KeyNote by Pawan Arora: साइबर क्राइम की दुनिया में बचाव ही सुरक्षा, DG साइबर क्राइम हेमंत प्रियदर्शी का SUPER EXCLUSIVE INTERVIEW

KeyNote by Pawan Arora: साइबर क्राइम की दुनिया में बचाव ही सुरक्षा, DG साइबर क्राइम हेमंत प्रियदर्शी का SUPER EXCLUSIVE INTERVIEW

जयपुर: 1st इंडिया न्यूज़ के सीईओ और मैनेजिंग एडिटर पवन अरोड़ा ने DG साइबर क्राइम हेमंत प्रियदर्शी का सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू लिया. सीधे और सटीक सवालों के जबाव देते हुए हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि साइबर क्राइम की ग्रेविटी का अनुमान आप इसी बात से लगा सकते हैं. साइबर क्राइम की जो रिपोर्ट हैं, जितनी रकम की ठगी साइबर क्राइम के जरिए हुई है. वो लगभग बराबर या उस रकम से कहीं ज्यादा है. जो पारंपरिक अपराधों के जरिए चोरी, नकबजनी, ठगी, डकैती, लूट सब शामिल कर दें. लगभग उसके बराबर या उससे कहीं ज्यादा है, समस्या की जटिलता इस बात से बढ़ जाती है. क्योंकि जो अपराधी हैं वो फेसलेस हैं, उसकी कोई पहचान नहीं है. किस कानून से Cover होगा, इस बारे में भी कई बार Confusion हो जाता है. अगर देश के बाहर हैं, तो चुनौती बहुत गंभीर है. हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि लगभग हर आम आदमी के पास कम्प्यूटर के तौर पर एक स्मार्ट फोन सबके पास है. तो इसमें ढूंढने की जरूरत नहीं है, रैंडम ही जो अपराधी है वो सुबह से सबको फोन लगाता रहता है और जो लोग उसके झांसे में आ जाएं वो ठगी कर लेता है. अपराध करना बहुत आसान है, हमारी निर्भरता कम्प्यूटर पर ज्यादा हो गई है इसलिए चुनौती बढ़ी है. 

'Digital Personal Data Protection Act' से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि उसके नियम अभी नहीं बने हैं, वो जब आ जाएगा. उसके बाद अभी जो Data Theft के कारण या हमारी आपका जो पर्सनल डेटा है.  वो थर्ड पार्टी जब शेयर कर लेती है, गलत हाथों में पड़ जाता है. कई बार आप सुनते होंगे इतने लोगों का डेटा बेच दिया गया. तो उससे आपके पास अनचाहे कॉल्स आते रहते हैं. हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि आपको परेशानी भी होती है, प्राइवेसी डिस्टर्ब होती है. रिस्क रहता है कि आपके डेटा का इस्तेमाल करके क्या अपराध होगा? निश्चित रूप से Personal Data Protection Law आने के बाद इस पर रोक लगेगी. अभी हम साइबर क्राइम की सब्सटेंटिव लॉ में BNS की धाराओं के तहत कार्रवाई कर रहे हैं. जो चीटिंग की धारा है, 318 और IT एक्ट-2000 के तहत हम कार्रवाई करते हैं. 

हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि अगर विदेश में बैठे अपराधियों की पहचान तय हो जाए, तो तरीका वही है कि हम 'एलाइट म्यूचुअल लीगल असिस्टेंट ट्रीटी' के तहत उनकी गिरफ्तारी', या उनसे एविडेंस कलेक्शन के लिए प्रयास करें, तो ये बड़ा कठिन कार्य है. विशेषकर ये देखते हुए कि जितनी संख्या में अपराध हो रहे हैं. उसमें व्यवहारिक तौर पर उस तरीके से या कानूनी तरीके से उनको गिरफ्तार करके लाना है. या उनसे पैसा वापस वसूल करना लगभग असंभव सा है. तो बेहतर ये है कि अपराध होने न दें और अगर हो गया. तो पैसा बाहर जाए उससे पहले हम अपने इंडियन सिस्टम में ही उसको रोक लें.

हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि हमारा सारा फोकस ही अवेयरनेस पर है. आप लोगों के माध्यम से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से जागरूक करते हैं. किसी वारदात का नया तरीका ध्यान में आता है, हम तुरंत उसके बारे में एडवाइजरी जारी करते हैं. दो-तीन उदाहरण मैं आपको शेयर करता हूं. जैसे कि कुंभ के पहले लोगों के पास मैसेज आने शुरू हो गए कि ये पैकेज है. होटल में आपकी डील करा दें, होटल में आपकी 4 दिन की यात्रा बुक करा दें. उस पर लोगों के साथ बहुत ठगी हो रही थी. हमने उनको कहा कि ये लिस्ट यूपी पुलिस से प्राप्त हुई है, चेक किए हुए होटल्स के नाम और एड्रेस हैं. आप इनमें चेक कर लें, अगर इनमें है तो आप बुक करें अन्यथा आप अपना पैसा इसमें ना डुबाएं. दूसरा है डिजिटल अरेस्ट का, आपने भी इसके बारे में सुना होगा. 

हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि अवेयरनेस से कितना फर्क पड़ता है देखिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने 'मन की बात' में इसका जिक्र किया. डेढ़-दो मिनट तक उन्होंने इस पर कहा और मंत्र दिया कि रुको सोचो और कार्रवाई करो. उसके बाद अवेयरनेस लोगों में बढ़ी, डिजिटल अरेस्ट के मामलों में पूरे देश में कमी आई है. फिर जैसे एक तरीका है साइबर स्लेवरी का, जो स्किल्ड लोग हैं. अंग्रेजी अच्छी बोल लेते हैं, कंप्यूटर के बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं. उनको नौकरी का प्रलोभन देकर साउथ-ईस्ट एशियन कंट्रीज में ले जाते हैं. उनसे हमने इतना ही कहा है कि जो भी आपको रोजगार के नाम पर ले जा रहा है. आप विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर चेक कर लीजिए, उस व्यक्ति को रजिस्टर्ड एजेंट होना जरूरी है. अगर वो रजिस्टर्ड एजेंट नहीं है, तो आप उस व्यक्ति से किसी तरह का संपर्क नहीं रखें और उसकी रिपोर्ट करें. 

उन्होंने कहा कि कंप्यूटर, स्मार्ट फोन, एंड्रॉयड फोन ये हमारे Life के हर पहलू में ऐसा जुड़ गया है. उतने ही ज्यादा अवसर उनको मिल रहे हैं, अब जैसे ई-चालान के नाम पर जो ट्रांसपोर्ट विभाग है. उसकी वेबसाइट के लिंक से मिलते-जुलते लिंक से इन्होंने भेजना शुरू किया. हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि फिर हमने लोगों को आगाह किया कि ये लिंक है, जो भारत सरकार के हैं, या कोई सरकारी वेबसाइट होती तो उसके लास्ट में gov.in या nic.in इस तरीके से होगा. तो आप उसको रिस्पॉन्ड करें वो सरकारी हैं, अन्यथा वो फ्रॉड का हो सकता है. 
जैसे कहीं से कोई जानकारी चाहिए तो हम हेल्पलाइन पर ढूंढते हैं. कस्टमर हेल्पलाइन के लिए गूगल पर सर्च करते हैं, जो टॉप सर्चेज आते हैं वो फ्रॉड के हैं. आपको आभास होगा कि आप उस कंपनी के हेल्पलाइन पर डायल कर रहे हैं और वो किसी ठग का नंबर होगा.

