VIDEO: कांग्रेस में नहीं हो रहा एक व्यक्ति-एक पद सिद्धांत का पालन, जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में नहीं रखा गया ख्याल, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में कांग्रेस ने वैसे तो उदयपुर चिंतन शिविर के कईं सिद्धान्तों का पालन किया है. लेकिन एक व्यक्ति-एक पद के प्रस्ताव को फॉलो नहीं किया. करीब डेढ दर्जन से ज्यादा ऐसे नेताओं को जिला अध्यक्ष बनाया गया है जिनके पास अब पार्टी में दो-दो पद हो गए हैं. 11 पीसीसी पदाधिकारियों को जिला अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं पंचायती राज संगठन के 5 पदाधिकारियों को भी जिला अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है.

कांग्रेस संगठन में नई जान फूंकने के मकसद से तीन साल पहले मई 2022 में उदयपुर में पार्टी का नवसंकल्प चिंतन शिविर का आय़ोजन हुआ था. इस चिंतन शिविर में सोनिया औऱ राहुल गांधी की मौजूदगी में कईं अहम फैसले लिए गए थे. जैसे एक परिवार से एक ही सदस्य को टिकट मिलेगा. 50 फीसदी पद  संगठन में 50 साल से कम आय़ु वाले नेताओं को मिलेंगे. महिला,दलित,एसटी,ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा. हाल ही में राजस्थान कांग्रेस में जो जिला अध्यक्ष नियुक्त हुए थे,उसमें इन प्रावधानों को तो जरूर फॉलो किया गया. लेकिन एक व्यक्ति-एक पद के सिद्धांत को बिल्कुल नहीं अपनाया गया. जिन नेताओं के पास पीसीसी और अन्य विंग में पहले से पोस्ट थी उनको भी जिला अध्यक्ष बना दिया गया. लिहाजा नाराज दावेदार अब इस सिद्धांत को नहीं मानने पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं.

जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में नहीं अपनाया एक व्यक्ति-एक पद का सिद्धांत
डेढ दर्जन नेताओं को पास संगठन में अब डबल पोस्ट
11 पीसीसी पदाधिकारियों को बनाया जिला अध्यक्ष
घनश्याम मेहर,राजकुमार जयपाल, रीटा चौधरी, राखी गौतम
इंद्राज गुर्जर,गणेश घोघरा,इंदिरा मीणा,संजय जाटव,मनीष मक्कासर
लक्ष्मण गोदारा और सऊद सईदी को सौंपी जिलों की कप्तानी
दो प्रदेश उपाध्यक्ष,6 महासचिव और 3 प्रदेश सचिवों को बनाया अध्यक्ष
राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के 5 पदाधिकारी भी बने जिला अध्यक्ष
महावीर मीणा,रमीला मेघवाल,प्रियंका मेघवाल,ओमकार वर्मा औऱ बलवान बने अध्यक्ष
12 विधायकों को भी सौंपी गई है जिला अध्यक्ष की बागडोर
विधायक गणेश घोघरा के पास अब हो गई है तीन पोस्ट
घोघरा के पास आदिवासी कांग्रेस प्रमुख,महासचिव और अध्यक्ष की है जिम्मेदारी

उदयपुर चिंतन शिविर में जब यह प्रस्ताव पारित किया गया था तब हाईकमान ने  बहुत बढ़ चढ़कर दावा किया था कि हर नेता को पूर्ण प्रतिबद्धता से इस सिद्धांत का पालन करना ही होगा. लेकिन. जब राजस्थान जिला अध्यक्षों की सूची सामने आई तो इस सिद्धांत का तो बिल्कुल पालन नहीं हुआ. लिहाजा जो जिला अध्यक्ष के दावेदार थे वो अब इस सिद्धांत की नेतृत्व को याद दिला रहे हैं. पीसीसी चीफ डोटासरा का कहना है कि जब पीसीसी का पुनर्गठन होगा तब उन्हें हटा दिया जाएगा और फिर वो सिर्फ जिला अध्यक्ष रहेंगे.

दरअसल इस सिद्धांत का पालन इसलिए पार्टी में बिल्कुल नहीं हुआ क्योंकि टॉप लेवल पर ही यह लागू नहीं हो पाया. जैसे खुद कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे तक ने इस सिद्धांत को फोलो नहीं किया. अध्यक्ष पद के साथ खड़गे राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर दोहरी जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं. वहीं डीके शिवकुमार भी पीसीसी चीफ के साथ डिप्टी सीएम भी है. दिग्गज नेताओं की डबल पोस्ट की एक लंबी फेहरिस्त है. लिहाजा जिसके चलते अब यह सिद्धांत कांग्रेस महज एक कागजी लाइन बनकर रह गया है.