नई दिल्ली: राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 21 सदस्यों ने यहां अपने विचार प्रस्तुत किए. एक तरह से गृह मंत्रालय के अनेक कार्यों के आयामों को समेटने का प्रयास किया गया. सबसे पहले मैं उन हजारों राज्य पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ सीमाओं को मजबूत करने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया.
अमित शाह ने कहा कि एक तरह से गृह मंत्रालय बहुत कठिन परिस्थितियों में काम करता है. संविधान ने कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यों को दी है. सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है. यह एक सही निर्णय है. इसमें कोई बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन जब कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यों की है, तो 76 साल बाद अब ऐसी स्थिति है कि कई तरह के अपराध राज्य की सीमा तक सीमित नहीं रह गए हैं,
वे अंतरराज्यीय भी हैं और बहुराज्यीय भी हैं - जैसे नारकोटिक्स, साइबर अपराध, संगठित अपराध गिरोह, हवाला. ये सभी अपराध सिर्फ एक राज्य के भीतर नहीं होते हैं. देश में कई अपराध देश के बाहर से भी होते हैं. इसलिए इन सबको ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय में बदलाव करना जरूरी हो जाता है. मैं यह गर्व के साथ कहता हूं कि 10 साल में पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गृह मंत्रालय में लंबे समय से लंबित बदलाव एक बार में किए हैं.
4 दशक से तीन समस्याएं नासूर थी:
जब 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार सत्ता में आई, तो हमें 2014 से पहले की कई विरासत की समस्याएं मिलीं. इस देश की सुरक्षा और विकास को हमेशा तीन मुख्य मुद्दों के कारण चुनौती दी गई. इन तीन मुद्दों ने देश की शांति में बाधा उत्पन्न की, देश की सुरक्षा पर सवाल उठाए और लगभग 4 दशकों तक देश के विकास की गति को बाधित किया. उन्होंने देश की पूरी व्यवस्था को भी कई बार हास्यास्पद बना दिया. ये तीन मुद्दे थे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, तिरुपति से पशुपतिनाथ तक का सपना दिखाने वाला वामपंथी उग्रवाद और पूर्वोत्तर में उग्रवाद. यदि आप इन तीनों मुद्दों को एक साथ जोड़ दें, तो इस देश के लगभग 92,000 नागरिक 4 दशकों में मारे गए. इन तीनों मुद्दों के उन्मूलन के लिए कभी भी सुनियोजित प्रयास नहीं किया गया.
टेक्नोलॉजी से नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे:
अमित शाह ने कहा कि आज आतंकवादी जहां मरते है, वहीं दफन हो जाते है. अब लालचौक पर तिरंगा फहर रहा है. लाल चौक पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया. कश्मीर में बंद पड़े सिनेमाघरों को हमने खोला. 370 हटाने के बाद आतंकी घटनाओं में कमी आई. साल 2024 में एक भी पथराव की घटना नहीं हुई. पहले आतंकियों के परिजन सिस्टम में थे. 2025 में घाटी में एक भी हड़ताल नहीं है. आज हम टेक्नोलॉजी से नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद समाप्त होगा. नक्सलवाद को खत्म करना ही हमारा मकसद है. नक्सलवाद राजनीतिक समस्या नहीं है. हमने नक्सलियों की आर्थिक कमर तोड़ी है. सेना देश में एक भी नक्सलवादी नहीं छोड़ेगी. नक्सलियों के फाइनेंसर को खत्म किया है. नक्सलवाद खत्म करना हमारा प्रण है.
एक नेता को दूर से आतंकी दिखा था:
अमित शाह ने बिना नाम लिए राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि एक नेता को दूर से आतंकी दिखा था. नजर में आतंकी तो सपने में भी आतंकी दिखेगा. हम न आतंकवाद सहते हैं, ना आतंकवादियों को. पूर्वोत्तर में हिंसा की घटनाओं में 70% कमी आई है. जहां सूर्य भी नहीं पहुंचते हैं वहां जवान तैनात हैं.