नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की "मन की बात" कार्यक्रम हुआ. जहां मोदी ने संबोधित करते हुए कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों, जब कोई तीर्थयात्रा पर निकलता है तो एक ही भाव सबसे पहले मन में आता है, “चलो, बुलावा आया है. यही भाव हमारे धार्मिक यात्राओं की आत्मा है. ये यात्राएं शरीर के अनुशासन का, मन की शुद्धि का,आपसी प्रेम और भाईचारे का है, प्रभु से जुड़ने का माध्यम है. लंबे समय के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा का फिर से शुभांरभ हुआ है. हिंदू, बौद्ध, जैन हर परंपरा में कैलाश को श्रद्धा और भक्ति का केंद्र माना गया है. साथियों, 3 जुलाई से पवित्र अमरनाथ यात्रा शुरु होने जा रही है. और सावन का पवित्र माह भी कुछ ही दिन दूर है.
अभी कुछ दिन पहले हमने भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा भी देखी है. ओडिशा हो, गुजरात हो या देश का कोई और कोना, लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होते हैं. उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम, ये यात्राएं "एक भारत-श्रेष्ठ भारत" के भाव का प्रतिबिंब है. जब हम श्रद्धा भाव से पूरे समर्पण से और
पूरे अनुशासन से अपनी धार्मिक यात्रा संपन्न करते हैं, तो उसका भी फल मिलता है. मैं यात्राओं पर जा रहे सभी सौभाग्यशाली श्रद्धालुओं को अपनी शुभकामनाएं देता हूं.
मेघालय का एरिया सिल्कः
हमारा भारत जिस तरह अपनी क्षेत्रीय भाषाओं और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है. उसी तरह कला, शिल्प और कौशल की विविधता भी हमारे देश की एक बड़ी खूबी है. आप जिस क्षेत्र में जाएंगे वहां की कुछ ना कुछ खास और लोकल चीज के बारे में आपको पता चलेगा. हम अक्सर "मन की बात" में देश के ऐसे यूनीक प्रोडक्ट्स के बारे में बात करते हैं. ऐसा ही एक प्रोडक्ट है मेघालय का एरिया सिल्क, इसे कुछ दिन पहले ही GI टैग मिला है. आजकल दुनिया में ऐसे प्रोडक्ट्स की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. जिनमें हिंसा न हो और प्रकृति पर उनका कोई दुष्प्रभाव न पड़े. इसलिए मेघालय का एरी सिल्क ग्लोबल मार्केट के लिए एक परफेक्ट प्रोडक्ट है. इसकी एक और खास बात है, ये सिल्क सर्दी में गर्म करता है और गर्मियों में ठंडक देता है. इसकी ये खूबी इसे ज्यादातर जगहों के लिए अनुकूल बना देती है.
भगवान बुद्ध के विचारों में वह शक्ति है. जो देशों, संस्कृतियों और लोगों को एक सूत्र में बांधती है. इससे पहले भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष थाईलैंड और मंगोलिया ले जाये गए थे. और वहां भी श्रद्धा का यही भाव देखा गया. मेरा आप सभी से भी आग्रह है कि अपने राज्य के बौद्ध स्थलों की यात्रा अवश्य करें. यह एक आध्यात्मिक अनुभव होगा, साथ ही हमारी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का एक सुंदर अवसर भी बनेगा. इस माह हम सब ने विश्व पर्यावरण दिवस मनाया. मुझे आपके हजारों संदेश मिले कई लोगों ने अपने आसपास के उन साथियों के बारे में बताया. जो अकेले ही पर्यावरण बचाने के लिए निकल पड़े थे, और फिर उनके साथ पूरा समाज जुड़ गया. सबका यही योगदान हमारी धरती के लिए बड़ी ताकत बन रहा है.
एक पेड़ मां के नामः
पर्यावरण के लिए एक और सुंदर पहल देखने को मिली है गुजरात के अहमदाबाद शहर में. यहां नगर निगम ने "मिशन फॉर मिलियन ट्री" अभियान शुरू किया है. लक्ष्य है लाखों पेड़ लगाना, इस अभियान की एक खास बात है सिंदूर वन. यह वन ऑपरेशन सिंदूर के वीरों को समर्पित है. सिंदूर के पौधे उन बहादुरों की याद में लगाए जा रहे हैं जिन्होंने देश के लिए सब कुछ समर्पित कर दिया. यहां एक और अभियान को नई गति दी जा रही है "एक पेड़ मां के नाम. इस अभियान के तहत देश में करोड़ों पेड़ लगाए जा चुके हैं.
महाराष्ट्र के एक गांव ने शानदार मिसाल पेश कीः
आप भी अपने आपके गांव या शहर में चल रहे ऐसे अभियान में जरूर हिस्सा लीजिये. पेड़ लगाइए, पानी बचाइए, धरती की सेवा कीजिए. क्योंकि जब हम प्रकृति को बचाते हैं तो असल में हम अपनी आने वाली पीढियां को सुरक्षित करते हैं. साथियों महाराष्ट्र के एक गांव ने भी बड़ी शानदार मिसाल पेश की है. छत्रपति संभाजी नगर जिले की ग्राम पंचायत पाटोदा है. यह कार्बन नेचुरल गांव पंचायत है, इस गांव में कोई अपने घर के बाहर कचरा नहीं फेंकता. हर घर से कचरा इकट्ठा करने की पूरी व्यवस्था है. यहां गंदे पानी का ट्रीटमेंट भी होता है, बिना साफ किए पानी नदी में नहीं जाता. यहां उपलो से अंतिम संस्कार होता है. और उसे राख से दिवंगत के नाम पर पौधा लगाया जाता है. इस गांव में साफ सफाई भी देखते ही बनती है.