अलवर जिले में अवैध खनन का मुद्दा, संगठनों ने कई बार प्रशासन से की शिकायत

अलवरः अलवर जिले के टहला तहसील के पावटा क्षेत्र में अवैध पत्थर खनन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. यहां के स्थानीय निवासियों और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे संगठनों ने कई बार प्रशासन से शिकायत की है, लेकिन कार्रवाई अब तक नहीं हुई है. टहला तहसील के पावटा इलाके में खसरा नंबर 127, ग्राम पावटा, पटवार हल्का दामोदर का बास में स्थित अवैध खनन का मामला गंभीर रूप से उभर कर सामने आया है, जहां पर प्रतिदिन 100 से 120 ट्रक पत्थर खनन कर औद्योगिक क्षेत्र दौसा भेजे जा रहे हैं. 

स्थानीय लोगों के अनुसार, यह अवैध खनन सरिस्का बाघ परियोजना की सीमा के बेहद करीब हो रहा है, जिसके कारण यहाँ के वन्यजीवों और पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है. अवैध खनन के दौरान किए गए ब्लास्टिंग से दो बार वन्यजीवों की मौत हो चुकी है, जिनमें एक लेपर्ड की भी मौत शामिल है. इस खनन गतिविधि के लिए स्थानीय पुलिस, वन विभाग और खनन विभाग के अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप लगाए जा रहे हैं. पुलिस स्टेशन टहला, पुलिस चौकी गोलाकाबास, वन चौकी गोलाकाबास (अजबगढ़ रेंज), और पुलिस स्टेशन सैंथल के खिलाफ भ्रष्टाचार और खनन माफिया के साथ सांठ-गांठ के गंभीर आरोप उठे हैं. इन आरोपों के मुताबिक, इन सभी अधिकारियों ने अवैध खनन पर नजरअंदाज किया है, जिसके परिणामस्वरूप करीब 60 करोड़ रुपए कीमत का पत्थर अब तक अवैध रूप से निकाला जा चुका है. स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार शिकायतें की हैं और मामले की गंभीरता को प्रशासन के सामने रखा है, लेकिन जांच या कार्रवाई का कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. उनका कहना है कि यदि तुरंत कदम नहीं उठाए गए, तो यह न केवल वन्यजीवों के लिए खतरे की बात होगी, बल्कि पर्यावरण पर भी इसका भयानक असर पड़ेगा. 

जल स्रोत भी हो रहे प्रभावित:
इन अवैध खनन गतिविधियों से क्षेत्र के जल स्रोत भी प्रभावित हो रहे हैं. पानी की कमी और मिट्टी का कटाव बढ़ने के कारण आसपास के गांवों में जीवन मुश्किल हो गया है. इसके साथ ही सरिस्का नेशनल पार्क के वन्यजीवों, खासकर बाघों और तेंदुओं की आबादी को भी संकट का सामना करना पड़ रहा है. इस मुद्दे को लेकर स्थानीय लोगों ने एकजुट होकर प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है. उनका कहना है कि अवैध खनन को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि पर्यावरण और जीव-जंतुओं को बचाया जा सके. वे चाहते हैं कि क्षेत्र का निरीक्षण किया जाए और अवैध खनन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि स्थानीय समुदाय और पर्यावरण को राहत मिल सके. राज्य और जिला प्रशासन को अब यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पर्यावरण और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं. स्थानीय लोगों की चिंता और उनकी आवाज़ को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह के अवैध खनन के मामलों पर काबू पाया जा सके.