जयपुर: भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने फर्स्ट इंडिया न्यूज़ के CEO एवं मैनेजिंग एडिटर पवन अरोड़ा को KeyNote By Pawan Arora शो में एक खास इंटरव्यू दिया. इस दौरान मदन राठौड़ ने अपने प्रारंभिक जीवन, कार्यकर्ताओं, उप चुनाव, संगठनात्मक बदलाव, मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल समेत तमाम सवालों के जवाब दिए.
प्रारंभिक जीवन कैसा रहा, कैसा आपका राजनीतिक जीवन रहा ?
बचपन से ही मैं संघ परिवार से जुड़ा, स्कूल में हमारे शिक्षक संघ से जुड़े थे. उनके माध्यम से संघ से जुड़ा, पढ़ाई के साथ साथ ही संघ के साथ जुड़ा रहा. बाद में उस वक्त के सर संघ चालक माधवराव सदाशिव राव का निधन हुआ. उसके बाद तय हुआ कि संघ से कुछ युवाओं को जोड़ा जाए. मैं भी 2 वर्ष के लिए संघ से जुड़ा, लेकिन दुर्भाग्य से उस वक्त इमरजेंसी लगी. पाली, जालोर, सिरोही में जेल भरवाने की जिम्मेदारी मिली. परिवार को संभालने की भी जिम्मेदारी मुझ पर थी, मेरे उपर एक वॉरंट भी जारी हुआ. लेकिन किसी तरह से अंडरग्राउंड रहकर हमने आंदोलन को चलाया. उस वक्त हमें सरदार के वेश में मोदी जी हल्दीघाटी में मिले थे. हमें उस वक्त उनके बारे में पता नहीं था. उनका हमने संबोधन सुना, उनसे प्रभावित भी हुए. इमरजेंसी हटने के दौरान हमें संगठन को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी मिली. 7 साल तक प्रचारक की भूमिका निभाई. बचपन में शादी बाद उसकी जिम्मेदारी निभाई, परिवार संभाला.
जब जनता पार्टी टूटी तो भारतीय जनता पार्टी बनी, तब से जुड़ा हूं.
दो बार विधायक रहे, टिकट कटा तो बागी होने की सोची ?
बागी की मैं कल्पना भी नहीं करता, ये छोटी सी फुफ्कार थी और कुछ नहीं था. मदन राठौड़ से सवाल किया गया कि हमने सुना आपने मोदी जी का फोन आने पर पर्चा वापस लिया. जिसपर उन्होंने कहा कि फोन नहीं आता तब भी वापस लेता, ये तो एक मानवीय स्वभाव के कारण ऐसा हुआ. मदन राठौड़ से पूछा गया कि क्या ये कम्युनिकेशन गैप था, जब आपको इतने अहम पद देने थे, तो आपको कान में कह दिया होता, तो आप ऐसा कोई कदम नहीं उठाते ? जिसपर उन्होंने कहा कि वो मेरे धैर्य की परीक्षा ले रहे थे.
मोदी जी से पुराना रिश्ता है, स्वजातीय भी हैं ?
जाति का तो मुझे बाद में पता चला था, जब एक लेख आया था उस लेख में उसका जिक्र था. मदन राठौड़ से पूछा गया कि ऐसा तो नहीं कि आपके बागी तेवर देखकर राज्यसभा भेजा गया कि इनको राजी करो ? जिसपर उन्होंने कहा कि नहीं राजी करने वाली कोई बात नहीं थी.
क्या पर्चा मोदी जी के मान-सम्मान में वापस लिया ?
मैं कभी ये नहीं सोचता, लेकिन मेरे पास एक फोन आया. मैंने प्रणाम किया, तो उन्होंने कहा कि राठौड़ जाकर पर्चा विड्रॉ करो, और फोन काट दिया. इसके बाद गजेंद्र सिंह जी भी आए, तो कहा फोन नहीं करते तो भी विड्रॉ करता.
