जैसलमेर : राजस्थान की स्वर्णनगरी जैसलमेर जहां इतिहास की दीवारों के बीच अब भविष्य की रफ्तार दौड़ने को तैयार है.जी हां, जैसलमेर रेलवे स्टेशन अब एक नए रूप में सामने आ रहा है- भव्यता, आधुनिकता और स्थानीय स्थापत्य कला का अद्भुत संगम.करीब 140 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रहा यह स्टेशन, अब केवल एक यात्री पड़ाव नहीं, बल्कि जैसलमेर की सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान का नया केंद्र बन चुका है.रेल मंत्रालय की ‘आधुनिक भारत – आधुनिक स्टेशन’ योजना के तहत इसका कायाकल्प किया गया है, और अब यह स्टेशन वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से लैस होकर यात्रियों का स्वागत करने को तैयार है.तो आइए, देखते हैं कि कैसा दिखेगा वो जैसलमेर रेलवे स्टेशन- जो सुनहरी धरोहर से सुनहरे भविष्य की ओर एक नई यात्रा की शुरुआत है.
राजस्थान की स्वर्णनगरी जैसलमेर जहां हर दीवार में इतिहास है, हर रास्ता विरासत की कहानी सुनाता है. अब इस विरासत में एक और चमकदार अध्याय जुड़ने जा रहा है- जैसलमेर रेलवे स्टेशन का नया रूप. करीब 140 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा जैसलमेर रेलवे स्टेशन अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है. भारतीय रेलवे की "आधुनिक भारत- आधुनिक स्टेशन" योजना के तहत इस भव्य परियोजना को अंजाम दिया जा रहा है.90 फीसदी से अधिक कार्य पूरा हो चुका है और अब यह स्टेशन केवल एक ट्रांजिट पॉइंट नहीं, बल्कि थार की पहचान, संस्कृति और व्यापारिक भविष्य का प्रवेश द्वार बन रहा है. यह सिर्फ एक निर्माण नहीं, बल्कि एक सोच है. एक सपना है, जिसमें आधुनिकता और परंपरा एक साथ कदमताल कर रहे हैं.
नए जैसलमेर स्टेशन की सबसे खास बात है- इसका डिज़ाइन. यह स्टेशन भले ही अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित हो, लेकिन इसकी आत्मा में जैसलमेर की स्थापत्य कला बसती है.पीले बलुआ पत्थर की दीवारें, राजस्थानी झरोखे, खूबसूरत गुंबदों वाली छतरियां, और पत्थरों पर की गई महीन नक्काशी – यह सब स्टेशन को एक भव्य ऐतिहासिक भवन का रूप देते हैं.मुख्य स्टेशन भवन से लेकर प्लेटफॉर्म, फुटओवर ब्रिज, टिकट काउंटर और वेटिंग हॉल तक – हर कोना स्थानीय कारीगरी और वास्तुशिल्प कला का उदाहरण है.इस पुनर्विकास में ग्रीन बिल्डिंग की अवधारणा को अपनाया गया है. सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन, और ऊर्जा संरक्षण तकनीकों का उपयोग कर इसे पर्यावरण के अनुकूल बनाया गया है.दिव्यांगजनों के लिए विशेष रैंप, लिफ्ट, एस्केलेटर, डिजिटल डिस्प्ले, VIP वेटिंग रूम और महिलाओं के लिए अलग विश्राम गृह – यह स्टेशन हर वर्ग के यात्री की ज़रूरत को ध्यान में रखकर बनाया गया है.
जहां एक समय जैसलमेर स्टेशन को सीमांत क्षेत्र का एक छोटा स्टेशन माना जाता था, वहीं अब इसकी तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है.यह स्टेशन अब यात्रियों को देगा एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं – जैसे आधुनिक वेटिंग हॉल, स्मार्ट टिकट वेंडिंग मशीनें, वाईफाई जोन, और पूरी तरह से सीसीटीवी निगरानी से युक्त परिसर. स्टेशन के हर प्लेटफॉर्म पर साफ-सुथरे टाइल्स, आरामदायक बैठने की व्यवस्था, शेड्स, और पर्याप्त LED लाइटिंग लगाई गई है ताकि दिन हो या रात, यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो.स्टेशन के बाहर अब नई पार्किंग सुविधा, पिक-एंड-ड्रॉप ज़ोन, और ऑटो-टैक्सी स्टैंड को भी व्यवस्थित किया गया है. इससे न केवल ट्रैफिक प्रबंधन आसान होगा बल्कि पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों के लिए भी सुगमता बढ़ेगी.इतना ही नहीं, सोलर एनर्जी बेस्ड पॉवर प्लांट से स्टेशन की बिजली ज़रूरतें पूरी की जाएंगी, जिससे यह स्टेशन खुद में आत्मनिर्भर बन सकेगा.