हेल्पलाइन नंबर अगर किसी को देखना है तो आपके इस कार्यक्रम के माध्यम से मैं लोगों से गुजारिश करुंगा.जिस किसी भी कंपनी का हेल्पलाइन नंबर जानना चाहते हैं, उस कंपनी की ओरिजिनल वेबसाइट पर जाएं और वहां से आप हेल्पलाइन नंबर लीजिए, बजाय इसके कि आप गूगल पर सर्च कर हेल्पलाइन नंबर ले रहे हैं. APK फाइल का मतलब है Android Package Kit. कोई नया ऐप आपके फोन में अगर डाउनलोड होना है, तो APK फाइल के जरिए कोई आपके फोन में भेज देगा. आप उसको क्लिक करेंगे तो App आपके फोन में डाउनलोड हो जाएगा. कोई भी App आंख मूंदकर आपको अपने फोन में डाउनलोड नहीं करना है. हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि उसमें हो सकता है कोई मैलवेयर हो और आपके फोन की स्क्रीन का ऐक्सेस उसके हाथ में चला जाए. कभी भी जब आपको ऐप अगर डाउनलोड करना है, तो आप आश्वस्त हो जाएं कि ऐप का जो सोर्स है, वो Reliable Source हो. गूगल प्ले है या प्ले स्टोर है या ऐप के दूसरे Reliable Source हैं तो वहां से डाउनलोड करें. अन्यथा कोई ऐप डाउनलोड नहीं करें, जो भी आपने ऐप डाउनलोड किया है. उसको हर व्यक्ति को चेक करना चाहिए कि उसमें क्या-क्या परमिशन दे रखी है?

हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि हम इंटेलिजेंस कलेक्शन के हिसाब से या किसी एक सबसे अच्छी चीज जो हुई है. साइबर क्राइम के बारे में वो I4C है, I4C मतलब कि इंडियन साइबर क्राइम को ऑर्डिनेशन सेंट. गृह मंत्रालय भारत सरकार के तहत एक नया विंग खुला है, इन्होंने इतना शानदार काम किया है. उनकी बदौलत सभी राज्यों में एक रणनीति के तहत कार्रवाई हो रही, को-स्टैंडर्ड प्रैक्टिस किसी स्टेट में होता है. तो तुरंत उसको अडॉप्ट करके मॉडिफाई करके सबसे शेयर करते हैं, बड़े क्लोजली मॉनिटरिंग करते हैं. इसकी गंभीरता का अनुमान आप इससे लगा लें कि गृह मंत्री अमित शाह खुद इसकी क्लोज मॉनिटरिंग करते हैं. अभी लास्ट वीक मैं दिल्ली मीटिंग में गया था, तो उसमें जो बेस्ट प्रैक्टिसेज हैं हम शेयर करते हैं. उसमें तरीके हैं कि साइबर पेट्रोलिंग हम करते रहते हैं. 

Keyword के आधार पर ढूंढते हैं कि टेलीग्राम में या ऐसे किसी में अगर कोई गलत चीज चल रही है. तो उसके खिलाफ कार्रवाई करें. हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि बैंकों की भूमिका कुछ कैसेज में जो आई है, KYC वेरिफिकेशन में उनकी लापरवाही रही है. मान लीजिए किसी ऐसे आदमी का खाता है, जिसमें असामान्य रूप से रकम नहीं आनी चाहिए, नहीं जानी चाहिए. तो उसके आधार पर उनको कार्रवाई जो करनी चाहिए, वहां पर या तो लापरवाही रही है, या किन्ही-किन्ही मामलों में मिलीभगत भी पाई गई है.- हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि तो अब इस बारे में पूरे देश में सजगता पहले तो थोड़ा हमारा नरमी का रवैया था. वो भी शायद जाने अनजाने में काम करते-करते इनसे हो गया होगा, लेकिन जब बड़े-बड़े केस आए तो निर्णय लिया कि बैंक वालों की भी अपराधिक जिम्मेदारी तय करनी पड़ेगी. बड़ा सख्त मैसेज भेजना पड़ेगा कि आपकी भागीदारी के कारण ही अपराध हो रहे हैं. आप कंट्रोल रखेंगे केवाईसी सही तरीके से करेंगे तो पैसा गलत खातों में नहीं आएगा और आगे ट्रांसफर नहीं होगा.

हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि ये बड़ा मुश्किल है, ये बिल्कुल ऐसा है जैसे बाजार में हर तरह के सामान उपलब्ध हैं. हर आदमी अपने तरीके से पकवान बना रहा है, तो खाने वाले को ध्यान रखना चाहिए. जहर खा रहा है या अच्छी चीज खा रहा है, इसमें कंट्रोल करना बहुत मुश्किल है.क्योंकि लोग अपनी सहूलियत के लिए हजारों ऐप्स बना रहे हैं. हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि छोटे बच्चे 11वीं और 12वीं के बच्चे एप बना लेते हैं, फिर शेयर करते हैं.जिससे सहूलियत बढ़ती है. आज सहूलियत इतनी ज्यादा है कि चंद अपराध के पीछे हम अपराध को रेगुलेट करने का प्रयास करें, तो वह Contraproductive होगा, IT तो हमारी सहूलियत के लिए है. उसको अगर हम रेगुलेट करने लगें या पुलिसिंग करने लगें तो बड़ा मुश्किल काम है. क्योंकि संख्या इतनी ज्यादा है, फिर वो इनिशिएटिव खत्म हो जाएगा.

IT इनेबलमेंट का कॉन्सेप्ट प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा.  हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि 'फिशिंग जो है, Actually वेबसाइट से मिलती-जुलती वेबसाइट बनाकर ठगी कर लेना. उसमें भी बारीकी इतनी छोटी सी होती है, कि जैसे अंग्रेजी का छोटा सा अक्षर A है. उसकी जगह ग्रीक लेटर alfa लिख देंगे, वेबसाइट देखने वाला व्यक्ति ध्यान नहीं दे पाता. उस पर क्लिक कर देता है, फेक मेल पर जवाब दे देगा और अपना नुकसान कर लेगा. तो सतर्क रहना जरूरी है, इसका कोई विकल्प नहीं है. लालच नहीं करना है और भय में नहीं आना है. लालच और भय से बचने पर आपको कोई नहीं ठग पाएगा. हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि वो कहते हैं ना लालची के गांव में ठग कभी भूखा नहीं सोता. लोग वही ठगे जाते हैं, जब लालच करते हैं.

हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि 'Do's and Don'ts हम टाइम टू टाइम जारी करते रहे हैं. एक महीने का जनवरी में ऑपरेशन साइबर शील्ड के नाम से स्पेशल ड्राइव जब चलाया था, तो उसमें मैसिव कैंपेन पब्लिक अवेयरनेस का किया था, उसमें हमने Do's and Don'ts जारी किए थे. अभी नया प्रयास हमने बैंकों को लेकर किया है कि हर जिले में एक टास्क फोर्स होगा. जिसमें उस जिले के बैंक के एक नोडल ऑफिसर होंगे, हमारे एडिश्नल एसपी होंगे.  पेमेंट गेट-वे वाले लोग होंगे, ये मिलकर काम करेंगे और जहां भी जानकारी शेयर करने की जरूरत होगी. रियल टाइम लेवल पर हमसे पूछने की जरूरत नहीं है, टास्क फोर्स तुरंत काम करेगी. RBI के मार्फत हम बैंकों से जुड़ रहे हैं, अगले 5-6 महीने स्पेशल ड्राइव हम करेंगे. जो Mule Accounts हैं, यानि वो खाते जिनमें साइबर ठग पहली बार ठगी का पैसा लेते हैं. Mule Accounts को हमने आइडेंटिफाई किया है, उनका वेरिफिकेशन कराएंगे. उनको बंद कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे. 

हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि साइबर वॉलंटियर्स तो देखिये हमारे वो लोग हैं, समाज से जुड़े हुए हैं. अवैतनिक लोग हैं, जो हमारी बात को लोगों तक पहुंचाने में मदद करते हैं. कुछ लोग टेक्निकल रूप से सक्षम हैं, जो केस सुलझाने में हमारी मदद करते हैं. साइबर कमांडोज भारत सरकार का अनूठा प्रयास है, इसमें 6 महीने की ट्रेनिंग IIT में दिलाई जा रही है. राष्ट्रीय रक्षा इन्वेस्ट्री में और टॉप टेक्निकल इंस्टीट्यूशंस में साइबर सिक्योरिटी. साइबर क्राइम के मामले में कड़ी ट्रेनिंग दी जा रही है. हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि टेक्निकल एक्सपर्ट के तौर पर इनको तैयार किया जा रहा है. हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि राजस्थान का जहां तक प्रश्न है, अभी हमारे पास 17 साइबर कमांडोज तैयार होकर आए हैं. ये हमारे लड़के हैं, मतलब पुलिस के कांस्टेबल या हेड कांस्टेबल या सब इंस्पेक्टर रैंक के हैं. जिनको आईटी में इंटरेस्ट है, इन साइबर कमांडोज ने 6 महीने की ट्रेनिंग की है. फील्ड विजिट्स किए हैं, शानदार काम कर रहे हैं, साइबर सिक्योरिटी में और साइबर क्राइम में भी. मैं समझता हूं कि आने वाले 4 से 5 महीनों में इनका फर्क पूरे देश में दिखेगा.

राज्य के 40 जिलों में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन:
हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि शुरुआत में सेंट्रल साइबर पुलिस स्टेशन जयपुर में था. उनको एक निश्चित रकम से ज्यादा की ठगी का मामला दर्ज करने की शक्ति दी हुई थी, लेकिन जब मामले बढ़े, तो राज्य के 40 जिलों में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन हैं. वो भी जब अपर्याप्त महसूस हुआ तो निर्णय लेकर DGP के निर्देशों पर. कोई भी थाना साइबर क्राइम के मामले दर्ज करने में सक्षम है. परिवादी के थाने पहुंचने पर कोई टालमटोल नहीं की जाएगी. जिनके पास सबसे पहले शिकायत प्राप्त होती है, वो मामला दर्ज करेंगे. पेचीदा मामला होने पर मामला ट्रांसफर करने को लेकर मुख्यालय फैसला लेगा. राजस्थान में 1000 से ज्यादा थाने हैं, कोई भी थाना मामला दर्ज कर जांच कर सकता है. 

साइबर ठगी में सजा का प्रावधान:
हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि नॉर्मल साइबर क्राइम के ठगी के केस में भी सजा 3 साल है या कहीं 5 साल की भी सजा है, लेकिन पेचीदगी सजा और अपराध के दंड की गंभीरता का है कि वारदात का तरीका क्या है? ठगी कम्प्यूटर के माध्यम से हो रही है, तो सबूत डिजिटल होंगे, कई बार विदेश से लाने की जरूरत पड़ती है. उन्होंने कहा कि ये कॉग्निजेबल ऑफेंस हैं, आवश्यक पड़ने पर FIR दर्ज हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने तय कर रखा है कि गिरफ्तारी हो सकती है, इसलिए गिरफ्तार कर लेंगे. ये सोच गलत है कि गिरफ्तार करने की शक्ति होना अलग बात है. प्रकरण विशेष में उसकी आवश्यकता हो तो ही गिरफ्तार करें, वो केस टू केस निर्भर करता है. हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि इसमें इंटरनेशनल लेवल पर कुछ एजेंसियां हैं, जिन्होंने गूगल और मेटा के साथ टाइअप किया है और AI टूल्स के जरिए वो साइबर पेट्रोलिंग करते रहते हैं. हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि उनको जैसे ही कोई key वर्ड या कोई इनपुट या कोई सस्पेक्ट मिलता है, तो वो तत्काल हमसे शेयर करते हैं और उसके आधार पर हम कार्रवाई करते हैं. जैसे चाइल्ड पोर्न का मैटर है, कोर्ट ने डिसाइड किया है कि आपके मोबाइल या कम्प्यूटर में चाइल्ड पोर्न का मेटिरियल है, तो सिर्फ होना ही आपको दंडित कराने के लिए पर्याप्त है. 

