नई दिल्ली: कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) बिल 2024 पेश कर दिया. कानून मंत्री किरेन रिजिजू बिल पर बयान देते हुए कहा कि बिल से संविधान का उल्लंघन नहीं है. ये बिल न्याय के लिए लाया गया है, जिन्हें हक नहीं मिल रहा, उनके लिए बिल. चंद लोगों ने वक्फ बोर्ड पर कब्जा कर रखा है. बिल का समर्थन कीजिए, करोड़ों दुआएं मिलेगी. बिल से किसी का हक छीना नहीं जा रहा. सबको मालूम है वक्फ के पास कितनी प्रॉपर्टी है. वक्फ के रेवेन्यू का सही आकलन होना चाहिए.
JDU और TDP ने बिल का किया समर्थन:
JDU और TDP ने बिल का समर्थन किया. शिवसेना (शिंदे) ने बिल का समर्थन किया. वक्फ संशोधन बिल का कांग्रेस ने विरोध किया. समाजवादी पार्टी, NCP(SP) ने बिल का विरोध किया. वाईएसआर कांग्रेस ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का विरोध किया. डीएमके, TMC ने बिल का विरोध किया. AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने बिल को संविधान का उल्लंघन बताया. अखिलेश यादव ने कहा कि बिल सोची-समझी राजनीति के तहत पेश हो रहा.
बिना चर्चा के बिल किया पेश:
अखिलेश यादव ने वक्फ बिल का विरोध किया. अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी तुष्टिकरण के लिए बिल लाई है. अमित शाह ने बयान पर आपत्ति जताई. अखिलेश के बयान पर अमित शाह ने आपत्ति जताई. अमित शाह ने कहा कि अखिलेश गोलमोल बात न करें. अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी हताश और निराश है. सुप्रिया सुले ने कहा कि वक्फ (संशोधन) बिल को वापस लिया जाए. अभी ये बिल लाने की क्या जरूरत थी. बिना चर्चा के बिल पेश किया गया.
सरकार को कानून बनाने का हक:
आपको बता दें कि आज लोकसभा में वक्फ (संशोधन) बिल 2024 पेश कर दिया गया. जिसको लेकर जहां विपक्ष विरोध में खड़ा है, वहीं एनडीए पूरी तरह से एकजुट नजर आ रहा है. एनडीए के अहम घटक जेडीयू ने वक्फ संशोधन बिल का सपोर्ट किया है. ललन सिंह ने सदन में कहा है बिल मुस्लिम विरोधी नहीं है. धार्मिक स्थल और संस्थानों में अंतर है.विपक्ष भ्रम फैलाना चाहता है. सरकार को कानून बनाने का हक है. इस बिल को लाया जाना चाहिए है.मस्जिद से छेड़छाड़ की कोशिश नहीं की गई है. कोई निरंकुश संस्था कानून से ऊपर नहीं है.
सरकार पारदर्शिता के लिए कानून बनाएगी:
ललन सिंह ने कहा कि ये मंदिर की बात करते हैं, लेकिन इसमें मंदिर की बात कहां से आ गई. कोई भी संस्था जब निरंकुश होगी तो सरकार उस पर अंकुश लगाने के लिए, सरकार पारदर्शिता के लिए कानून बनाएगी. ये उसका अधिकार है. पारदर्शिता होनी चाहिए और ये बिल पारदर्शिता के लिए है. उन्होंने कहा कि ये अल्पसंख्यकों की बात करते हैं, सिखों का कत्लेआम किसने किया था. वहीं सदन में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने कहा कि वक्फ (संशोधन) बिल को वापस लिया जाना चाहिए. अभी ये बिल लाने की क्या जरूरत थी. बिना चर्चा के बिल पेश किया गया है.