स्थानीय कारीगरों की भूमिका और जैसलमेर की भागीदारी
इस स्टेशन का कायाकल्प केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार नहीं है, यह जैसलमेर के स्थानीय कौशल और कारीगरों की मेहनत का परिणाम है.इस पुनर्निर्माण में स्थानीय पत्थर कारीगरों, राजमिस्त्रियों, लोहारों, और लकड़ी के कलाकारों को सीधे तौर पर जोड़ा गया है. इससे न केवल उन्हें आर्थिक लाभ मिला है, बल्कि उनकी कला को भी नया मंच मिला है.प्रोजेक्ट में काम करने वाले अधिकतर मजदूर जैसलमेर व आसपास के गांवों से ही हैं. इस तरह यह स्टेशन स्थानीय रोजगार का भी माध्यम बना है.रेलवे ने स्थानीय पर्यटन संगठनों और प्रशासन के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया है कि स्टेशन का हर हिस्सा थार के रंग और रूह को दर्शाए.
आर्थिक और पर्यटन प्रभाव
जैसलमेर एक ऐसा शहर है, जो अपने किले, हवेलियों और रेतीले धोरों के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है. हर साल यहां लाखों सैलानी आते हैं. ऐसे में एक आधुनिक और सुंदर रेलवे स्टेशन इस शहर की पहली छाप को और बेहतर बनाएगा.ट्रेन से आने वाले पर्यटक अब स्टेशन पर उतरते ही थार की भव्यता और आतिथ्य का अनुभव करेंगे. इससे जैसलमेर की टूरिज्म इंडस्ट्री को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा.बेहतर कनेक्टिविटी और सुविधाओं के कारण अब देश के बड़े शहरों से और नई ट्रेनों की शुरुआत की संभावनाएं भी बढ़ेंगी, जिससे व्यापार और निवेश के नए अवसर बनेंगे.स्थानीय होटल व्यवसाय, टैक्सी सेवा, हस्तशिल्प व्यवसाय और रेगिस्तान सफारी जैसे सेवाओं को भी नई जान मिलेगी.यह स्टेशन अब केवल एक ढांचा नहीं, बल्कि जैसलमेर के भविष्य की नींव बन चुका है.
जोधपुर जॉन के रेलवे के DRM अनुराग त्रिपाठी ने इस परियोजना पर बात करते हुए कहा:
“जैसलमेर रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास कार्य लगभग 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है. हमारा प्रयास रहा है कि यह स्टेशन केवल एक यात्री ठहराव न रह जाए, बल्कि जैसलमेर की पहचान का हिस्सा बने. हमने स्थानीय स्थापत्य को शामिल करते हुए यात्रियों के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं दी हैं. आने वाले महीनों में शेष तकनीकी कार्य जैसे सिग्नलिंग और इंटीरियर को भी पूरा कर लिया जाएगा. हमारा लक्ष्य है कि यह स्टेशन दिसंबर 2025 या जनवरी 2026 तक पूरी तरह से यात्रियों के लिए खोल दिया जाए.”
जैसलमेर स्टेशन अब किसी परिचय का मोहताज नहीं रहा. यह अब राजस्थान के सबसे खूबसूरत रेलवे स्टेशनों में गिना जाएगा.बचे हुए कार्यों में मुख्यतः इंटीरियर डेकोरेशन, डिजिटल सिग्नलिंग, और सुरक्षा फीचर्स का समावेश किया जा रहा है. रेल मंत्रालय के मुताबिक, स्टेशन का उद्घाटन इस साल के अंत या नए साल की शुरुआत में किया जाएगा.जैसलमेर का रेलवे स्टेशन अब केवल एक संरचना नहीं, बल्कि थार की सांस्कृतिक आत्मा और आधुनिक भारत की तस्वीर बन चुका है.यह स्टेशन यात्रियों के स्वागत के लिए तैयार है. भव्यता के साथ, सुविधा के साथ, और गर्व के साथ क्योंकि अब जैसलमेर सिर्फ ‘स्वर्णनगरी’ नहीं, ‘वर्ल्ड क्लास रेलवे सिटी’ बन चुकी है.