भजनलाल सरकार ने समझी लोकतंत्र सेनानियों की पीड़ा, मीसा बंदियों की पेंशन और सुविधाओं को मिलेगा कानूनी दर्जा, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: आपातकाल के दौरान जेलों में रहे मीसा बंदियों की पेंशन और अन्य सुविधाओं को कानूनी दर्जा देने के लिए भजनलाल सरकार बिल लाने जा रही है. इसके पास होने के बाद करीब 1200 लोकतंत्र सेनानियों से कोई भी सरकार  बिना बिल लाए इन सुविधाओं को छिन नहीं सकेगी. हर बार जब भी भाजपा सरकार सत्ता में आती है तो डीआईआर और मीसा बंदियों की पेंशन और अन्य सुविधाएं बहाल होती हैं और कांग्रेस सरकार के सत्तारुढ़ होने पर ये सुविधाएं वापस ले ली जाती हैं. इस पीड़ा को समझते हुए भजनलाल सरकार अब लोकतंत्र सेनानियों की पेंशन और अन्य सुविधाओं के लिए संवैधानिक प्रावधान करने जा रही है. 

इसके लिए इसी विधानसभा सत्र में लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि बिल लाने की भजनलाल सरकार की कोशिश है. इस बिल के तहत लोकतंत्र सेनानियों को पेंशन के रूप में 20 हजार रुपए प्रति माह और चिकित्सा सहायता के रूप में 4000 रुपये तक की राशि देय होगी. इस बिल में लोकतंत्र सेनानी के साथ उनकी पत्नी को रोडवेज यात्रा की सुविधा देय होगी. 25 जून 2024 को जो सम्मानित हुए लोकतंत्र सेनानियों के आंकड़े को माना जाए तो यह कुल संख्या 1118 है. इसमें सीआरपीसी की अलग-अलग धाराओं में निरुद्ध लोगों की संख्या 38 है. ऐसे में मीसा,डीआईआर बंदियों और सीआरपीसी निरुद्ध बंदियों की कुल संख्या 1200 के आसपास है. इस संख्या में वह आंकड़ा भी शामिल है जो मीसा,डीआईआर और सीआरपीसी की अलग अलग धाराओं में 30 दिन से भी कम समय तक जेल में बंद या निरुद्ध रहे. 

अब तक क्या हुआ ?
-राजे सरकार में इन्हें लोकतंत्र सेनानी कहा जाने लगा तो इनकी पेंशन का नाम लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि रखा गया. 
-पहले इन लोकतंत्र सेनानियों की पेंशन 12500 थी जो अब बढ़कर 20 हजार हो गई थी.
-पहले चिकित्सा भत्ता 1250 मिलता था जिसे बढ़ाकर 4000 कर दिया था.
-रोडवेज की बसों में नि:शुल्क यात्रा का भी प्रावधान किया गया था. 
-नियम बदलने के बाद आपातकाल में CRPC में 25 जून 1977 से मार्च 1977 तक जो रहे निरुद्ध या बन्द उन लोकतंत्र सेनानियों को भी  पेंशन का प्रावधान बीजेपी सरकार में किया गया था.
-CRPC की 107,116,151 धारा में रहे बन्द या कम से कम 1 माह तक निरुद्ध रहे
उन्हें  पेंशन व मेडिकल सुविधा दी गई थी.
-इसके लिए लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि नियम 2008 में हुआ संशोधन.
-संशोधन अनुसार मौजूदा या पूर्व विधानसभा सदस्य या लोकसभा सदस्य से सत्यापन अनिवार्य किया गया. साथ ही गलत शपथ पत्र दिया तो पेंशन निरस्त होगी. ऐसा करने पर सारी राशि वसूल होगी. यह प्रावधान बीजेपी सरकार में किया गया था.

-सरकार बदलने के बाद अब मीसा और डीआईआर बंदी की पेंशन सुविधा बन्द हो गई थी. 
-गहलोत कैबिनेट ने 9 माह के बाद यह बड़ा निर्णय किया था. 
-इससे करीब 3800 से ज्यादा मीसा,डीआईआर बन्दी और सीआरपीसी में निरुद्ध बंदियों को करीब एक साल तक ही इसका लाभ मिल पाया. 
-करीब डेढ़ दशक से  ज्यादा समय से एक  सरकार से दूसरे सरकार में पेंशन और अन्य सुविधा बहाली और बन्द करने की परंपरा बदस्तूर कायम है.

अनुमानित खर्चा:
-सीआरपीसी के निरुद्ध व्यक्तियों को शामिल करने पर पेंशन व चिकित्सा भत्ते का खर्चा 30 करोड़ है.
-वहीं इसमें सरकार का 18 करोड़ का पहले का बजट था. 
-इन्हें रोडवेज सुविधा देने का खर्चा 50 लाख माना गया है.
-करीब 50 करोड तक का खर्चा आ सकता है सरकार पर 

लोकतंत्र सेनानियों की यह है मांग:
-स्वतंत्रता सेनानियों की तर्ज पर लोकतंत्र सेनानियों को मिले सुविधा. 
-स्वतंत्रता सेनानियों को प्लॉट की सुविधा,परिवहन और यात्रा की सुविधा, राजकीय समारोहों में आमंत्रित करने की सुविधा के साथ अन्य सुविधाएं हैं. 
-राजकीय सम्मान से अंत्येष्टि की मांग.
-यूपी की तर्ज पर राजकीय सम्मान से हो अंत्येष्टि. 
भाजपा सरकार में यह संशोधन भी मंजूर हुआ था कि राजस्थान का मूल निवासी पेंशनधारी हो  और राज्य के बाहर की जेल में हो तो पेंशन लाभ मिलेगा.