VIDEO: फर्जी दस्तावेजों से डॉक्टरी का रजिस्ट्रेशन, अब नहीं देख सकेंगे मरीज, राजस्थान मेडिकल कौंसिल का चिकित्सकों के फर्जीवाड़े पर बड़ा एक्शन

जयपुर: राजस्थान मेडिकल कौंसिल में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्रेशन करवाने वालों पर लगातार सख्ती जारी है.कौंसिल में गडबड़ियों के खुलासे के बाद जारी जांच में आठ और ऐसे मामले पकड़े में आए है, जिसमें कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्रेशन करवाया.ऐसे मामलों में कौंसिल की जीबीएम ने सख्त एक्शन लेते हुए सभी के रजिस्ट्रेशन निरस्त किए है.साथ ही पुलिस में मामला भी दर्ज करवाया जा रहा है. दरअसल, पिछले दिनों फर्जी दस्तावेज से डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन होने का मामला सामने के बाद राजस्थान मेडिकल कौंसिल देशभर में चर्चाओं में रही.

राजस्थान के चिकित्सकों की सबसे बड़ी संस्थान की गिरती साख को बचाने के लिए आनन-फानन में प्रशासनिक तंत्र में बड़ा फेरबदल किया गया.इसके तहत चेयरमैन पद की डॉ जगदीश मोदी और रजिस्ट्रार के पद की डॉ गिरधर गोयल जिम्मेदारी सौंपी गई, साथ ही पूर्व के विवादित प्रकरणों की जांच भी शुरू की गई.इसी प्रक्रिया के दौरान आठ नए ऐसे मामले सामने आए है, जिसमें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पंजीयन कराया गए.इसमें से अधिकांश विदेश से एमबीबीएस करने वाले अभ्यर्थी है, जिन्होंने निर्धारित प्रक्रिया के तहत फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा (एफएमजीई) पास करने के बजाय कूटरचित दस्तावेज के आधार पर रजिट्रेशन करवा लिया.कौंसिल की तरफ से की गई जांच में ये सभी दस्तावेज फर्जी मिले है, जिसके चलते कौंसिल की जीबीएम की बैठक में ये सभी पंजीयन निरस्त किए गए है. आईए आपको बताते है कि अभ्यर्थी कैसे फर्जीवाड़ा करके बने चिकित्सक.

केस एक:
-मोहन लाल भाटी
-आर्यभट्ट ज्ञान विवि से खुद को पंजीकृत बताकर 2020 में कराया रजिस्ट्रेशन
-अब विवि ने अधिकृत पत्र में ऐसे किसी छात्र के पंजीयन को बताया गलत
-तो आरएमसी ने पिछली जीबीएम में मोहन लाल भाटी का रजिस्ट्रेशन किया निरस्त

केस दो:
-यशवंत सिंह, दर्जी कंजूभाई, प्रखर शुक्ला ने RUHS की फर्जी डिग्री से कराया रजिस्ट्रेशन
-आरएमसी ने तीनों चिकित्सकों का क्रमंश 2021,2021 और 2023 में किया रजिस्ट्रेशन
-पिछले दिनों RUHS प्रशासन ने जब खुद पत्र भेजकर इन चिकित्सकों के दस्तावेजों की पुष्टि नहीं की
-तो आनन-फानन में 15 अप्रेल 2025 को इन चिकित्सकों का रजिस्ट्रेशन किया निरस्त, जीबीएम में अब लगी मुहर

केस तीन:
-जगदीप सिंह मंगत, चन्द्रमोहन पामीशेट्टी, मनीष कुमार विजयवर्गीय
-विदेश से डॉक्टरी करने के बाद एफएमजीई परीक्षा उत्तीर्ण के दस्तावेज पेश करके 2013 में कराया पंजीयन
-एक शिकायती पत्र के आधार पर कराई गई जांच तो एफएमजीई परीक्षा के रोल नम्बर में पाया गया फर्जीवाड़ा
-इसके अलावा दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया तो कोई भी उपस्थित नहीं हुआ
-ऐसे में फर्जीवाड़े की पुष्टि होने पर जीबीएम में तीनों लोगों का पंजीयन निरस्त किया गया

केस चार:
-सुनील कुमार कुमावत
-विदेश से डॉक्टरी करने के बाद 2013 में कराया RMC में पंजीयन
-कुमावत ने डॉ राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में 2010 में इंटरशीप के दस्तावेज पेश किए, -जो रिकॉर्ड के मुताबिक वो पूर्ण नहीं थे 
-इसके अलावा कुमातव को दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया तो वो उपस्थित नहीं हुआ
-ऐसे में पेश दस्तावेज फर्जी मानते हुए जीबीएम में कुमावत का पंजीयन निरस्त किया गया

कौंसिल की जीबीएम की मुहर के साथ ही सभी अभ्यर्थियों के पंजीयन निरस्त किए जा चुके है.इसके साथ ही आपराधिक कृत्य को देखते हुए पुलिस में भी अभ्यर्थियों के बारे में सूचना भेजी जा रही है. हालांकि, कौंसिल के सख्त एक्शन के बाद फर्जीवाड़ा करने वालों में खलबली का माहौल है, लेकिन अभी भी सवाल ये जरूर उठ रहा है कि जिन लोगों ने ऐसे अभ्यर्थियों का रजिस्ट्रेशन करके राजस्थान में उपचार करने की छूट दी और जनता की सेहत से खिलवाड़ा किया, उन पर आखिर कब एक्शन होगा.