हेल्पलाइन 1930 को लेकर लोगों में जागरूकता काफी:
हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि इस तरह के मामलों को लेकर अलर्ट रहना चाहिए, सख्त कार्रवाई हो सकती है. टिप लाइन पर हमारे पास जानकारी आती है. पहले जोधपुर में एक केस आया था, जिसमें दो भाई थे, जो रुपए लेकर ऐसी क्लिप्स भेज रहे थे. हमारे पास जानकारी आने पर मामले की जांच कर कार्रवाई की. हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि हम चाइल्ड एब्यूज रोकने के लिए स्कूल्स में भी काम कर रहे हैं. आपने देखा होगा पिछले हफ्ते जयपुर में पुलिस कमिश्नरेट ने साइबर सपोर्ट सेंटर शुरू किया है. वहां साइकोलॉजिस्ट होंगे, काउंसलर्स होंगे, इस तरह के मामले अगर आते हैं, तो बच्चों और उनके पैरेंट्स को हम काउंसलिंग और गाइडेंस उपलब्ध कराएंगे. हेल्पलाइन 1930 को लेकर लोगों में जागरूकता काफी है. क्योंकि जिस रफ्तार से हमारे पास कॉल आते हैं, 1930 नंबर पर नॉन स्टॉप कॉल आते हैं. अगर कम्प्यूटर की थोड़ी बहुत जानकारी रखते हैं. तो cybercrime.gov.in पर खुद डिटेल्स भरकर दर्ज कर सकते हैं.

साइबर ठगी से बचने के लिए कॉलर ट्यून पर जागरूकता:
हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि बिलकुल ऐसा किया जा सकता है, लेकिन उससे आगे बढ़कर जो दूसरे सामान्य तरीके हैं. जैसे आपने देखा होगा कि बीच में हमने जितने भी सिनेमा हॉल्स हैं, वहां ठगी के अलग-अलग जो तरीके हैं. उनसे संबंधित एक मिनट का वीडियो बनाकर चलवाया था. हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि आपने देखा होगा कि हमने I4C के साथ मिलकर इनिशिएटिव लिया है. वो कॉलर ट्यून पर आ रहा है, हर आदमी फोन करता है. कॉलर ट्यून पर आने से जागरूक करने का प्रयास जारी है, जैसे कोविड में था. कोविड में भी हमने जंग जीती है, क्योंकि लोग जागरूक होकर एहतियात बरतने लगे. ये भी वैसी ही गंभीर चुनौती है, हमने अभी इसको कॉलर ट्यून पर डाल रखा है. जब लोग सतर्क होंगे तो निश्चित तौर पर फर्क पड़ेगा. 

साइबर क्राइम की दुनिया में बचाव ही सुरक्षा:
हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि बचाव में ही सुरक्षा है, लालच की प्रवृत्ति से बचें. अगर कोई कहता है कि महीने में पैसा डबल हो रहा है तो अंबानी-अडानी इतनी मेहनत नहीं करते. अगर अलवर के खेत में सोना गड़ा हुआ मिलता रहता तो लोगों को इतनी मेहनत करने की जरूरत नहीं थी. गाढ़ी कमाई के पैसे को तुरंत दोगुना करने के लालच में नहीं पड़ें. आपके पैसे को संभालकर रखें और घबराएं नहीं. उन्होंने कहा कि फिर से प्रधानमंत्री जी की बात को मैं दोहराऊंगा कि 'रुकें, सोचे और एक्शन लें. बचाव ही सुरक्षा है और अपने साथ वालों को भी जागरूक करते रहें. साइबर अपराधों से बचने के लिए सतर्क रहें, जल्दी से किसी फ्रॉड कॉल को ना उठाएं. किसी भी लिंक को जल्दी से ओपन ना करें, कोई भी थोड़ी सी भी संदेह वाले App. वेबसाइट या मैसेज हों तो पहले 'ठहरे, सोचें और फिर एक्शन लें.