जयपुरः हर वर्ष सावन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन कामिका एकादशी मनाई जाती है. यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस दिन भगवान विष्णु एवं धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. आज सावन महीने की एकादशी का व्रत किया जाएगा. जिसका नाम कामिका एकादशी है. पुराणों में कहा गया है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. सावन महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली इस एकादशी पर भगवान विष्णु को तुलसी पत्र चढ़ाने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं. इस दिन तीर्थ स्नान और दान से कई गुना पुण्य फल मिलता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 30 जुलाई को संध्याकाल 4:44 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 31 जुलाई को संध्याकाल 3:55 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में व्रत-त्योहार के लिए सूर्योदय के बाद से तिथि की गणना की जाती है. अत: आज कामिका एकादशी मनाई जाएगी. कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनना यज्ञ करने के समान है. इस व्रत के बारे में ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद को बताया कि पाप से भयभीत मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए. एकादशी व्रत से बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है. स्वयं प्रभु ने कहा है कि कामिका व्रत से कोई भी जीव कुयोनि में जन्म नहीं लेता. जो इस एकादशी पर श्रद्धा-भक्ति से भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पण करते हैं, वे इस समस्त पापों से दूर रहते हैं.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि कामिका एकादशी पर शंख, चक्र, गदाधारी भगवान विष्णु का पूजन होता है. भीष्म पितामह ने नारदजी को इस एकादशी का महत्व बताया है. उन्होंने कहा कि जो मनुष्य इस एकादशी को धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें गंगा स्नान के फल से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है. इस एकादशी की कथा सुनने से ही वाजपेय यज्ञ का फल मिल जाता है. भीष्म कहते हैं कि व्यतिपात योग में गंडकी नदी में और सूर्य-चन्द्र ग्रहण के दौरान स्नान करने से जितना पुण्य मिलता है. उतना ही महापुण्य सावन महीने में आने वाली कामिका एकादशी पर व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से मिल जाता है. इस दिन तुलसी पत्र से भगवान विष्णु की पूजा करने का भी विधान बताया गया है.
शुभ मुहूर्त
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 30 जुलाई को संध्याकाल 4:44 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 31 जुलाई को संध्याकाल 3:55 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में व्रत-त्योहार के लिए सूर्योदय के बाद से तिथि की गणना की जाती है. अत:31 जुलाई को सावन माह की कामिका एकादशी मनाई जाएगी.
योग
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि कामिका एकादशी पर ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है. इस योग का संयोग दोपहर 02:14 मिनट तक है. ज्योतिष ध्रुव योग को बेहद शुभ मानते हैं. इस योग में भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी. साथ ही शुभ कार्यों में सिद्धि मिलेगी. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग दिन भर है.
शिववास योग
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि कामिका एकादशी पर देवों के देव महादेव कैलाश पर्वत पर विराजमान रहेंगे. इस समय में भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी. भगवान शिव दोपहर 03:55 मिनट तक कैलाश पर रहेंगे. इसके बाद नंदी पर सवार होंगे. दोनों समय अभिषेक के लिए अनुकूल है. इस समय में भगवान नारायण की भी पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में बढ़ोतरी होगी.
व्रत का संकल्प
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि स्कंद पुराण में बताया गया है कि सावन महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी पर व्रत, पूजा और दान से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं. लेकिन, जानबूझकर दोबारा कोई पाप या अधर्म नहीं होगा, ऐसा संकल्प भगवान विष्णु के सामने लेने पर ही इसका फल मिलता है. ये व्रत साल की 24 एकादशियों में खास माना गया है.
विष्णु पूजा
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि महाभारत और भविष्य पुराण में बताया गया है कि सावन महीने के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. इनके अलावा विष्णुधर्मोत्तर पुराण में भी जिक्र है कि सावन महीने में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत-उपवास से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है. पुराणों में कहा गया है कि सावन महीने के दौरान पंचामृत और शंख में दूध भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं.
निर्जल व्रत
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि सावन महीने में आने वाली एकादशियों को पर्व भी कहा जाता है. सावन मास में भगवान नारायण की पूजा करने वालों से देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं. एकादशी के दिन स्नानादि से पवित्र होने के बाद पूजा का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा करना चाहिए. भगवान विष्णु को फूल, फल, तिल, दूध, पंचामृत और अन्य सामग्री चढ़ाकर आठों प्रहर निर्जल रहना चाहिए. यानी पूरे दिन बिना पानी पीए विष्णु जी के नाम का स्मरण करना चाहिए. एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोजन एवं दक्षिणा का भी बहुत महत्व है. इस प्रकार जो यह व्रत रखता है उसकी कामनाएं पूरी होती हैं.
गौ दान का पुण्य
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि पितामह ने बताया कि पूरे साल भगवान विष्णु की पूजा न कर सकें तो कामिका एकादशी का उपवास करना चाहिए. इससे बछड़े सहित गौदान करने जितना पुण्य मिल जाता है. सावन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और उपवास करने से सभी देवता, नाग, किन्नर और पितरों की पूजा हो जाती है. जिससे हर तरह के रोग, शोक, दोष और पाप खत्म हो जाते हैं.
मिलता है स्वर्ग
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि कामिका एकादशी के व्रत के बारे में खुद भगवान ने कहा है कि मनुष्यों को अध्यात्म विद्या से जो फायदा मिलता है उससे ज्यादा फल कामिका एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है. इस दिन व्रत करने से मनुष्य को यमराज के दर्शन नहीं होते हैं. बल्कि स्वर्ग मिलता है. जिससे नरक के कष्ट नहीं भोगने पड़ते.
दीपदान
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि भीष्म ने नारदजी को बताया कि कामिका एकादशी की रात में जागरण और दीप-दान करने से जो पुण्य मिलता है. उसको लिखने में चित्रगुप्त भी असमर्थ हैं. एकादशी भगवान विष्णु के सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए. जो ऐसे दीपक लगाता है उसे सूर्य लोक में भी हजारों दीपकों का प्रकाश मिलता है. ऐसे लोगों के पितरों को स्वर्ग में अमृत मिलता है.