नाम को लेकर एक चुटकी ली जाती है, मद-न जिसको कोई घमंड ना हो
ठीक है मद-न, क्या हुआ कि मैं OTC में फर्स्ट आया था. तो मैंने गुरू जी को बताया तो उन्होंने कहा मद-न ताकि कभी घमंड नहीं करना. तब से ये चल पड़ा, तो मैंने भी तय कर लिया कि कभी घमंड नहीं करना. पद तो आते-जाते रहते हैं, व्यवहार कुशलता रहनी चाहिए.
जिम्मेदारी का पद संभाला है, क्या कार्ययोजना बनाई है ?
पहले तो हम समीक्षा करते हैं कि ऐसी स्थिति क्यों बनी ? पहली बात तो ये कि दुष्प्रचार बहुत हुआ हमारे खिलाफ कि संविधान को खत्म कर देंगे. ये आरक्षण को समाप्त कर देंगे, जातिगत द्वेष फैलाया गया. ये कुछ कारण ऐसे रहे, जिनसे जनता में भ्रम पैदा हुआ. लेकिन अब जनता समझ गई, हम भी समझ गए, अब सरकार बन गई है. हमने संविधान को माथे पर लगाया, आरक्षण से छेड़छाड़ नहीं की, समाज को साथ लेकर चल रहे है. 140 करोड़ भारतीयों के विकास की कल्पना लेकर प्रधानमंत्री चल रहे हैं. हमारी मोदी सरकार, भजनलाल सरकार ने शानदार बजट दिया. विकास के दरवाजे खोल दिए, अब जनता को भी विश्वास हो गया कि विकास यहीं से होगा.
प्रदेशाध्यक्ष बने तो ये बात सामने आई कि सीपी जोशी पद से मुक्त होना चाहते थे
मैं सोचता हूं कि सीपी जोशी जी ने शानदार काम किया. सबने पार्टी को मजबूती दी, लेकिन स्थितियां बदलती रहती हैं. मैं सोचता हूं कि उनको लगा कि ये व्यक्ति समय निकाल सकता है, तो मुझे यहां भेज दिया.
कार्यकर्ता काफी कॉन्फिडेंट थे
आपने प्रैक्टिकल सवाल किया है, जब हम सत्ता में होते हैं. तो थोड़ा सा Easy हो जाता है आदमी, कि सब कर रहे हैं तो मैं भी कर रहा हूं. जब हम देश के बारे में सोचते हैं तो आदमी एक्टिव हो जाता है. हमारा हर कार्यकर्ता जागरूक है. ये तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं, ताकि हर व्यक्ति में एक राष्ट्रभक्ति का जज्बा पैदा हो.
इस सरकार में ना तो कार्यकर्ताओं के काम हो रहे है, उनको क्या ऐसा फील हो कि हम सत्ता में आ गए हैं ?
ट्रांसफर होना ना होना ये सरकार का काम है. हमारा कार्यकर्ता इन चीजों में नहीं उलझता, उसमें काम करने की भावना होनी चाहिए. जो ड्यूटी हो उसको पूरा करें, मैंने मेरे इलाके में कभी ट्रांसफर पॉलिटिक्स नहीं की. मेरा जब चुनाव का रिजल्ट आ रहा था तो मेरे सामने 2003 में पहले चुनाव में SDM बैठे हुए थे. उन्होंने मेरे सामने बीना काक जी को फोन किया. मैडम आप आइए आप चुनाव जीत रहीं हैं, मैं मुस्कुरा रहा था. जब मैं चुनाव जीता तो SDM ने मुझसे पूछा कि आप मुझे रखोगे या हटाओगे. तो मैंने कहा कि मैं आपको रखूंगा, मैंने उनको ढाई साल रखा, उन्होंने अच्छा काम किया.
बूथ मंडल, महिला मोर्चा सभी जगह पुनर्गठन कर रहे हैं
नहीं एक्टिव हैं, काम कर रहे हैं, थोड़ा और गति देना है. काम लेना है, ये प्रकिया का हिस्सा है, चलता रहेगा.
उप चुनाव को ध्यान में रखते हुए कोई खास स्ट्रैटेजी बना रहे हैं ?
