11 मार्च तक वक्री रहेंगे देवगुरु बृहस्पति, 3 बार बदलेंगे चाल, जानिए क्या पड़ेगा सभी 12 राशियों पर असर

11 मार्च तक वक्री रहेंगे देवगुरु बृहस्पति, 3 बार बदलेंगे चाल, जानिए क्या पड़ेगा सभी 12 राशियों पर असर

जयपुर: गुरु को ज्योतिष शास्त्र में शुभ और बड़ा ग्रह माना जाता है. गुरु एक निश्चित अंतराल पर राशि बदलते हैं जिसके कारण कई राशियों पर प्रभाव पड़ता है. गुरु इस साल अतिचारी होकर अभी अपनी उच्च राशि कर्क में हैं. 18 अक्तूबर को गुरु मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश किया था. वहीं अब गुरु 11 नवंबर को कर्क राशि में रहते हुए वक्री होंगे . गुरु 05 दिसंबर तक कर्क राशि में वक्री रहेंगे. इसके बाद मिथुन राशि में वक्री हो जाएंगे. ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार गुरु का कर्क राशि में रहते हुए उल्टी चाल से चलना कुछ राशि वालों के लिए बहुत ही शुभ साबित होंगी. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि 11 नवंबर 2025 की रात 10:11 बजे से गुरु ग्रह कर्क राशि में वक्री होंगे. कर्क उनकी उच्च राशि है, इसलिए यह आत्ममंथन और विचारों की दिशा बदलने का समय साबित हो सकता है. गुरु ज्ञान, धर्म, और न्याय के प्रतीक हैं. इसलिए वक्री गुरु आत्मनिरीक्षण और सोच में गहराई लाएंगे. देवगुरु बृहस्पति 11 नवंबर से 11 मार्च तक वक्री रहेंगे और 11 मार्च को सुबह 9:00 बजे मार्गी यानी सीधी चाल से चलने लगेंगे. 

गुरु की अतिचारी चाल
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि वैदिक ज्योतिष के अनुसार, अतिचारी चाल का मतलब है कि बहुत तेज चलना और त्वरित होना. यहां गुरु की अतिचारी चाल का अर्थ है कि गुरु जिस राशि में मौजूद हैं, वहां सामान्य चाल ना चलकर बहुत तेजी से गोचर कर रहे हों. आमतौर पर गुरु एक राशि से दूसरी राशि में 12 से 13 महीने तक मौजूद रहते हैं लेकिन अतिचारी होते हैं, तब वह जल्दी राशि परिवर्तन करते हैं और जीवन के सभी क्षेत्रों में जैसे करियर, पारिवारिक जीवन, लव लाइफ, तरक्की आदि समेत सभी महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं. ज्योतिष में गुरु ग्रह ज्ञान, करियर, शिक्षा, भाग्य, धर्म, संतान, धन, वैवाहिक जीवन आदि के कारक ग्रह हैं., जब गुरु अतिचारी चाल चलते हैं तब इनके जल्दी प्रभाव देखने को मिलते हैं. 

गुरु साल 2025 में 3 बार बदलेंगे चाल
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि गुरु ग्रह 14 मई को अचितारी चाल से मिथुन राशि में गोचर करेंगे और फिर 11 नवंबर को वक्री चाल चलते हुए फिर 5 दिसंबर को मिथुन राशि में फिर से गोचर कर जाएंगे.  गुरु अतिचारी चाल में तीन गुणा अधिक तेजी के साथ चलते हैं और बहुत कम समय में राशि परिवर्तन करके वक्री अवस्था लौट जाते हैं.  ऐसे में साल 2025 में गुरु तीन बार अपनी चाल बदलने वाले हैं. गुरु की अतिचारी चाल से मेष राशि, सिंह राशि, कन्या राशि, तुला राशि, कुंभ राशि और मीन राशि वालों के सुख-सौभाग्य में अच्छी वृद्धि होगी.

