राजधानी के पास स्थित चंदलाई झील का निरीक्षण, जिम्मेदार सरकारी एजेंसियों के अधिकारी आए हरकत में

जयपुरः राजधानी से कुछ दूरी पर स्थित चंदलाई झील में बढ़ रहे प्रदूषण और अतिक्रमण को लेकर भले ही जिम्मेदार सरकारी एजेंसियां लापरवाह रही हों, लेकिन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इसी मामले में जिम्मेदार एजेंसियों से एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है. एनजीटी के आदेश की पालना के तहत ही चंदलाई झील का आज विभिन्न सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों ने संयुक्त मौका मुआयना किया. 

चंदलाई झील में बढ़ते प्रदूषण और अतिक्रमण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की भोपाल स्थित सेंट्रल जोन बेंच के आदेशों के तहत पर्यावरण विभाग, जल संसाधन विभाग, राजस्व विभाग, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, राजस्थान वेट लैंड ऑथोरिटी और स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने मौका मुआयना किया. इस दौरान अधिकरियों ने यहां झील के भराव क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमणों और झील के प्रवाह क्षेत्र में इंडस्ट्रियल वेस्ट डाल रही रंगाई-छपाई की इकाईयों का मौका मुआयना किया. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में मामले में अगली सुनवाई इस 8 नवंबर को है. इससे पहले मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट और मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट सरकारी एजेंसियों को ट्रिब्यूनल में पेश करनी है. आपको बताते हैं कि यह मामला किस तरह नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में चला-

-देवीलाल खत्री बनाम राजस्थान राज्य व अन्य के मामले में 27 जुलाई को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सुनवाई हुई थी

-मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में लगाई याचिका में कहा गया है कि "चंदलाई झील के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण किया जा रहा है"

-"औद्योगिक इकाईयों की और से औद्योगिक अपशिष्ट बिना परिशोधन के सीधे झील में डाला जा रहा है"

-"सैकड़ों प्रजातियों के प्रवासी पक्षी इस झील पर आते हैं"

-"लेकिन बढ़ते प्रदूषण और अतिक्रमण के कारण इन पक्षियों की संख्या में तेजी से कमी हो रही है"

-"प्रदेश में राजस्थान झील संरक्षण व विकास प्राधिकरण अधिनियम लागू है"

-"इसकी धारा 6 के अनुसार यह प्राधिकरण झील के संरक्षित और बहाव क्षेत्र में हुए किसी भी निर्माण को हटा सकता है"

-"स्टेट वेटलैंड ऑथोरिटी ने  चंदलाई झील के संरक्षण के लिए 31 अगस्त 2023 को अधिसूचना जारी की थी"  

-"इस ऑथोरिटी की 8 सितंबर 2023 को हुई बैठक में यह तय किया था कि झील में हो रहे अतिक्रमणों को नियमित तौर पर हटाया जाएगा"

-"लेकिन इन तमाम सरकारी कवायद के बावजूद भी झील के अस्तित्व पर प्रदूषण और अतिक्रमण से प्रतिकूल असर पड़ रहा है"

मामले में हुई सुनवाई के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जिम्मेदार एजेंसियों से झील में हो रहे अतिक्रमण व प्रदूषण को लेकर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है. साथ ही इस मामले में इन सरकारी एजेंसियों ने क्या एक्शन लिया, उसके बारे में भी रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए गए हैं. आपको विस्तार से बताते हैं कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में क्या कहा है. 

-नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मामले में छह विभिन्न एजेंसियों के अधिकारियों की कमेटी का गठन किया है

-इस कमेटी में वन,पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के प्रतिनिधि, जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के प्रतिनिधि,

-राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव के प्रतिनिधि, सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड के प्रतिनिधि, राजस्थान वेटलैंड ऑथोरिटी के प्रतिनिधि और

-स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी को शामिल किया गया है

-ट्रिब्यूनल ने इस कमेटी को मौका मुआयना करने के निर्देश दिए थे

-साथ ही मामले में तथ्यात्मक व की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी ट्रिब्यूनल में पेश की जानी है

-कमेटी यह भी सुनिश्चित करेगी कि झील के कैचमेंट एरिया में कोई अतिक्रमण नहीं हो

-साथ ही यह भी सुनिश्चित करेगी कि अन ट्रीटेड वाटर झील में नहीं छोड़ा जाए.