हम बना रहे हैं, राजस्थान सरकार ने जो योजनाएं दी हैं. केंद्र सरकार की जो योजनाएं हैं, कार्यकर्ताओं के माध्यम से जनता तक पहुंचा रहे हैं. और बाकी जो भ्रम फैलाए गए, उनको मिटा रहे हैं.
पहले कार्यकर्ता योजनाएं पहुंचाने के लिए आम नागरिक के साथ जुटते थे
अभी जागरुकता तो बढ़ी है, जनता को पता है मैं लाभान्वित हो सकता हूं. कुटीर उद्योग में, खेती में, कर्मचारियों को लाभ कैसे मिले, ये हम बताएंगे.
राजस्थान में उप चुनाव कब तक होंगे ?
इसका एक नियम है, जिस दिन परिणाम घोषित होता है. जिस दिन इस्तीफा देते हैं उसके 6 महीने में चुनाव करवाने होते हैं. सबने अलग-अलग इस्तीफा दिया, तो नवंबर में 6 महीने होंगे. जिन राज्यों में चुनाव होंगे उनके साथ ही पहले फेज में चुनाव हो जाने चाहिए. ये निर्वाचन आयोग तय करेगा.
संगठनात्मक बदलाव कर रहे हैं ?
जो काम कर रहा उसे छेड़ना नहीं चाहिए. जहां जरूरत होगी, वहां रिपेयरिंग करें, बाकी सब ठीक है.
राजनीतिक नियुक्तियों में प्रदेशाध्यक्ष का काफी रोल होता है
हम सब इन सब बातों पर भरोसा नहीं करते. अगर कोई काम ठीक नहीं कर रहा है तो चेंज करना है. हमारा कार्यकर्ता पद के लिए लालायित नहीं होता. लेकिन फिर भी जरूरत होती है तो सामूहिक निर्णय होता है. मदन राठौड़ से पूछा गया कि प्रशासनिक कामकाज को देखे तो जैसे हाउसिंग बोर्ड है, कोई आयोग है, इनमें सरकार बदलने के साथ ही शिथिलता आ जाती है. नई नियुक्तियों से लोग काम करते हैं, उससे बोर्ड आयोग का उद्देश्य पूरा होता है जिसपर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी इस दिशा में काम कर रहे हैं
BJP कार्यालय में जनसुनवाई शुरू हुई, लेकिन अचानक बंद हो गई
वहां मंत्री बैठे और सुनवाई करे, इसका दिन तय हो जाए. तो वहां कार्यकर्ता अपनी समस्या दे जाए तो दूसरी जगह लोड कम हो जाएगा. मैं सोचता हूं, इसे फिर से शुरू करना चाहिए. मदन राठौड़ से पूछा गया कि सरकार की जो भी उपलब्धि होती है, तो संगठन का बड़ा रोल होता है. आपका सोशल मीडिया सेल थोड़ा कम एक्टिव नजर आ रहा है. तो क्या आप इसको फिर मजबूत करेंगे ? जिसपर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि आपने बताया है, तो जरूर करेंगे.
संगठनात्मक सुधार कर रहे हैं ?
हां उत्तर की तरफ जगह तय की है, वहां प्रकिया चल रही है. सब हो गया है, कमेटी के निर्देश में निर्माण कार्य चल रहा है. मदन राठौड़ से पूछा गया कि टिकट वितरण केंद्रीय नेतृत्व करेगा, क्या इसमें आपका और मुख्यमंत्री जी का भी कोई रोल रहेगा ? जिसपर उन्होंने कहा कि सब साथ में बैठकर के ही फैसला करते हैं, नीचे से फीडबैक आता है. सब सामने बैठक कर कोर कमेटी में विचार तय करेंगे, कि वहां जनता क्या चाहती है ? अलग-अलग सोर्सेस के जरिए उम्मीदवार तय करके उतारते है.
भजनलाल सरकार कैसा काम कर रही है ?
