डीडवाना: जिले में मानसून की बरसात से किसानों को इस साल खरीफ की फसलों की बंपर पैदावार की उम्मीद जगी थी, लेकिन किसानों की इन उम्मीदों पर कातरा नामक कीट पानी फेर रहा है. डीडवाना क्षेत्र के लगभग एक दर्जन गांव में कातरा कीट फसलों को चट कर रहा है. खेतों में कातरा कीट तेजी से पनप रहा है और फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहा है.
कातरा के कारण किसानों की बाजरा, मूंग, मोठ, गंवार, तिल आदि फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. माना जा रहा है कि बोई गई फसलों को 70 से 80 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा है. जिसकी वजह से खेत के खेत खाली हो रहे हैं. इस कारण किसान खेतों में कीटनाशक दवा का छिड़काव कर कातरा कीट से बचाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अत्यधिक रूप से कीट पैदा होने के कारण दवा की छिड़काव के बाद भी किसानो को निराशा हो रही है.
कातरा कीट से किसानों को कितना नुकसान पहुंचा है और यह कीट किस प्रकार फसलों को नुकसान पहुंचाता है. खेतों में कातरा से फसलों को हो रहे नुकसान के बाद कृषि विभाग भी हरकत में आया है और खरीफ फसलों को कातरा से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की है. इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा क्षेत्र के गांवों में भ्रमण कर किसानों को इस कीट के प्रबंधन हेतु जागरुक किया जा रहा है.
आपको बता दें कि कातरा कीट की पतंगे मानसून की वर्षा के साथ जमीन सें निकलती है. मादा पतंगे पत्तियों की निचली सतह पर समूह में पोस्त के दाने के आकार के पीले रंग के अण्डे देती है. जिसे कातरा कहा जाता है. कीट की यही अवस्था फसलों को सबसें अधिक नुकसान करती है. कातरा के प्रबंधन की शुरुआत फसलों की बुवाई से पूर्व मानसून की पहली वर्षा से की जानी चाहिए.
इसके लिए खेतो के आस-पास उगी घास, खरपतवार, बंजर या चारागाह में उगे जंगली पेडों पर मादा पतंगा द्वारा दिये अण्डों से निकलने वाले कातरा कीट की प्रथम अथवा द्वितीय अवस्था को फसली खेतों मे जाने से रोकने हेतु कीटनाशक दवा का छिडकाव किया जाना चाहिए.