जयपुर: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि हमारे देश में गुलामी की मानसिकता को समाप्त करने का राष्ट्रीय लक्ष्य तय किया गया है. जनजातीय समाज के लोग गुलामी की मानसिकता से हमेशा मुक्त रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जनजातीय गौरव के बारे में देश भर में एक नई चेतना का संचार हुआ है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को बांसवाड़ा स्थित मानगढ़ धाम में आयोजित आदि गौरव सम्मान समारोह के अवसर पर सम्बोधित कर रही थीं.
उन्होंने कहा कि 17 नवंबर, 1913 को मानगढ़ धाम में अंग्रेजों ने भील समुदाय के 1500 से अधिक बहादुरों की निर्मम हत्या कर दी थी. उन्होंने कहा कि इस गौरवशाली बलिदान की शौर्य गाथाओं के बारे में पूरे देश के लोगों को, विशेषकर युवाओं को जानकारी होनी चाहिए. उन्होंने इस अवसर पर मानगढ़ आंदोलन से जुड़े भील समुदाय के गीत... भूरेटिया, नई मानूं रे नई मानूं... का भी उल्लेख किया.
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने आदि गौरव सम्मान प्राप्त करने वाले सभी व्यक्तियों को बधाई देते हुए इस बात पर खुशी जताई कि महिलाओं की संख्या सम्मान प्राप्त करने वालों में अधिक रही. उन्होंने कहा कि महिलाओं का विकास किसी भी समाज के विकास का आईना है. इसलिए यह आदिवासी समाज राजस्थान और पूरे देश के लिए गर्व की बात है. उन्होंने कहा कि यह सम्मान समारोह आदिवासी समाज की बहुमुखी क्षमता और उनके विभिन्न क्षेत्रों में दिए गए अमूल्य योगदान का प्रमाण है.
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि राजस्थान के जनजातीय समाज के बेटे और बेटियां खेलकूद की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का गौरव बढ़ा रहे हैं, यह बेहद खुशी की बात है. उन्होंने देश की लैक्रोस टीम की कप्तान चुनी गई राजस्थान की आदिवासी बेटी सुनीता मीना सहित राजस्थान के सभी खिलाड़ियों की प्रशंसा की और उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को सराहा. राष्ट्रपति ने हाल ही में शुरू किए गए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य जनजातीय समुदाय के पांच करोड़ से अधिक लोगों को लाभान्वित करना है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह अभियान आदिवासी समाज के गौरव को बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम बनेगा. उन्होंने जनजातीय समुदायों, किसानों और महिलाओं सहित वंचित वर्गों के कल्याण और विकास हेतु अनेक क्षेत्रों में सक्रियता के लिए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को साधुवाद भी दिया.