जयपुरः राजस्थान सरकार ने आपराधिक न्याय प्रणाली को आधुनिक और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. गृह विभाग ने अधिसूचना जारी कर “राजस्थान ई-साक्ष्य प्रबंधन नियम, 2025” लागू कर दिए हैं. इस बदलाव के बाद अब पुलिस की जाँच और बेहतर हो सकेगी
अब पुलिस और जांच एजेंसियों द्वारा जुटाए गए हर सबूत को डिजिटल माध्यम से सुरक्षित किया जाएगा. इस व्यवस्था के लागू होने के बाद जांच से लेकर अदालत में सुनवाई तक की प्रक्रिया पूरी तरह तकनीक-आधारित और पारदर्शी बन जाएगी. नई अधिसूचना के मुताबिक, अब हर जांच अधिकारी को वीडियो रिकॉर्डिंग, तस्वीरें, गवाहों के बयान और जांच से जुड़े अन्य प्रमाण “ई-साक्ष्य मोबाइल एप्लिकेशन” पर अपलोड करने होंगे. इस एप पर अपलोड होते ही हर सबूत को एक यूनिक 16 अंकों का आईडी (SID) मिलेगा, जिसमें तारीख, समय और जियो-लोकेशन की जानकारी भी दर्ज होगी. इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसी भी सबूत में छेड़छाड़ नहीं की जा सके. इन ई-साक्ष्यों को सीधे FIR और GD नंबर से लिंक किया जाएगा और सुरक्षित “Immutable Storage” में रखा जाएगा. इससे जांच पूरी होने के बाद भी सबूत सुरक्षित रहेंगे और जरूरत पड़ने पर अदालत में तुरंत उपलब्ध हो सकेंगे. यही नहीं, ट्रायल पूरा होने के बाद भी ये सबूत आर्काइव मोड में संरक्षित रहेंगे. गृह विभाग की अधिसूचना के अनुसार, हर ई-साक्ष्य को डिजिटल सर्टिफिकेट के रूप में प्रमाणित किया जाएगा, जिसे जांच अधिकारी अपने इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर (e-Sign) से सत्यापित करेंगे. इस प्रक्रिया के बाद यह साक्ष्य अदालत में वैध और प्रामाणिक माना जाएगा. इस व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा अदालतों और पीड़ितों को मिलेगा. अब कोर्ट “केस इंफॉर्मेशन सिस्टम” और “इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS)” के जरिए सीधे ई-साक्ष्य देख और प्रबंधित कर सकेंगी. वहीं, आरोपी और पीड़ित पक्ष को भी आवश्यकतानुसार ई-साक्ष्य की कॉपी उपलब्ध करवाई जाएगी.
विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान सरकार की यह पहल आपराधिक न्याय प्रणाली में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाएगी. पुराने समय में जहां कागजी दस्तावेजों और फोटोग्राफ्स में छेड़छाड़ या गुम होने का खतरा रहता था, वहीं अब डिजिटल सिस्टम में हर सबूत सुरक्षित और प्रमाणिक रहेगा. इससे पुलिस जांच की गति भी बढ़ेगी और अदालतों में मामलों का निपटारा आसान होगा. राजस्थान इस कदम के साथ देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो गया है, जिसने न्याय व्यवस्था में साक्ष्य प्रबंधन को पूरी तरह डिजिटल करने की दिशा में ठोस कदम उठाया है. अभी भी 20 से अधिक प्रदेश ऐसे हैं जहाँ यह व्यवस्था शुरू नहीं हो पाई है सरकार का मानना है कि इससे अपराध नियंत्रण और पीड़ितों को न्याय दिलाने की प्रक्रिया और अधिक मजबूत होगी.