जयपुर: राजधानी के पांच सितारा होटल में नेशनल सिम्पोजियम ऑन बीईएमपी का आयोजन किया गया. राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन की प्रबंध निदेशक नेहा गिरि ने कार्यशाला का शुभारम्भ किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि मरीजों को गुणवत्तापूर्ण जांच एवं उपचार उपलब्ध कराने तथा स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए के लिए बायोमेडिकल उपकरणों का उचित प्रबंधन आवश्यक है. इसके लिए प्रदेश में बायोमेडिकल उपकरण मरम्मत और रखरखाव कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है.
गिरि ने ‘‘बायोमेडिकल इक्विपमेंट मैनेजमेंट प्रोग्राम बूस्ट: एलिवेटिंग हॉस्पिटल सर्विसेज विद् सीमलेस रिपेयर एण्ड मेंटीनेंस एक्सीलेंस’’ विषय पर आयोजित नेशनल सिम्पोजियम को सम्बोधित किया. उन्होंने कहा कि संगोष्ठी में सभी हितधारकों के साथ परामर्श कर बायोमेडिकल उपकरणों के प्रबंधन से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज़ तैयार किया जाएगा. हमारा प्रयास है कि बायोमेडिकल उपकरणों के क्षेत्र में रिसर्च एवं प्रबंधन की गुणवत्ता में सुधार हो, उपकरणों का डाउनटाइम कम हो तथा स्वास्थ्य सेवाओं की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित हो. उन्होंने कहा कि बायोमेडिकल इक्विपमेंट मैनेजमेंट से उपकरणों की परिचालन दक्षता बढ़ने के साथ ही लागत कम करने में भी मदद मिलती है.
ई-उपकरण से 1 लाख 44 हजार से अधिक शिकायतों का निस्तारण
नेशनल सिम्पोजियम ऑन बीईएमपी
कार्यशाला में RMSCL की प्रबन्ध निदेशक नेहा गिरी ने दी जानकारी
गिरी ने कहा हम दवाओं, सर्जिकल एवं सूचर्स तथा जांच उपकरणों की खरीद में अग्रणी है
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रैंकिंग में आरएमएससीएल अग्रणी रहा है
उन्होंने कहा कि बीईएमपी कार्यक्रम के तहत के पिछले महीने तक के आंकड़े देखें
तो कुल 1 लाख 43 हजार 631 उपकरणों को ई-उपकरण सॉफ्टवेयर में मैप किया गया है
कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से पंजीकृत ऑनलाइन शिकायतों का किया गया समाधान
1 लाख 44 हजार 465 में से 1 लाख 44 हजार 234 का किया गया सफलतापूर्वक समाधान
कार्यशाला में प्रबंध निदेशक गिरी ने बताया कि आरएमएससीएल दवाओं, सर्जिकल एवं सूचर्स तथा जांच उपकरणों की खरीद में अग्रणी रहा है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रैंकिंग में आरएमएससीएल अग्रणी रहा है. उन्होंने कहा कि बीईएमपी कार्यक्रम के तहत पिछले महीने तक कुल 1 लाख 43 हजार 631 उपकरणों को ई-उपकरण सॉफ्टवेयर में मैप किया गया है. अतिरिक्त मिशन निदेशक एनएचएम अरूण गर्ग ने कहा कि बायोमेडिकल इक्विपमेंट मैनेजमेंट लागू करने से उपकरणों की मेंटीनेंस लागत में कमी आती है और महंगे बायोमेडिकल उपकरणों के उपयोग की अवधि को बढ़ाया जा सकता है. इससे उपकरणों को बार-बार बदलने की आवश्यकता भी कम हो जाती है.
आरएमएससी की कार्यकारी निदेशक (लॉजिस्टिक) डॉ. कल्पना व्यास ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में अवगत कराया. आरयूएचएस के प्रतिनिधि श्री जितेन्द्र आहूजा ने अस्पतालों के परिप्रेक्ष्य में बीईएमपी पर जानकारी दी. इन्वेंट्री मैनेजमेंट के एसएनओ डॉ. प्रेमसिंह ने राजस्थान उपकरण प्रबंध कार्यक्रम की प्रमुख चुनौतियों के बारे में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया.