जयपुर: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर मामले को लेकर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि पुलिस की लापरवाही के ऐसे उदाहरणों को देखकर ही राजस्थान में हमारी सरकार ने FIR दर्ज करना अनिवार्य किया था एवं ये व्यवस्था की थी कि यदि थाने में FIR दर्ज नहीं की जाए तो SP ऑफिस में FIR होगी और थानाधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी.
इसका परिणाम ये हुआ कि थाने में पीड़ितों की सुनवाई होना सुनिश्चित हुई एवं अपराधों की शिकायत दर्ज होना शुरू हुई. मीडिया एवं विपक्षी दलों ने दर्ज FIR के आंकड़े बढ़ने को हमारी सरकार के खिलाफ प्रचारित किया जिसका हमें राजनीतिक नुकसान हुआ परन्तु मुझे आज भी संतोष है कि इस नीति से तमाम पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हुआ.
मैंने केन्द्र सरकार के सामने पत्र लिखकर, बैठकों में मांग रखी कि पूरे देश में FIR के अनिवार्य पंजीकरण की नीति लागू की जाए जिससे पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो सके. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत सरकार ने हमारी इस मांग को नहीं माना और आज भी ऐसी स्थिति अलग-अलग राज्यों से सुनने में आती रहती है. भारतीय न्याय संहिता लागू करते समय भारत सरकार ने दावा किया था कि अब FIR में देरी नहीं होगी परन्तु सच ऐसी घटनाओं के रूप में सबके सामने है.
मैं पुन: प्रधानमंत्री मोदी एवं गृह मंत्रालय से अपील करना चाहूंगा कि FIR के अनिवार्य पंजीकरण के राजस्थान मॉडल को देशभर में लागू किया जाए. राजस्थान की भाजपा सरकार भी यह सुनिश्चित करे कि हमारे सरकार के समय लागू की गई अनिवार्य FIR नीति यहां जारी रखे.