जयपुरः मेवाड़ के महान शासक और राजपूताना के शौर्य के प्रतीक महाराणा प्रताप को राज्य सरकार ने आदरांजलि देते हुए महाराणा प्रताप सर्किट बनाने की योजना तैयार की है. करीब 150 किलोमीटर क्षेत्र में महाराणा प्रताप से जुड़ी हर वस्तु और स्थान को इस सर्किट में विकसित किया जाएगा. साथ ही प्रताप के सहयोगी रहे भामाशाह, राणा पूंजा, थाला मान, पन्नाधाय और बप्पा रावल से जुड़े स्थान भी इस सर्किट से जोड़े जाएंगे. जल्द ही 100 करोड रुपए में तैयार होने वाले महाराणा प्रताप सर्किट पर काम शुरू होगा.
महाराणा प्रताप के शौर्य का प्रतीक होगा सर्किट !
राज्य सरकार 100 करोड़ रुपए खर्च कर तैयार करवा रही सर्किट
अब सर्किट में छापली और चित्तोड़ को भी किया शामिल
प्रताप सर्किट में 150 किलोमीटर क्षेत्र में होंगे विभिन्न कार्य
चावंड, हल्दीघाटी, गोगुंदा, कुंभलगढ़, दिवेर, उदयपुर, छापली, चित्तौड़
पीडीकोर से डीपीआर करवाई जा रही तैयार
देश दुनिया के पर्यटकों को महाराणा प्रताप के शौर्य को जानने का मिलेगा मौका
मेवाड़ की आन, बान और शान के प्रतीक महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा को पर्यटक अब तक सुनते या पढ़ते ही थे.. लेकिन अब देख भी सकेंगे, महसूस कर सकेंगे और उनके आदर्शों को आत्मसात भी कर सकेंगे. प्रदेश की भजन लाल शर्मा सरकार में महाराणा प्रताप के शौर्य को आदरांजलि देते हुए प्रदेश में 100 करोड रुपए की लागत से महाराणा प्रताप सर्किट पर काम शुरू किया है. इस सर्किट में कुंभलगढ़ से चित्तौड़ तक महाराणा प्रताप से जुड़े हर स्थान को शामिल किया गया है. महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ में हुआ और उनका राजतिलक गोगुंदा में हुआ था. उन्होंने अपनी राजधानी चावंड को बनाया. दिवेर, खमनोर, छापली और हल्दीघाटी में युद्ध किया. उनके जीवन से जुड़ी याद है उदयपुर और चित्तौड़ तक हैं. ऐसे में इस सर्किट में इन सभी क्षेत्रों में विभिन्न विकास कार्य, स्मारक और आर्ट गैलरी, 2D व 3D लाइट एंड साउंड शो सहित अन्य कार्य कराए जाएंगे. यही नहीं महाराणा प्रताप का साथ देने वाले भामाशाह, राणा पूंजा, झाला मान, बप्पा रावल से जुड़े स्थान भी महाराणा प्रताप सर्किट में विकसित किए जाएंगे. पीथळ और पन्नाधाय से जुड़े स्थान भी इस सर्किट में सम्मिलित होंगे. राज्य प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत का कहना है कि महाराणा प्रताप राजपूताना के शौर्य, बलिदान और साहस के प्रतीक हैं. ऐसे में देश दुनिया के पर्यटक, शोध छात्र और राजस्थान के इतिहास में रुचि लेने वालों के लिए यह सर्किट महत्वपूर्ण साबित होगा.
यूं तो राजस्थान के प्रत्येक किले, महल, स्मारक, बोली-भाषा, खानपान, पहनावा.. सभी देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं.. लेकिन अब राज्य सरकार ने एक नई पहल की है मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने महाराणा प्रताप को श्रद्धांजलि देते हुए बजट में 100 करोड रुपए के महाराणा प्रताप सर्किट की घोषणा की थी. यह सर्किट महाराणा प्रताप इतना जीवंत होगा कि महाराणा प्रताप के कदम उनके जीवन काल में जहां-जहां पड़े उसे हर स्थान को इस सर्किट में विकसित किया जाएगा. स्मारक बनाए जाएंगे, आर्ट गैलरी बनेगी, लाइट एंड साउंड शो आयोजित होंगे, उनकी युद्ध कला, उनके शासन के गुण और शौर्य को कुछ इस तरह से प्रदर्शित किया जाएगा कि वहां आने वाला पर्यटक एकदम जीवंत तरीके से प्रदर्शित वस्तुओं से साक्षात कर सके. पर्यटन विभाग ने इस कार्य के लिए धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण को जिम्मेदारी दी है. जल्द ही सर्किट पर कार्य शुरू होगा और आने वाले एक दो वर्षों के अंदर यह सर्किट पूरी तरह से तैयार हो जाएगा. इसके बाद किताबों में महाराणा प्रताप की गाथा सुनाने वाले अब इस सर्किट के माध्यम से उनको देखा और महसूस भी कर सकेंगे.