बृहस्पति ग्रह बदलता है आपकी जिंदगी
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष में बृहस्पति को देवगुरु का पद प्राप्त है. बृहस्पति को नौ ग्रहों में सबसे सौम्य, सात्विक और शुभ फल देने वाला ग्रह माना गया है परंतु बृहस्पति की महादशा प्रत्येक व्यक्ति के लिए शुभ फल देने वाली नहीं होती. ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार किसी व्यक्ति की कुंडली में स्थित लग्न के अनुसार उसकी कुंडली में प्रत्येक ग्रह का उसके लिए शुभकारक या अकारक होना निश्चित होता है. जिस ग्रह की कोई भी एक राशि त्रिकोण (1,5,9 भाव) में पड़ जाती है वह ग्रह उस कुंडली का शुभकारक ग्रह बन जाता है पर किसी ग्रह की दशा का पूरा परिणाम निकालने के लिए ग्रह की मूल त्रिकोण राशि तथा कुंडली में उस ग्रह की स्थिति अपनी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बृहस्पति विशेषतः मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन लग्न में त्रिकोण का स्वामी होने से इन सभी लग्नो की कुंडलियों में शुभ फलकारक ग्रह होता है. इसलिए सामान्यतः मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन लग्न वालों के लिए बृहस्पति की महादशा शुभ और अच्छा फल देती है और इनमे भी धनु और मीन लग्न में बृहस्पति परम योगकारक ग्रह होने धनु और मीन लग्न के लोगों को अपनी महादशा में बहुत शुभ परिणाम देता है. साथ ही वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुम्भ लग्न में बृहस्पति अकारक ग्रह होने से विशेष शुभ परिणाम देने वाला नहीं होता. बाकी पूर्ण परिणाम के लिए कुंडली में बृहस्पति किस स्थिति में है यह आंकलन करना बहुत आवश्यक होता है. 

फलित ज्योतिष में वक्री गुरु से तात्पर्य
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि संहिता ज्योतिष के अनुसार किसी भी ग्रह के वक्री होने का अर्थ है, उस ग्रह का अपने ही गंतव्य मार्ग से पुनः वापस लौटना अथवा मार्ग से मुंह फेर लेना प्राणियों को उस ग्रह के मार्गी होने से मिल रही सकारात्मक ऊर्जा का बाधित होना-रुक जाना. गुरु को सृष्टि का आध्यात्मिक ज्ञान प्रदाता कहा गया है, ये ब्रह्मज्ञान, शिक्षण संस्थाओं, भारी उद्योगों, बैंकों, जीवन बीमा निगम जैसी संस्थाओं, गैस के भंडारों, धार्मिक कार्यों, धर्माचार्यों एवं शासन सत्ता के सलाहकारों के कारक हैं. इनके वक्री होने की घटना को व्याहारिक दृष्टि से देखें तो महत्व समझ में आयेगा कि जो व्यक्ति आप को सद्बुद्धि-सन्मार्ग पर ले जाता है वही आप से मुंहफेर ले तो कैसा लगेगा, आप पर क्या गुजरेगी ! बस वक्री का अर्थ यही होता है. इनके वक्री होने का सर्वाधिक असर संत-महात्माओं पर होता है. उनके चाल-चलन पर आरोप प्रत्यारोप लगने आरम्भ हो जाते हैं, कहीं न कहीं उनकी सामाजिक गरिमा का ह्रास होने लगता है.

वक्री गुरु के प्रभाव 
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि विश्व अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए कार्य होंगे. जन कल्याण और शिक्षा और समाज सुधार से जुड़े हुए कार्य होंगे. शेयर बाजार की चाल बदलेगी. विश्व स्तर मे वैचारिक बदलाव के लिए संत पुरुष विशेष रूप से कार्य करेंगे. व्यापार में तेजी आएगी. देश में कई जगह ज्यादा बारिश होगी. प्राकृतिक घटनाएं होगी. भूकंप आने की संभावना है. तूफान, बाढ़, भूस्खलन, पहाड़ टूटने, सड़के और पुल भी टूटने की घटनाएं हो सकती हैं. बस और रेलवे यातायात से जुड़ी बड़ी दुर्घटना होने की भी आशंका है. बीमारियों का संक्रमण बढ़ सकता है. शासन-प्रशासन और राजनैतिक दलों में तेज संघर्ष होंगे. सामुद्रिक तूफान और जहाज-यान दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं. खदानों में दुर्घटना और भूकंपन से जन-धन हानि होने की आशंका बन रही है. रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. आय में इजाफा होगा. राजनीति में बड़े स्तर पर परिवर्तन देखने को मिलेगा. देश में आंदोलन, हिंसा, धरना प्रदर्शन हड़ताल, बैंक घोटाला, वायुयान दुर्घटना, विमान में खराबी, उपद्रव और आगजनी की स्थितियां बन सकती है.