भजनलाल जी बहुत एक्टिव और मेहनती हैं. वसुंधरा राजे के समय तय हुआ था ERCP का प्रोजेक्ट, कांग्रेस के वक्त में अटक गया है. लेकिन भजनलाल सरकार ने आते ही ये काम पूरा किया. इसके अलावा भी और दूसरे काम, बिजली की समस्या समेत कई चीजों पर काम तेजी से जारी है.
मुख्यमंत्री तेजी से काम कर रहे हैं, दूसरे मंत्री इसे पकड़ पाएं हैं या नहीं ?
सबका अपना-अपना तरीका है, अगर कहीं अगर कमजोरी नजर आती है तो उसे तेजतर्रार करेंगे. मदन राठौड़ से पूछा गया कि बात सामने आ रही हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार होगा, फेरबदल होगा. समीक्षा रिपोर्ट बन रही है, लिस्ट बन रही है, ऐसा कुछ है ? जिसपर उन्होंने कहा कि ये कयास लगाते हैं, ये मुख्यमंत्री जी के विवेक पर निर्भर करता है. इसमें हमारा हस्तक्षेप नहीं है, हमारा काम सरकार को सहयोग करना है.
क्या लगता है कि राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी कैसा काम कर रही है ?
ब्यूरोक्रेसी काम तो करती है, ऐसा नहीं कह सकते हैं कि काम नहीं करती है. हमने इसकी चार कैटेगरी बनाई हैं.
1. एफिशिएंट एंड ऑनेस्ट, 2. एफिशिएंट बट नॉट ऑनेस्ट
3. ऑनेस्ट बट नॉट एफिशिएंट, 4. नॉट ऑनेस्ट, नॉट एफिशिएंट
हर व्यक्ति की अलग-अलग रुचि होती है.
इस सरकार ने ये मिथक तोड़ा है कि अफसर सरकार के साथ बदलने चाहिए ?
हम ऐसा नहीं सोचते हैं, हम बस काम लेना चाहते हैं. अधिकारी कहीं भी हों, बस काम करें, अगर सुधार नहीं होता तो फिर ऑपरेशन करते हैं.
डॉ. किरोड़ीलाल मीणा जी के बारे में चल रहा था कि उन्होंने इस्तीफा दिया, मना पाए उनको ?
हां मैंने उनसे बात की थी, लेकिन उन्होंने कहा कि वादा किया था तो निभाना पड़ा. लेकिन उन्होंने अपनी बात भी रखी और हमारी बात भी रखी, काम कर रहे हैं, काम करेंगे.
आप बांग्लादेश के नाम पर मुखर हो, आपको गुस्सा भी आता है
ये गुस्सा आपको भी आता होगा, जब हम पीड़ित पक्ष की जगह अपने आपको देखते हैं. उसने अपना आशियाना तैयार किया और जब घर छोड़कर जाना पड़े, तो गुस्सा आता है. वहां पर अनियंत्रण की स्थिति हो गई, अराजकता बढ़ गई. सुप्रीमो को भागना पड़े, सत्ता छोड़नी पड़ी, ये दुर्भाग्यपूर्ण हैं. पड़ोसी देश है, तो चिंता ज्यादा होती है, पहले तालिबान में सुनते थे. अब पड़ोस में हुआ है, हमारी टीम इसमें लगी है, काम हो रहा है, संभालने में लगे हैं.
अभी कई जगहों पर बाढ़ के हालात हैं, कच्ची बस्तियां डूब रहीं है
ऐसा नहीं है, पाली, बाड़मेर, जोधपुर की बात करें तो वहां पर फूड पैकेट्स वितरित हो रहे हैं. प्रभावित जगह से दूसरी जगह लाकर ठहराया जा रहा है, वहां पर कपड़े दे रहे हैं. ये व्यवस्थाएं चल रहीं हैं, जयपुर में भी हो रहा है, हालांकि ये चर्चा में नहीं आया है. नीचे की बस्तियों में कार्यकर्ता और सरकार दोनों काम में जुटे हैं. अधिकारियों को भी पूरी छूट दी हुई है निर्णय करने की. जहां जरूरत होगी, वहां के लिए हम तैयार हैं.