जैसलमेर: जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में भारतीय सेना की थिएटर आर्टिलरी ने अपने गोला बारूद का सफल परीक्षण किया. इस दौरान साथ से साथ पर मार करने वाले हथियारों का फायर पावर डेमोस्ट्रेशन भी किया गया. इस अभ्यास को पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरसी तिवारी ने नजदीक से देखा और इसकी सराहना की. इस दौरान ड्रोन से युद्धाभ्यास की निगरानी की गई. साथ ही भविष्य में होने वाले युद्धों में आधुनिकता के समावेश का भी अभ्यास किया गया.
भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजीमेंट की थियेटर आर्टिलरी ने इस दौरान एक साथ कई निशाने साधे. सेना की आला प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन हुआ. सेना के गनर्स ने अपनी मारक क्षमता का सटीक सफल अभ्यास किया. पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में इन दिनों भारतीय सेना की थिएटर आर्टिलरी अअपने आधुनिक हथियारों के साथ लगातार अभ्यास कर रही है. इस दौरान युद्ध में नई तकनीक के इस्तेमाल का भी प्रयोग किया जा रहा है. सबसे महत्वपूर्ण ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करना शामिल है. सेना द्वारा अपने हथियारों के अभ्यास के तहत उनकी मारक क्षमता, एक साथ फायरिंग क्षमता, ड्रोन से निगरानी के साथ साथ युद्ध में ड्रोन के इस्तेमाल का अभ्यास भी शामिल किया गया.
सेना ने इस अभ्यास को एक विशेष स्लोगन से बताते हुए बताया कि " ये अभ्यास हमारे दुश्मनों के लिए एक चेतावनी, हमारे दोस्तों के लिए एक वादा' है. इसके तहत आर्टिलरी ने अपने गनर की क्षमता के साथ साथ अपने आधुनिक हथियारों की ताकत का भी बेहतरीन प्रदर्शन किया. सेना कमांडर आरसी तिवारी ने पूर्वी कमान के गनर्स के अभिनव प्रयासों की सराहना की. इस दौरान उन्होंने कहा कि- यह हमारी अदम्य भावना और अडिग शक्ति की घोषणा थी. हमारे दुश्मनों के लिए, एक चेतावनी; हमारे दोस्तों के लिए, एक वादा. हम अजेय खड़े हैं, आने वाली लड़ाइयों की नियति को आकार देने के लिए तैयार हैं. हमारी सेनाओं की महिमा के साक्षी बनें, जहां वीरता नवाचार से मिलती है. भारतीय सेना- अजेय, दुस्तर, संयुक्त है.
गौरतलब है कि सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट जो कि भारतीय सेना की दूसरी सबसे बड़ी शाखा है. इसका काम जमीनी अभियानों के समय पर सेना को मारक क्षमता देना है. इसे दो हिस्सों में बांटा गया है. पहले हिस्से में घातक हथियार जैसे कि मिसाइल, रॉकेट्स, मोर्टार, तोप, बंदूक आदि शामिल हैं. तो वहीं दूसरे में ड्रोन, रडार, सर्विलांस सिस्टम होता है. भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजीमेंट की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये रेजिमेंट ने 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में कुल 2,50,000 गोले और रॉकेट दागे थे. इसके साथ ही 300 से अधिक तोपों, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चरों ने रोज करीब 5,000 बम फायर किए थे. इसमें आर्टिलरी बैटरी से रोज एक मिनट में एक राउंड फायर किया गया था.