जयपुर: सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को श्रावण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इसे पवित्रा एकादशी भी कहते हैं. हर साल महिलाएं संतान प्राप्ति और अपने बच्चों की खुशहाली के लिए कई व्रत रखती हैं. इन्हीं में से एक पुत्रदा एकादशी होती है. साल में दो बार पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है. पहला व्रत पौष माह और दूसरा व्रत सावन के महीने में रखा जाता है. सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को श्रावण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इसे पवित्रा एकादशी भी कहते हैं. माना जाता है कि इस दिन निसंतान दंपत्ति व्रत रखकर, श्रीहरि की विधिपूर्वक पूजा करें, तो उन्हें जल्द ही संतान प्राप्ति होती है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि श्रावण पुत्रदा एकदाशी का व्रत दिनांक 16 अगस्त को रखा जाएगा और ये व्रत रक्षाबंधन से चार दिन पहले रखा जाता है.
इस तिथि की शुरुआत 15 अगस्त को सुबह 10:26 मिनट पर होगी. वहीं, समापन 16 अगस्त को सुबह 09:39 मिनट पर है. उदयातिथि के अनुसार सावन पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त को होगी.जिन दांप त्तियों को पुत्र नहीं होता है. उसके लिए पुत्रदा एकदाशी बेहद महत्वपूर्ण है. सनातन धर्म में कुल मिलाकर पूरे साल में 24 एकादशी पड़ती है और सभी एकादशी का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है और भगवान विष्णु के आशीर्वाद की भी प्राप्ति होती है. अब ऐसे में इन सभी एकादशी में एक पुत्रदा एकादशी भी है. श्रावण मास में पुत्रदा एकदाशी के दिन व्रत रखने से संतान प्राप्ति के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है. वहीं साल में दो पुत्रदा एकादशी पड़ती है. पहला पौष में और दूसरा सावन माह में. जिसे श्रावण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इसे पवित्रा एकादशी भी कहते हैं.
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सावन की पवित्रा एकादशी को ही पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. पुत्रदा एकादशी का अर्थ है कि पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूरी करने वाली एकादशी. नि:संतान लोगों के लिए इस एकादशी का खास महत्व है. इस दिन सच्चे मन से व्रत रखकर श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से पुत्र प्राप्ति की कामना पूरी होती है. इसके अलावा, इस एकादशी का व्रत रखने से संतान से जुड़े सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं और उत्तम संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ हीसंतान को आयु और आरोग्यता प्राप्त होती है.
सावन पुत्रदा एकादशी तिथि:
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत 16 अगस्त 2024 को रखा जाने वाला है. ये व्रत रक्षाबंधन के चार दिन पहले पड़ रहा है. जो भी दंपत्ति पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखते हों, उनके लिए पुत्रदा एकादशी काफी महत्वपूर्ण व्रत है.
सावन पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त:
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 16 अगस्त को है. इस तिथि की शुरुआत 15 अगस्त को सुबह 10:26 मिनट पर होगी. वहीं, समापन 16 अगस्त को सुबह 09:39 मिनट पर है. उदयातिथि के अनुसार सावन पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त को होगी.
व्रत पारण समय:
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सावन पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण 17 अगस्त को प्रातः काल 05 बजकर 51 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 05 मिनट के मध्य व्रत खोल या तोड़ सकते हैं.
शुभ योग:
सावन पुत्रदा एकादशी व्रत पर प्रीति योग का निर्माण हो रहा है. इस योग का निर्माण दोपहर 1:12 मिनट से हो रहा है. वहीं, भद्राकाल का योग सुबह 09:39 मिनट तक है. इस समय में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होगा.
महत्व:
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि धर्म ग्रंथों के अनुसार पुत्र की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को विधि पूर्वक श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करना चाहिए. इस व्रत के प्रभाव से लोक में समस्त भौतिक सुख और परलोक में स्वर्ग की प्राप्ति होती है. सावन पुत्रदा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं, साथ ही ग्रह दोषों से भी मुक्ति मिलती है. सावन पुत्रदा एकादशी पर संतान सुख के लिए निर्जला व्रत कर रात्रि जागरण करें और फिर अगले दिन व्रत का पारण करें.