जयपुरः विकास कार्यों पर चर्चा करने के लिए ग्रेटर नगर निगम की 7वीं बोर्ड बैठक दूसरे दिन भी बुलाई गई. लेकिन बिना एक भी प्रस्ताव पास हुए बोर्ड बैठक को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. बीजेपी और कांग्रेस के पार्षदों के आपस में हाथापाई और धक्का मुक्की करने के चलते महापौर ने सदन को स्थगित करने का फैसला लिया.
ग्रेटर नगर निगम की साधारण सभा की बैठक दूसरे दिन हंगामा की भेंट चढ़ गई. जहां कांग्रेस पार्षदों और कांग्रेस पार्षदों के बीच जमकर हाथापाई हुई. दरअसल, सदन में प्रस्ताव संख्या तीन पर चर्चा के दौरान जब निर्दलीय पार्षद मोहम्मद शरीफ ने केंद्र और राज्य सरकार से निगम के लिए बजट लाने की बात कही, इस बीच कांग्रेस और भाजपा पार्षदों में आपसी कहा सुनी हुई और विवाद हाथापाई तक जा पहुंचा. भाजपा पार्षद लक्ष्मण लुनिवाल सीट छोड़कर विपक्ष के खेमे तक जा पहुंचे और फिर उनकी कांग्रेस पार्षद राजेश गुर्जर के साथ हाथापाई शुरू हो गई. जिनका पुलिस प्रशासन ने बीच-बचाव भी किया. लेकिन एकाएक कांग्रेस और बीजेपी के पार्षद आमने-सामने हो गए और जमकर हाथापाई और धक्का मुक्की हुई. इसे रोकने के लिए महापौर ने चेतावनी देते हुए सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया. और राष्ट्रगान शुरू कराते हुए इस हाथापाई को रुकवाया.
बीजेपी की प्री प्लानिंगः
हालांकि कांग्रेस का आरोप है कि ये सब बीजेपी की प्री प्लानिंग थी. पार्षद राजेश गुर्जर ने बताया कि विपक्ष शांतिपूर्ण तरीके से सदन चलने में सहयोग कर रहा था. बारी-बारी से सभी पार्षदों का नंबर आ रहा था. लेकिन बीजेपी पार्षद लक्ष्मण लुनिवाल बार-बार टौंट मार रहे थे और बाद में अपशब्द कहते हुए आवेश में आकर उन्होंने अपनी सीट छोड़कर वार किया. ये बीजेपी बोर्ड का दोहरा चरित्र है. वो चाहते ही नहीं थे की बोर्ड मीटिंग आगे चले. चूंकि आज समिति अध्यक्षों को हटाने वाले थे. लेकिन वो ठंडे बस्ते में चला गया. ये सिर्फ प्रेशर पॉलिटिक्स का नतीजा है. ये सब महापौर के इशारे पर ही हुआ.
सदन में मर्यादा को तार-तार कर रहेः
वहीं बीजेपी पार्षद लक्ष्मण लुनिवाल ने कहा कि 373 दिन बाद साधारण सभा हुई. सभी सदस्यों को उसमें बोलने का मौका दिया जाता है. लेकिन कांग्रेस का मंतव्य स्पष्ट था. वो किसी भी तरह से सदन को नहीं चलने देना चाहते थे. सदन में मर्यादा को तार-तार कर रहे थे. उन्होंने महापौर और सरकार के खिलाफ गलत बोला. पर्सनल इंडिकेट करते हुए अनर्गल शब्द (पिट्ठू और गुलाम) कहा. ये पहले से तैयारी करके आए थे कि सदन नहीं चलना चाहिए. उन्होंने हाथ उठाने के आरोप को सिरे से खारिज किया. साथ ही कहा कि वो सिर्फ अपनी सरकार को प्रोटेक्ट कर रहे थे, तब पर्सनल इंडिकेट करते हुए अलग-अलग शब्दों का प्रयोग किया गया.
कांग्रेस अपने नेताओं को ट्रेंड करके भेजतीः
वहीं पार्षद विकास बारेठ ने कहा कि लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और नगर निगम में कांग्रेस पार्टी अपने नेताओं को ट्रेंड करके भेजती है कि देश, प्रदेश और शहर के विकास की बात होने वाली सभाओं को सिर्फ शोरगुल की भेंट चढ़ा दिया जाए. कल भी जब दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी जा रही थी, इस दौरान कांग्रेस के एक पार्षद कचरा लेकर मेयर की सीट पर पहुंच गए. बाबा साहेब के संविधान ने जिस महिला को मेयर बनाया, उनके आसन को उंगलियां दिखाई और भद्दा व्यवहार किया गया. कांग्रेस जयपुर शहर को पीछे ले जाना चाहती है.
दो दिन बोर्ड बैठक बुलाई गईः
वहीं महापौर सौम्या गुर्जर ने कहा कि जयपुर के विकास के लिए सोमवार को भी दो नहीं बल्कि 245 एजेंडे लेकर के आए थे और विषयों की गंभीरता को देखते हुए लगातार दो दिन बोर्ड बैठक बुलाई गई. बावजूद इसके यदि सदन की कार्रवाई के दौरान बार-बार आपस में भिड़ेंगे तो कब तक बर्दाश्त किया जाएगा. सभी सदस्य जब आगामी बोर्ड बैठक बुलाना चाहेंगे, तब अगली बोर्ड बैठक बुलाएंगे. लेकिन यदि सदस्य ही चर्चा करना नहीं चाहते तो ऐसे सदन नहीं चल पाएगा. उन्होंने विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यदि विकास कार्य पर चर्चा करनी ही नहीं होती तो दूसरे दिन सदन बुलाते ही क्यों. सोमवार को ही सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया जाता. लेकिन सदस्य बोर्ड बैठक चलाना ही नहीं चाहते, तो इसमें वो कुछ नहीं कर सकते हैं. कल भी बार-बार चेतावनी दी गई थी, आज भी बार-बार चेतावनी दी गई, लेकिन सदस्य चर्चा ही नहीं करना चाहते.
बहरहाल, बीजेपी और कांग्रेस के पार्षदों के बीच हुई हाथापाई में कहीं ना कहीं एक बार फिर जनता के मुद्दे कागजों तक सिमट करके रह गए. उन्हें धरातल पर उतारना तो दूर उन पर सदन में चर्चा तक नहीं हो पाई. ऐसे में कहीं ना कहीं इस पूरे घटनाक्रम में नुकसान शहर की आम जनता का हुआ है.