गणेश जी को प्रसन्न किया जा सकता है. गणेश जी की आराधना केवल दूर्वा से भी की जा सकती है. सर्वप्रथम गणेश जी को चौकी पर विराजमान करें और नवग्रह, षोडश मातृका आदि बनाएं. चौकी के पूर्व भाग में कलश रखें और दक्षिण पूर्व में दीया जलाएं. अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ॐ पुंडरीकाक्षाय नमः कहते हुए भगवान विष्णु को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें तथा माथे पर तिलक लगाएं. यदि आपको कोई भी मंत्र नहीं आता तो ‘ॐ गं गणपतये नमः. इसी मंत्र से सारी पूजा संपन्न कर सकते हैं. हाथ में गंध अक्षत और पुष्प लें और दिए गए मंत्र को पढ़कर गणेश जी का ध्यान करें. इसी मंत्र से उन्हें आवाहन और आसन भी प्रदान करें. पूजा के आरंभ से लेकर अंततक अपने जिह्वा पर हमेशा ॐ श्रीगणेशाय नमः. ॐ गं गणपतये नमः. मंत्र का जाप अनवरत करते रहें. आसन के बाद गणेश जी को स्नान कराएं. पंचामृत हो तो और भी अच्छा रहेगा और नहीं हो तो शुद्ध जल से स्नान कराएं. उसके बाद वस्त्र, जनेऊ, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि जो भी संभव यथाशक्ति उपलब्ध हो उसे चढ़ाएं. पूजा के पश्चात इन्हीं मंत्रों से गणेश जी की आरती करें. पुनः पुष्पांजलि हेतु गंध अक्षत पुष्प से इन मंत्रों ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात्. से पुष्पांजलि अर्पित करें, तत्पश्चात गणेश जी की तीन बार प्रदक्षिणा करें.