VIDEO: क्रिकेट के 'भाजपाईयों' में घमासान ! RCA एडहॉक कमेटी में विवाद जारी, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान क्रिकेट संघ की एड-हॉक कमेटी इस समय विवादों के घेराव में है, जहाँ क्रिकेट की पिच पर राजनीति की गुगली घूम रही है. जिसे खेल संचालन का अस्थायी समाधान माना गया था, वह अब सत्ता संघर्ष का स्थायी मैदान बन चुका है. कमेटी के पांचों सदस्य भाजपा के नेता है, लेकिन इनकी क्रिकेट पिच पर रन कम है और रंजिशे ज्यादा. समिति के भीतर नेतृत्व को लेकर टकराव, पारदर्शिता पर सवाल जैसे आरोपों ने इस संस्थान की साख को गहराई तक हिला दिया है. खेलप्रेमी निराश हैं कि जहाँ बल्ला और गेंद बोलने चाहिए थे, वहाँ अब बयान और आरोप गूँज रहे हैं. राजस्थान क्रिकेट के इस झगड़े ने खेल से अधिक राजनीति का चेहरा दिखा दिया है. पता नहीं इस रात की सुबह कब होगी.

राजस्थान क्रिकेट संघ की एडहॉक कमेटी इन दिनों ऐसी पिच पर खेल रही है, जहाँ बॉल स्विंग भी कर रही है और स्पिन भी. बल्लेबाज़ यानी समिति के सदस्य अपनी-अपनी ‘बैटिंग पोज़िशन’ पर जमे हैं, लेकिन टीम के भीतर तालमेल की कमी से मैच हाथ से फिसलता दिख रहा है. एड-हॉक कमेटी, जिसे अस्थायी कप्तान के तौर पर मैदान में उतारा गया था, अब स्थायी कप्तानी का दावा करती नज़र आ रही है - और यहीं से विवाद की पहली गेंद फेंकी गई. शुरुआत में यह कमेटी केवल चुनाव संपन्न कराने और क्रिकेट संचालन को सुचारू बनाए रखने के लिए गठित की गई थी. यह एक तरह का पावरप्ले था, जहाँ सीमित ओवरों में काम निपटाने की उम्मीद थी. 

मगर खेल धीरे-धीरे टेस्ट मैच में बदल गया. समय बीतता गया, चुनाव नहीं हुए, और कमेटी के भीतर कैप्टेंसी को लेकर टकराव उभरने लगा. कन्वीनर डीडी कुमावत पर अन्य सदस्यों ने ‘सोलो बैटिंग’ का आरोप लगाया है - कहा जा रहा है कि उन्होंने बिना टीम कंसल्टेशन के फैसले लिए, जिससे ‘ड्रेसिंग रूम’ का माहौल बिगड़ गया. यह बिल्कुल वैसा है जैसे किसी टीम में कोच और कप्तान के बीच मतभेद हो जाएं और खिलाड़ी यानी जिला क्रिकेट संघ दो खेमों में बँट जाएँ. स्थिति तब और पेचीदा हो गई जब RCA के नाम से फर्जी ईमेल और लेटरहेड जारी होने की शिकायतें आईं. यह किसी ‘स्पॉट-फिक्सिंग’ स्कैंडल से कम नहीं. संस्थागत ईमानदारी पर सवाल उठे और मामला एफआईआर तक पहुंच गया.

आरसीए एडहॉक कमेटी में कन्वीनर डीडी कुमावत के अलावा चार सदस्य है. कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह के बेटे धनंजय सिंह, भाजपा के प्रदेश सचिव पिंकेश जैन, सांसद घनश्याम तिवाड़ी के बेटे आशीष तिवाड़ी और पूर्व मंत्री जसंतव यादव के बेटे मोहित यादव. खुद डीडी भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके है. यानी पांचों ही लोग भाजपा के है, लेकिन क्रिकेट का कमल खिलाने की बजाय उसे दलदल में धकेल दिया है. चारों सदस्यों की तरफ से धनंजय सिंह ने मीडिया में बयान दिया, तो डीडी कुमावत ने पलटवार करते हुए कहा कि चयन समित गठन से लेकर, ड्रेस खरीद, होटल बुकिंग व ट्रेवलिंग में चारों सदस्यों की लिखित में सहमति है. डीडी ने यहां तक कह दिया कि यदि इन चारों सदस्यों में योग्यता है, तो ये खुद ही चयनकर्ता भी बन जाए.

अगर इस पूरे प्रकरण को क्रिकेटिंग भाषा में देखें तो RCA एक ऐसी टीम की तरह है जो अपनी रणनीति भूल गई है. कप्तान और खिलाड़ियों में तालमेल नहीं, सपोर्ट स्टाफ असमंजस में है. नतीजा - हर गेंद पर अपील, हर ओवर में विवाद. खेल की असली भावना - निष्पक्षता, टीमवर्क और अनुशासन- अब साइडलाइन में है. जो संस्था राज्य के क्रिकेट को नई दिशा देने का वादा लेकर उतरी थी, वही अब खुद रिवर्स स्विंग में उलझ गई है. राजस्थान क्रिकेट का यह मैच अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, लेकिन स्कोरबोर्ड चिंता जनक है. अगर RCA जल्द चुनाव कराकर पारदर्शी तरीके से नई नेतृत्व टीम नहीं बनाता, तो यह “ड्रा” की जगह “हार” में बदल सकता है. 

अब वक्त है कि हर सदस्य अपने-अपने अहं को पैवेलियन भेजे और क्रिकेट की असली भावना को फिर से मैदान में उतारे- क्योंकि खेल तब ही जीतता है जब राजनीति नहीं, प्रतिभा खेलती है. RCA में चल रहा विवाद बताता है कि खेल-संस्था की वास्तविक भूमिका यदि शासकीय खोल में सिमट जाए, तो उस खेल का मूल आनंद, सुविधाएँ, खिलाड़ियों की उन्नति व पारदर्शिता सब प्रभावित होती हैं. यदि समय रहते यहां निष्पक्ष चुनाव नहीं हुए, और प्रशासनिक प्रक्रिया सुधारी नहीं गई, तो राजस्थान के क्रिकेट प्रेमियों को यह डर सताने लगा है कि सरकारी-सामाजिक प्रतिबद्धता सिर्फ प्रोसेस तक सीमित रह गई है, और ‘खेल’ एक साधन बन गया है.