जयपुर: राजस्थान में सड़क सुरक्षा और ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया को अत्याधुनिक बनाने की दिशा में परिवहन विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. विभाग के साथ हुए एमओयू के तहत मारुति सुजुकी द्वारा राज्य के 10 RTO और DTO कार्यालयों में तैयार किए गए ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक्स अब अंतिम चरण में हैं. आज से लेकर 6 जनवरी तक इन सभी ट्रैकों को औपचारिक रूप से परिवहन विभाग को हैंडओवर किया जाएगा. यह पहल डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा और परिवहन सचिव शुचि त्यागी के विशेष प्रयासों का परिणाम है.
राजस्थान सरकार राज्य में सड़क सुरक्षा और स्मार्ट परिवहन ढांचे को विकसित करने पर लगातार काम कर रही है. इसी दिशा में डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा और परिवहन सचिव शुचि त्यागी ने इन ट्रैकों की स्थापना को प्राथमिकता दी. इन मॉडर्न ट्रैकों के शुरू होने के बाद विभाग की योजना अन्य जिलों में भी इसी तरह के ट्रैक विकसित करने की है.इन ट्रैकों के सक्रिय होते ही राजस्थान उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो जाएगा, जहां ड्राइविंग टेस्ट पूरी तरह ऑटोमैटिक सिस्टम पर आधारित होंगे. यह कदम सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में राज्य को नई ऊंचाई पर ले जाने वाला साबित होगा, इन ट्रैकों का निर्माण मारुति सुजुकी ने CSR फंड के तहत किया है. उद्देश्य है- ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने की प्रक्रिया को पारदर्शी, वैज्ञानिक और पूर्णतः सिस्टम आधारित बनाना, जिससे मानव हस्तक्षेप कम हो और सड़क सुरक्षा मानकों को मजबूत किया जा सके.
मारुति सुजुकी की ओर से बनाये गए ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक के हैंडओवर का काम आज से शुरू होगा , आज दौसा आरटीओ कार्यालय का ट्रैक विभाग को हैंडओवर किया जाएगा, इसके बाद 6 जनवरी तक सभी ट्रैक विभाग को हैंड ओवर किए जाएंगे.
कहां-कहां बने हैं ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक
राज्य में जिन 10 कार्यालयों पर ये आधुनिक ट्रैक तैयार किए गए हैं, उनमें छह RTO और चार DTO कार्यालय शामिल हैं.
RTO कार्यालय:
• दौसा
• भरतपुर
• सीकर
• चित्तौड़गढ़
• उदयपुर
• कोटा
DTO कार्यालय :
• राजसमंद
• डूंगरपुर
• झालावाड़
• बारा
कैसा होगा नया लाइसेंस टेस्ट
ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक पूरी तरह सेंसर आधारित हैं. इन पर लगे हाई-टेक कैमरे और डिजिटल सिस्टम अभ्यर्थी के ड्राइविंग टेस्ट को रियल टाइम में रिकॉर्ड करेंगे.
-वाहन पर लगे सेंसर से पता चलेगा कि अभ्यर्थी ने निर्धारित मार्ग का पालन किया या नहीं.
-ट्रैक के हर मोड़, रैंप, ब्रेकिंग पॉइंट, T-पॉइंट और U-टर्न पर ऑटोमैटिक स्कोरिंग सिस्टम काम करेगा.
-परीक्षण पूरा होने के बाद अभ्यर्थी का परिणाम कंप्यूटर जनरेटेड होगा, जिससे पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी.