रवि योग में 17 सितंबर को होगी विश्वकर्मा पूजा, जानिए फायदे, महत्व और पूजा विधि

रवि योग में 17 सितंबर को होगी विश्वकर्मा पूजा, जानिए फायदे, महत्व और पूजा विधि

जयपुर: विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को पूरे विधि-विधान के साथ मनाई जाएगी. इस दिन सृष्टि का निर्माण कार्य करने वाले भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है और उनकी पूजा की जाती है. सभी मजदूर और मशीन पर काम करने वाले कुशल कामगार अपनी मशीनों की पूजा करते हैं और साथ ही भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि ब्रह्मांड के पहले इंजीनियर कहे जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाई जाएगी. इस बार की विश्वकर्मा पूजा रवि योग में है. 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा के दिन रवि योग सुबह 6:07 मिनट से प्रारंभ है, जो दोपहर 1:53 मिनट तक है. इस दिन हर कारखाने, फैक्ट्री और दुकानों में उनकी धूमधाम से पूजा की जाती है. इस दिन औजार से जुड़ा काम करने वाले कुशल मजदूर और कामगार औजार का प्रयोग नहीं करते बल्कि उनकी पूजा करके उन्हें एक दिन के आराम देते हैं. इस दिन फैक्ट्रियों में सभी मशीनों और कलपुर्जों की पूजा की जाती है. तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग विश्वकर्माजी को अपना भगवान मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं. 

ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा को वास्तुकार और शिल्पकार बताया गया है. साथ ही भगवान विश्वकर्मा ने ही इंद्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक, लंका और जगन्नाथपुरी का निर्माण किया था. शास्त्रों के अुनुसार उन्होंने ही भगवान शिव का त्रिशूल और विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र तैयार किया था. इस वजह से ही विश्वकर्मा जयंती पर शस्त्रों की पूजा अर्चना की जाती है.

विश्वकर्मा पूजा तिथि
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि विश्वकर्मा पूजा को लेकर लोगों के बीच में इस बार कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है. हर साल भाद्रपद मास में सूर्य जब सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करते हैं तो विश्वकर्मा पूजा मनाई जाती है. लेकिन इस बार लोगों के मन में 16 सितंबर को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है. इस बार सूर्य 16 सितंबर की शाम को 7:29 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं. इसलिए विश्वकर्मा जयंती अगले दिन यानी कि 17 सितंबर को मनाई जाएगी. बिहार, बंगाल और झारखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश में विश्वकर्मा पूजा विधिविधान से की जाती है. इस दिन कुशल कामगार जैसे कारपेंटर, बिजली के उपकरणों को सही करने वाले या फिर अन्य तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग भी भगवान विश्वकर्मा को भोग प्रसाद चढ़ाते हैं और उनकी पूजा करते हैं.

रवि योग 
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार की विश्वकर्मा पूजा रवि योग में है. 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा के दिन रवि योग सुबह 6:07 मिनट से प्रारंभ है, जो दोपहर 1:53 मिनट तक है.

विश्वकर्मा पूजा पर भद्रा का साया
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि विश्वकर्मा पूजा के दिन भद्रा का साया है. उस दिन भद्रा दिन में 11:44 मिनट से लग रही है. यह रात 9:55 मिनट तक रहेगी. इस भद्रा का वास पृथ्वी लोक पर है. धरती की भद्रा अशुभ प्रभाव वाली मानी जाती है, जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं. ऐसे में आपको विश्वकर्मा पूजा भद्रा से पहले कर लेनी चाहिए. 

राज पंचक
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि विश्वकर्मा पूजा के दिन राज पंचक लगा है. इस पंचक का प्रारंभ 1 दिन पहले यानी 16 सितंबर सोमवार से हो रहा है. सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है. राज पंचक शुभ फलदायी होता है.

विश्वकर्मा पूजा के फायदे
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि विश्वकर्मा पूजा के दिन लोग अपनी दुकान, वाहन, मशीन, औजार, कलपुर्जे आदि की पूजा करते हैं.इस अवसर पर देवता के शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है. उनके आशीर्वाद से बिजनेस में उन्नति होती है. पूरे साल भर काम अच्छे से चलता है. किसी भी प्रकार की कोई विघ्न बाधा नहीं आती है.

विश्वकर्मा पूजा का महत्व
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि विश्वकर्मा पूजा न सिर्फ मजदूरों और कामगारों बल्कि हम सभी के लिए भी जरूरी मानी जाती है. आज के युग में हर व्यक्ति मोबाइल और लैपटॉप के बिना अपना काम नहीं कर पाता है. इसलिए ये भी एक प्रकार की मशीन हैं और इनका प्रयोग करने वाले सभी लोगों के लिए भी विश्वकर्मा पूजा का महत्व बहुत खास माना गया है. इसलिए विश्वकर्मा पूजा के दिन हम सभी को पूजा करनी चाहिए और साथ ही यह भी प्राार्थना करनी चाहिए कि हम जिस भी मशीन से जुड़ा काम करते हैं साल भर वह मशीन ठीक से सुचारू रूप से कार्य करे, ताकि हमारे रोजाना के काम में बाधा न आएं.

विश्वकर्मा पूजा विधि 
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह सबसे पहले मशीनों की खूब अच्छे से साफ-सफाई करें और उसके बाद इन मशीनों को ऑफ करके इनकी पूजा करें. भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति को मशीनों के पास में रखकर साथ में दोनों की पूजा करनी चाहिए. इस दिन मशीनों के साथ-साथ आपको अपने वाहनों की पूजा करनी चाहिए. इस दिन घर की सभी छोटी-बड़ी मशीनों की पूजा करनी चाहिए और साथ ही आपको भोग व प्रसाद भी इस दिन चढ़ाना चाहिए. विश्वकर्मा पूजा के दिन आपको घर की बनी शुद्ध चीजों का ही भोग लगाना चाहिए. इनमें मोतीचूर के लड्डू, मीठी बूंदी, चावल की खीर या हलवे का भोग आप लगा सकते हैं. इस दिन कुछ स्थानों पर भंडारे का भी आयोजन किया जाता है. विश्वकर्मा पूजा के दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को रोजाना में प्रयोग आने वाली वस्तुओं का दान भी करना चाहिए.