उपाय
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि देवगुरु बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन ॐ भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का एक माला जाप करें. साथ ही भगवान विष्णु को संभव हो तो पीले रंग के फल का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में बांटें. देवगुरु को प्रसन्न करने के लिए बृहस्पतिवार के दिन दाल, हल्दी, पीले वस्त्र, बेसन के लड्डू  आदि किसी योग्य ब्राह्मण को दान करें और केले के वृक्ष पर जल चढ़ाएं. जिन जातकों को रोग, शत्रु, आदि से परेशानी के साथ-साथ अपने कामकाज में अचानक से तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हो, वे नियमित रुप से राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें. देवगुरु बृहस्पति का यह उपाय परम कल्याणकारी सिद्ध होगा. प्रतिदिन भगवान श्री विष्णु की आराधना के बाद हल्दी और चंदन का तिलक करें.  हं हनुमते नमः, ऊॅ नमः शिवाय, हं पवननंदनाय स्वाहा का जाप करें. प्रतिदिन सुबह और शाम हनुमान जी के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं. लाल मसूर की दाल शाम 7:00 बजे के बाद हनुमान मंदिर में चढ़ाएं. हनुमान जी को पान का भोग और दो बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं. ईश्वर की आराधना संपूर्ण दोषों को नष्ट एवं दूर करती है. महामृत्युंजय मंत्र और दुर्गा सप्तशती पाठ करना चाहिए. माता दुर्गा, भगवान शिव और हनुमानजी की आराधना करनी चाहिए. 

भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास बता रहे हैं की गुरु के वक्री होने का 12 राशियों पर क्या होगा प्रभाव.
मेष- धार्मिक,मांगलिक और परमार्थ के कार्यो मे धन व्यय होगा. विवाह के प्रबल योग बनेंगे.

वृषभ- आर्थिक लाभ के योग बनेंगे, आर्थिक क्षेत्र मे उन्नति के अवसर बनेंगे. व्यापार मे उन्नति के योग बनेंगे.

मिथुन- नौकरी रोजगार मे उन्नति के योग बनेंगे. प्रमोशन के योग, अपने समाज मे मान वृद्धि के योग.

कर्क- शुभ समय,बड़े लोगों की कृपा से भाग्योदय का अवसर. आर्थिक और सामाजिक उन्नति होगी.

सिंह- किसी विशेष क्षेत्र मे अनुसंधान का योग. शिक्षा मे खास सफलता मिलेगी. आय और व्यय का बराबर योग.

कन्या- विवाह का योग, परिवार में मांगलिक कार्यों का योग.व्यापारिक क्षेत्र मे उन्नति होगी.

तुला- रोग,ऋण, शत्रु प्रबल होंगे.आर्थिक आय व्यय का विशेष ध्यान रखे,निवेश सोच समझकर करे.

व्रिश्चिक- संतान, शिक्षा और मित्रो से विशेष मदद मिलेगी. विशेष कार्यो मे चयन होगा,शुभ समय.
 
धनु- मकान, वाहन से जुड़े कार्यो में सफलता का योग. सामाजिक मान सम्मान मे वृद्धि का योग.

मकर- व्यर्थ की भागदौड़ से बचें.  धार्मिक कार्यों का योग,परिवार मे विवाह आदि मांगलिक कार्यों का योग.

कुंभ- धन योग प्रबल, आर्थिक क्षेत्र मे उन्नति होगी. संचित धन मे वृद्धि का योग, नवीन आर्थिक संसाधन विकसित होंगे.

मीन- मान सम्मान मे वृद्धि होगी. संतान,शिक्षा और परिवार के उम्दा योग, शुभ कार्य होंगे.