विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस: राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित हुआ राज्यस्तरीय कार्यक्रम, मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले सम्मानित

जयपुर: विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर राजधानी जयपुर में राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया.कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने मानसिक स्वास्थ्य और मेंटल वेल-बीइंग को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया.उन्होंने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य भी नितांत आवश्यक है. प्रदेश में मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं को और विस्तार देने के साथ ही सुदृढ़ बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं में भी मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजूबती दी जाएगी.

राजस्थान इंटरनेशनल सेन्टर में आयोजित कार्यक्रम में चिकित्सा मंत्री खींवसर ने कहा कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया एवं भागदौड़ भरी कार्यशैली ने मानसिक स्वास्थ्य को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है. शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के बीच बेहतर तालमेल से चिंता, तनाव, अवसाद जैसे मानसिक विकारों को दूर किया जा सकता है. खींवसर ने कहा कि सामाजिक स्वीकार्यता कम होने के बावजूद, भावनात्मक और व्यवहारिक समर्थन देकर दूसरों के अवसाद को कम किया जा सकता है. हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी ऐसा अवसर आता है, जब वह बहुत अधिक मानसिक तनाव से घिर जाता है. उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि मानसिक विकार होने पर विशेषज्ञों की सहायता लेने में संकोच नहीं करना चाहिए. 

कार्यक्रम में मुख्य सचिव सुधांश पंत ने कहा कि मानसिक बीमारी का पता देरी से चलता है. लोगों को मानसिक विकारों को सीमित न रखकर इन विषयों को साझा करना चाहिए है, इससे व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है. पंत ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के उद्देश्य से राज्य में टेली-मानस हेल्पलाइन (1800-891-4416) के माध्यम से नागरिकों को निःशुल्क परामर्श उपलब्ध कराया जा रहा है. इस हेल्पलाइन पर कोई भी व्यक्ति तनाव, अवसाद, चिंता या मानसिक परेशानी की स्थिति में तुरंत विशेषज्ञ परामर्श प्राप्त कर सकता है. मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों, हेल्पलाइन तथा काउंसलिंग के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य पर निरंतर कार्य कर रही है. उन्होंने आह्वान किया कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना आवश्यक है, जिन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य लाभ की आवश्यकता है, उन्हें उपचार के लिए अधिक से अधिक जागरूक करें. इस दौरान मन दर्पण, तथा टोबेको फ्री यूथ कैम्पेन 3.0 के पोस्टर का विमोचन भी किया गया.

मानसिक तनाव में वृद्धि की अहम वजह सोशल मीडिया:
-विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर आयोजित कार्यक्रम
-कार्यक्रम में पीएचएस गायत्री राठौड़ ने सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग पर जताई चिंता
-उन्होंने कहा कि  सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से मानसिक तनाव में वृद्धि हो रही है
-जब हमारी असीमित अपेक्षाएं, हमारी वास्तविक उपलब्धियों से अधिक होती हैं
-जो हमें प्राप्त होता है,उसमें अंतर रहता है,तो यही असंतुलन मानसिक अस्वस्थता पैदा करता है
-ऐसी परिस्थितियों में आत्म-जागरूकता और भावनात्मक स्थिरता बनाए रखना आवश्यक है।
-राठौड़ ने कहा कि बदलते सामाजिक परिदृश्य को देखते हुए राज्य सरकार मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित नीतियों और
-कार्ययोजनाओं को विशेषज्ञों के सुझावों एवं सहयोग से और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में कार्य कर रही है
-उन्होंने कहा कि प्रदेश में निशुल्क दवा वितरण, जांच सुविधाएं तथा
-आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से हर स्तर पर लोगों तक सेवाएं पहुंचाई जा रही हैं
-राज्य सरकार मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापक और सुलभ बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है

स्वायत्त शासन विभाग के सचिव रवि जैन ने कहा कि वर्तमान जीवनशैली में बढ़ते तनाव, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं आम हैं. इन समस्याओं पर नियंत्रण के लिए समय पर परामर्श, सकारात्मक सोच, नियमित व्यायाम, स्पोर्ट्स, संगीत तथा परिवार और मित्रों से संवाद आवश्यक है. चिकित्सा शिक्षा सचिव अम्बरीष कुमार ने मानसिक स्वास्थ्य के मूलभूत कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तनाव, असंतुलित जीवन शैली, सामाजिक अलगाव आज मानसिक अस्वस्थता के प्रमुख कारण हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान में मानसिक विकारों से उबरने के लिए अनेक सुविधाएं विकसित हुई हैं. ब्रेन के वर्किंग स्टाइल को समझ कर मानसिक विकारों को दूर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि नियमित योग एवं व्यायाम से मेंटल ट्रेनिंग कर व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ बने रह सकता है.

कार्यक्रम में सीनियर प्रो. डॉ. शिव गौतम ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं और उनके समाधान पर विस्तार से चर्चा की. कार्यक्रम में यूनिसेफ की हेल्थ स्पेशलिस्ट डॉ. जोएना लाइ ने मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में यूनिसेफ द्वारा किए जा रहे प्रयासों और पहल से अवगत कराया. साथ ही, उन्होंने वैश्विक परिप्रेक्ष्य में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी प्रमुख जानकारियां और अनुभव साझा किए. अलख फाउंडेशन की रानू पाराशर ने विद्यालयी पाठ्यक्रम की पुस्तकों में टेलीमानस हेल्पलाइन नम्बर का प्रकाशन करने एवं मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए राज्य सरकार का आभार जताया. उन्होंने कहा कि इससे मानसिक स्वास्थ्य के प्रति बच्चों और युवाओं में जागरूकता बढ़ेगी.