जयपुरः अंता विधानसभा उप चुनाव के प्रचार के अंतिम दिन प्रमुख दलों और निर्दलीय उम्मीदवार ने पूरी ताकत लगा दी. सीएम भजन लाल शर्मा, वसुंधरा राजे,मदन राठौड़ ने बीजेपी उम्मीदवार मोरपाल सुमन का पक्ष में रोड शो किया. वही प्रमोद जैन भाया के पक्ष में पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ डोटासरा, सचिन पायलट, टीकाराम जूली ने ताकत लगाई. वही नरेश मीणा के पक्ष में हनुमान बेनीवाल,राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने ताकत झोंकी. नेताओं के इन समीकरणों के बीच अंता में सबसे अहम है सामाजिक गणित.
अंता विधानसभा में करीब सवा दो लाख मतदाता हैं. इनमें माली समाज के लगभग 40 हजार के लगभग मतदाता है. यही कारण है कि बीजेपी ने मोरपाल सुमन को उम्मीदवार बनाया. पहले भी माली वर्ग से प्रभु लाल सैनी यहां से बीजेपी विधायक रह चुके. मीणा वर्ग के करीब 30हजार मतों के बल पर नरेश मीणा ने अंता में ताल ठोकी. बीजेपी के पिछले विधायक कंवर लाल मीणा ST वर्ग से थे. आपराधिक मसलों के चलते उनकी विधायकी चली गई और चुनाव की नौबत आ गई हालांकि बीजेपी ने ST वर्ग के बजाए इस बार परम्परागत कार्ड खेलते हुए मोरपाल सुमन को चुनावी समर में उतारा. प्रमोद जैन भाया का यहां जातिगत प्रभाव नहीं है इसके बावजूद उनके सियासी और सामाजिक चातुर्य के कारण वो यहां से दो बार चुनाव जीत चुके है. पिछली सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रमोद जैन भाया, भाया का ताल्लुक वैश्य वर्ग से है.
.... अंता में सामाजिक तिलिस्म ....
अनुसूचित जाति के करीब 40हजार के करीब
दलित वोट के मद्देनजर बीजेपी ने उप मुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा को पूरे समय यहां रखा
मंजू बाघमार,विश्वनाथ मेघवाल,अनीता भदेल
बाबू लाल वर्मा ने बीजेपी के पक्ष में दलित रणनीति बनाई
प्रमोद भाया के पक्ष में कांग्रेस के दलित नेता टीकाराम जूली ने दौरे किए
मुस्लिम वर्ग बीजेपी के लिए कमजोर कड़ी फिर भी
22हजार के करीब मुस्लिम वोटो में सेंध लगाने के लिए अल्पसंख्यक मोर्चा ने डेरा डाला
युनुस खान का अंडर ग्राउंड वर्क यहां अहम है
धाकड़ वोट यहां निर्णायक कहे जा सकते है इसलिए नरेंद्र नागर समेत कई नेता यहां सक्रिय रहे
गुर्जर समाज को साधने के लिए दोनों दलों की ठोस रणनीति थी
कांग्रेस ने अशोक चांदना को चुनाव प्रभारी बनाया
वहीं सचिन पायलट ने तूफानी दौरे लिए
ब्राह्मण वर्ग का साधने के लिए मंत्री संजय शर्मा ,अरुण चतुर्वेदी एस डी शर्मा सरीखे नेताओं ने बीजेपी के पक्ष में काम किया
जनरल मतदाताओं को साधने के लिए प्रमोद जैन भाया ने रणनीतिक सामाजिक नेताओं को मैदान में उतारा
बीजेपी का भी फोकस रहा ब्राह्मण,वैश्य और राजपूत मतों पर
मीना वोटों के दम पर नरेश मीणा ने ताल ठोक रखी
मूल ओबीसी MBC SBC वर्ग के वोट त्रिकोणीय संघर्ष में हार जीत के दौरान बेहद महत्वपूर्ण हो जाते है. जाति को बड़े दल के नेता कितना ही नकारे चुनावी समीकरण इसके बगैर बनते ही नहीं है. कंवर लाल मीणा के कारण स्वजातीय मीणा मतदाता पिछले चुनाव में बीजेपी के साथ गया और भाया को हार मिल गई. लिहाजा अपनी जाति के उम्मीदवार के पक्ष में जातियों की गोलबंदी कई बार दलों के परंपरागत वोट बैंक पर भारी पड़ जाती है. बीजेपी के पक्ष में सत्ताधारी दल होने का लाभ होने के साथ ही विकास की बातें कही जा रही. हालांकि हाड़ौती के इस इलाके में वसुंधरा राजे का प्रभाव जातीय राजनीति पर भारी पड़ा है.