जयपुर: राजस्थान की भजन लाल सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति से काम कर रही है. इसको लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो घूसखोरों पर शिकंजा कस रहा है. लेकिन अफसरशाही भ्रष्ट कार्मिकों को बचाने में लगी है. ACB ने रिश्वत के मामले को लेकर विभिन्न विभागों को अभियोजन स्वीकृति भेज रखी है, लेकिन इनकी पेंडेंसी भरमार है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब एसीबी भ्रष्टाचार पर प्रहार कर रही है, तो विभाग क्यों लाचार है?
प्रदेश में तेजी से बढ़ते भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर सरकार गंभीर है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने प्रदेश में खान घोटाला, एनआरएचएम में टेंडर्स घोटाला और जलदाय विभाग में करोड़ों रुपए के घोटालों की पोल खोलते हुए लाखों रुपए की रिश्वत लेने के कई मामलों को उजागर किया है, लेकिन सरकार की छवि पर कालिख पोतने वाले ऐसे रिश्वत खोरों का चेहरा बेनकाब होने के बावजूद अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने से खुद एसीबी भी परेशान है.रिश्वतखोरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृतियां जारी नहीं कर कई विभाग अपने ही अधिकारियों को बचाने में जुटे हुए हैं.
भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को बचा रहे अपने विभाग:
-भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को है अभियोजन स्वीकृतियों का इंतजार
-करीब 55 विभागों ने लंबित रखी है अभियोजन स्वीकृतियां
-55 विभागों से एसीबी को करीब 455 से अधिक रिश्वत के मामलों में है -अभियोजन स्वीकृतियों का इंतजार
-कार्मिक विभाग में लंबित है 72 मामले
-पंचायत राज विभाग में लंबित 95 मामले
-राजस्व विभाग में लंबित 36 मामलें
-नगरीय एवं स्वायत्त शासन विभाग मे लंबित 87 मामलें
-पीडब्ल्यूडी विभाग में 22 मामले लंबित
-शिक्षा विभाग में 7 मामले लंबित
-पुलिस महकमे में 23 मामले लंबित
-चिकित्सा विभाग में 13 मामले लंबित
-एग्रीकल्चर विभाग में 13 मामले लंबित
-ऊर्जा विभाग में 14 मामले लंबित
-आबकारी, सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग, पशुपालन, खनिज समेत अन्य विभागों में मामले आधा दर्जन से ज्यादा मामले लंबित
काले कारनामों के कांड में फंसे ये तमाम विभाग सरकार की प्रतिष्ठा का धूमिल कर रहे हैं.ACB के शिकंजे में फंसने वाले भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर ये तमाम विभाग मेहरबान नजर आ रहे है.रंगे हाथो रिश्वत का मामला हो या अपने पद दुरूपयोग का एसीबी में फंसने के बाद विभाग बचाव में लग जाता हैं.कई प्रकरणों में तो एक बार अभियोजन स्वीकृति के लिए मनाही तक आ चुकी है, लेकिन एसीबी ने वापस विभाग को विचार के लिए प्रकरण भेज रखे है.विभाग कई साल से इन भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को बचा रहे है.कुछ मामले तो साल 2011 से ही पेडिंग चल रहे हैं, जिसके चलते अभियोजन स्वीकृतियां अटकी पड़ी है.जो विभाग देना नहीं चाह रहे.नतीजा ये है कि भ्रष्टाचार के ये काले चेहरे चंद महीनों या साल में फिर से कुर्सी पर बैठ जाते हैं या फिर बच निकलते है.एंटी करप्शन ब्यूरो के नए मुखिया डा. रवि प्रकाश मेहरडा के आने के बाद तब उम्मीद जताई जा रही है कि शायद विभागों की ओर से ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों की अभियोजन स्वीकृत मिल सकेगी.
इतना ही ही नहीं, खुद कार्मिक विभाग ने भी भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के लिए अभियोजन स्वीकृतियों को रोक रखा है, जिसके चलते ACB में लंबित मामलों की संख्या भी बढ़ने लगी है.हांलाकि प्रदेश में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से की जा रही कार्रवाईयों से भ्रष्टाचारियों में खौफ है.भजनलाल सरकार प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त राजस्थान बनाना चाहती है, लेकिन सरकारी विभागों की मेहरबानी के चलते भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी मौज कर रहे हैं.ऐसे में जरूरत है इन विभागों के आकाओं को एक बडा फैसला लेने की जिससे इन रिश्वत खोरों को सजा मिल सके.