अजमेर: विवादित ढांचे कि पहली बरसी पर देश के 6 बड़े शहरों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में अजमेर की विशेष डेजिग्नेटेड टाडा कोर्ट ने 31 साल बाद अपना फैसला सुनाते हुए मास्टरमाइंड अब्दुल करीम टुंडा को सभी आरोपों से बरी करते हुए बाकी दो आरोपियों को उम्र कैद कि सजा सुनाई है. टाडा कोर्ट के फैसले से अभियोजन पक्ष को बड़ा झटका लगा है जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट में अपील कि जाएगी.
टाडा मामलों की सुनवाई कर रही अजमेर कि डेजिग्नेटेड कोर्ट ने 1993 को हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए सीबीआई को तगड़ा झटका दिया है. बम धमाकों के मास्टरमाइंड आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को सभी आरोपों से बरी कर दिया है. टुंडा के खिलाफ टाडा एक्ट कि धारा 3 और 5 सहित आईपीसी कि विभिन्न धाराओं, रेलवे एक्ट, विस्फोटक अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज करते हुए लंबी कानूनी लड़ाई आज उसके बरी होने के साथ ही खत्म हो गई. अभियोजन पक्ष टुंडा के खिलाफ एक भी आरोप प्रमाणित नहीं कर सका. टाडा कोर्ट के न्यायाधीश महावीर गुप्ता ने टुंडा को बरी करने के साथ ही अन्य दो आरोपी अब्दुल हमीद और इरफान को दोषी मानते हुए उम्र कैद कि सजा सुनाई है. अदालत का फैसला आने के बाद टुंडा की भी प्रतिक्रिया सामने आई तो वहीं बचाव पक्ष ने इस मामले में अभियोजन पक्ष कि कमजोर कड़ियों का खुलासा किया.
टाडा कोर्ट से बरी हुए 1993 सीरियल बॉम्ब ब्लास्ट के मास्टरमाइंड अब्दुल करीम टुंडा पर देशभर में 33 मुकदमे चल रहे थे जिसमे से आज के टाडा कोर्ट के फैसले सहित कुल 29 मामलो में उसको बरी कर दिया गया है. जबकि एक मामले में वो उम्र कैद कि सजा काट रहा है वहीं तीन अन्य मामले अभी विचाराधीन है जो गाजियाबाद जिला कोर्ट में चल रहे है. कोर्ट के फैसले के बाद सीबीआई और सरकार के वकील मीडिया के सामने हुए और कहा की अदालत के पूरे आदेश का अध्ययन करने के बाद आगे कि कार्रवाई कि जायेगी और अभियोजन की कहा कमी रही उसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील कि जाएगी.
विवादित ढांचे के गिरने कि पहली बरसी पर 1993 में हुए सिलसिलेवार ट्रेन ब्लास्ट ने देश को हिलाकर रख दिया था. इस मामले में एक दर्जन से ज्यादा आरोपी नामजद हो रखे थे जिसमे से 11 को पहले ही सजा हो चुकी है जबकि दो आरोपी अभी भी फरार चल रहे है. ऐसे में अभियोजन जिस अब्दुल करीम टुंडा को इन ब्लास्ट का मास्टरमाइंड बता रहा था उसके खिलाफ मजबूती से पैरवी नहीं कर पाने और आरोपो को साबित करने में नाकाम रहने पर आज उसे टाडा कोर्ट ने बरी कर दिया. हालांकि बरी होने के बाद भी टुंडा की जेल से रिहाई मुमकिन नहीं क्योंकि एक अन्य मामले में सोनीपत कोर्ट ने उसे उम्र कैद सुना रखी है जबकि तीन अन्य मामलों में अदालती कार्यवाही जारी है. लेकिन टाडा कोर्ट से टुंडा का बरी होना अभियोजन पक्ष और जांच एजेंसी पर कई सवाल खड़े करती है.