हैदराबाद ने शुरू किया 'सीनियर साथी', अकेले रहने वाले बुज़ुर्गों के लिए सामुदायिक सहयोग का नया मॉडल

हैदराबाद ने शुरू किया 'सीनियर साथी', अकेले रहने वाले बुज़ुर्गों के लिए सामुदायिक सहयोग का नया मॉडल

हैदराबाद: Hyderabad जिला प्रशासन ने सीनियर साथी नामक एक अनोखी पहल की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य ऐसे बुज़ुर्ग नागरिकों को भावनात्मक और सामाजिक सहारा देना है जो अकेले रहते हैं. इस कार्यक्रम का शुभारंभ Hyderabad कलेक्टरेट में जिला प्रभारी मंत्री पोनम प्रभाकर और जिला कलेक्टर हरि चंदना द्वारा किया गया. यह पहल यंगिस्तान फाउंडेशन और विकलांग तथा वरिष्ठ नागरिक कल्याण विभाग के सहयोग से तैयार की गई है.

तेज़ी से बदलते पारिवारिक ढांचे, बच्चों का दूसरे शहरों या देशों में बस जाना और शहरी जीवनशैली के चलते आज कई बुज़ुर्ग लोग भीड़भाड़ वाले इलाकों में रहते हुए भी अकेलापन महसूस करते हैं. सीनियर साथी इस दूरी को कम करने के लिए एक सुव्यवस्थित सामाजिक व भावनात्मक सहयोग मॉडल पेश करता है.

सामुदायिक आधारित साथ-सहयोग मॉडल
इस पहल के तहत प्रशिक्षित युवा स्वयंसेवक—जिनका मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन, पृष्ठभूमि सत्यापन और संवेदनशीलता प्रशिक्षण किया गया है—हर सप्ताह बुज़ुर्ग नागरिकों के साथ समय बिताएंगे. इन गतिविधियों में बातचीत, टहलना, खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पढ़ने में सहायता, मोबाइल व डिजिटल सीख, और छोटे-मोटे कामों में मदद शामिल होगी. अधिकारियों के अनुसार, कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बुज़ुर्गों में अपनापन, भावनात्मक सुरक्षा और विश्वास का माहौल बनाना है.

पीढ़ियों को जोड़ने की जरूरत: मंत्री का संदेश
शुभारंभ के दौरान मंत्री पोनम प्रभाकर ने कहा कि पहले संयुक्त परिवारों में बुज़ुर्गों से नियमित बातचीत होती थी, लेकिन आधुनिक जीवनशैली में यह संपर्क कम हो गया है. उन्होंने कहा कि सरकार बुज़ुर्गों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है और लोगों से अपील की कि वे अपने माता-पिता से दूर रहने पर भी फोन या डिजिटल माध्यम से जुड़े रहें.

उन्होंने साइबर सुरक्षा और संपत्ति से जुड़े जोखिमों पर भी चिंता जताई, जिनका सामना अक्सर बुज़ुर्गों को करना पड़ता है, और परिवारों तथा समुदायों से ज़्यादा जिम्मेदारी और देखभाल दिखाने की अपील की.
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कलेक्टर का दृष्टिकोण: सहायक शहरी संस्कृति का निर्माण
कलेक्टर हरि चंदना ने कहा कि सरकार का दृष्टिकोण संवेदना और मजबूत संस्थागत समर्थन पर आधारित है. उन्होंने बताया कि प्रशासन बुज़ुर्गों से जुड़ी समस्याओं का नियमित रूप से समाधान करता है और आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करता है. उन्होंने समुदायिक मूल्यों और साझा स्थानों में आ रही गिरावट पर चिंता व्यक्त की और कहा कि नई पीढ़ी को बुज़ुर्गों के जीवन अनुभवों से सीखने की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी घोषणा की कि जल्द ही Hyderabad जिले में एक सीनियर डे-केयर सेंटर स्थापित किया जाएगा, ताकि बुज़ुर्गों को और भी बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें.

सीनियर साथी क्यों महत्वपूर्ण है
अध्ययनों के अनुसार, भारत में 13% से अधिक बुज़ुर्ग अवसाद के लक्षणों का अनुभव करते हैं, जिसमें अकेलापन एक बड़ा कारण है. दुनिया के कई देशों में हुए शोध बताते हैं कि नियमित सामाजिक संपर्क चिंता कम करता है, दिमागी क्षमता बढ़ाता है, और समय से पहले होने वाली मृत्यु के जोखिम को लगभग 30% तक कम करता है.

अधिकारियों का मानना है कि सीनियर साथी वैश्विक अनुभवों को स्थानीय ज़रूरतों के अनुसार जोड़ता है और अन्य जिलों के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है. मंत्री प्रभाकर ने आशा व्यक्त की कि Hyderabad की यह पहल राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रेरक मॉडल बनेगी.

कार्यान्वयन और जिम्मेदारी
यंगिस्तान फाउंडेशन के संस्थापक अरुण, जिन्होंने इस कार्यक्रम की कल्पना की, को मंत्री ने विशेष प्रशंसा दी. कल्याण विभाग के अधिकारी, वरिष्ठ नागरिक संघों के सदस्य और विभिन्न साझेदार संगठनों के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में शामिल हुए. अब यह पहल ज़मीनी स्तर पर लागू की जाएगी और जिला प्रशासन स्वयंसेवकों की निरंतर भागीदारी तथा बुज़ुर्गों को समय पर सहायता सुनिश्चित करने के लिए इसकी निगरानी करेगा.

बुज़ुर्ग होती जनसंख्या के लिए एक आदर्श मॉडल
तेज़ी से विकसित हो रहे Hyderabad जो तकनीक और वैश्विक केंद्रों का एक बड़ा हब बन चुका है के प्रशासन का कहना है कि शहर का विकास केवल ढांचागत प्रगति तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि सामाजिक समावेशन और भावनात्मक देखभाल को भी दर्शाना चाहिए. सीनियर साथी इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो बुज़ुर्ग नागरिकों को सक्रिय, सम्मानित और समाज से जुड़े रहने में मदद करेगा. 

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