जयपुर: राजस्थान में बाघों की संख्या 133 के स्तर पर पहुंच गई है. पिछले 20 वर्ष का देखें तो राजस्थान देश का एकमात्र ऐसा प्रदेश है, जहां के टाइगर रिजर्व में ओवरऑल ग्रोथ दोगुनी से ज्यादा है. इस सब के पीछे प्रदेश के में बाघ संरक्षण में जुटे तमाम वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी, वन्य जीव प्रेमी, नेचर गाइड और स्वयं से भी संगठनों का योगदान रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर एसोसिएट एडिटर निर्मल तिवारी ने प्रदेश के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक पवन उपाध्याय से की एक्सक्लूसिव बातचीत:
धरती बाघां री... राजस्थान बना अब 'बाघस्थान':
-प्रदेश में बाघों की संख्या पहुंची अब 133 के स्तर पर
-रणथंभौर में 72, सरिस्का में 43 और धौलपुर (करौली मिलाकर) 10 बाघ
-रामगढ़ विषधारी में 6 और मुकंदरा में 2 बाघों का विचरण
-पिछले 6 महीने में सरिस्का में 13 बाघ शावकों का जन्म
-वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट, सर्विलांस और नियमित पेट्रोलिंग से बाघों के लिए 'सेफस्थान' बना राजस्थान
-वन मंत्री संजय शर्मा की सक्रियता और कुशल नेतृत्व ने वन विभाग में नई जान फूंकी
-मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पवन उपाध्याय की शानदार मॉनिटरिंग का नतीजा
-FD अनूप केआर, राजेन्द्र हुड्डा, DFO रामानंद भाकर, संजीव शर्मा, पीयूष शर्मा
-नाहर सिंह, अभिमन्यु सहारण का बेहतर तालमेल और टीम वर्क
-पांचों टाइगर रिजर्व में FD's व DCF करते हैं फील्ड पेट्रोलिंग
-गांव विस्थापन, टेंकर बंद करने और ग्रासलैंड विकास से बदली फिजा
-बाघ व दूसरे वन्यजीवों में स्ट्रेस कम होने से ब्रीडिंग बढ़ी
-रणथंभौर के बाद अब सरिस्का में बढ़ते बाघों से टाइगर टूरिज्म बढ़ेगा और रोजगार भी