VIDEO: अंता उप चुनाव को लेकर हाड़ौती की सियासत गरम; मदन राठौड़ बोले- प्रहलाद गुंजल के बयान दुर्भाग्य जनक

जयपुर: अंता उप चुनाव की घोषणा के साथ ही हाड़ौती की सियासत गर्म है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने एक बार फिर प्रहलाद गुंजल को लेकर अपनी बात कही. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि मैं पहलाद गुंजल की बहुत इज्जत करता हूं. गुंजल मेरे साथ पार्टी में रहे, उन्होंने मेरी पार्टी को माँ माना है, उनके कई बयान, कई वक्तव्य है, जिसमें उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी मेरी माँ है आज गुंजल जैसा वरिष्ठ आदमी यह कह दे कि मैं ठोकर मार के आया हूं जो अब अपनी माँ को ठोकर मार सकता है, तो ऐसे बेटे के लिए क्या कहें ? राठौड़ ने कहा आज जो प्रहलाद गुंजल बोल रहे हैं यह सिर्फ कांग्रेस के संस्कार हैं. 

हाड़ौती की सियासत में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने अपने बयानों से चौंकाया. पहले कहा प्रहलाद गुंजल वहां हमारे ही भेजे हुए और आज कहा कि वे कांग्रेसी संस्कारों के कारण दुर्भाग्यजनक बयान दे रहे. बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में मीडिया से बातचीत मैं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं, मैंने सिर्फ "हमारे" शब्द का इस्तेमाल किया. इसका मतलब यह है कि हमारे साथी हैं, हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है. भारतीय जनता पार्टी को अपनी माँ माना था. गुंजल जैसा वरिष्ठ आदमी यह कह दे मैं ठोकर मार के आया हूं जो अब अपने माँ को ठोकर मार सकता है, तो ऐसे बेटे के लिए क्या कहें ? 

राठौड़ ने कहा आज जो प्रहलाद गुंजल बोल रहे हैं यह सिर्फ कांग्रेस के संस्कार हैं. यह पहलाद गुंजल के नहीं है. कांग्रेस में जाने के बाद उनमें इस तरह के अवगुण आ गए कि वह अपनी मां को ठोकर मन बात करते हैं. मां मां होती है, बेटा पराया भी हो जाए तो भी अपने मां के मन में उसका अपनेपन का भाव रहता है. इसीलिए हमने उसके लिए 'हमारा शब्द' इस्तेमाल किया है. नाराजगी हो सकती है, गुस्सा आ सकता है, लेकिन माँ को ठोकर मारने वाली बात बोले यह अच्छे संस्कार नहीं है. यह सब कांग्रेस की देन है, वहां जाने के बाद यह सब उनमें आए हैं. 

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि विरोध करने के लिए भी शब्दों का चयन ठीक होना चाहिए. वह मेरे लिए कह रहे हैं कि " शर्म आनी चाहिए' "चुल्लू भर पानी में डूब जाना चाहिए" यह बयान देने से पहले पहलाद गुंजल को सोचना चाहिए. हमारे यहां से चले गए कोई बात नहीं, किसी पार्टी में जाना यह व्यक्ति का निर्णय है. राजनीतिक विरोध हो सकता है, लेकिन बयानों में कटुता नही होनी चाहिए. राजनीतिक नीतिगत विरोध हो सकता है. शब्द चैन आदर्श होने चाहिए. राठौड़ ने कहा कि गुंजल ऐसे नही थे, लेकिन जिसमें वो क्या कर जिस पार्टी में वो गए है, वहां का आचरण यही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविद सिंह डोटासरा और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसी तरह के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं.