राजधानी में बने बीआरटीएस कोरिडोर को लेकर बड़ा फैसला, जेडीए ने कोरिडोर के अध्ययन कराने का काम रोका

जयपुरः राजधानी में बने बीआरटीएस कोरिडोर के भविष्य को लेकर राज्य सरकार जल्द बड़ा फैसला करेगी. यही कारण है कि जेडीए ने इसके लिए जो कवायद शुरू की थी, उस पर फिलहाल ब्रेक लगा दिए हैं. जानिए क्या है पूरा मामला. 

केंद्र में यूपीए सरकार के समय जवाहरलाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत 170 करोड़ रुपए की लागत से सीकर रोड और न्यू सांगानेर रोड पर बीआरटीएस कोरिडोर का निर्माण वर्ष 2008 में किया गया था.  वर्ष 2010 में जितना कोरिडोर बना था, उस पर बसों का संचालन शुरू किया गया.  लेकिन प्रभावी मॉनिटरिंग के अभाव में इस कॉरिडोर में शहरी परिवहन की बसों के साथ अन्य वाहन भी चलने लग गए.  वहीं स्थानीय जन संगठन लम्बे समय से इस कॉरिडोर का हटाने की मांग कर रहे हैं.  सबसे पहले आपको बीआरटीएस कॉरिडोर और इससे जुड़ी अन्य जानकारी बताते हैं. 

-बीआरटीएस का उद्देश्य शहरी सार्वजनिक परिवहन की बसों के लिए अलग कॉरिडोर उपलब्ध कराना था
-ताकि इसमें सफर करने वाले लोग अन्य वाहनों की अपेक्षा अधिक तीव्र गति और कम समय में गंतव्य तक पहुंच सके
-इस योजना का पीछे अहम उद्देश्य सार्वजनिक परिवहन को सुदृढ़ करते हुए सड़क पर यातायात का भार कम करना था
-7.1 किलोमीटर लम्बाई में सीकर रोड पर एक्सप्रेस-वे से अम्बाबाड़ी तक 75 करोड़ रुपए की लागत से कॉरिडोर बनाया गया
-9 किलोमीटर लम्बाई में अजमेर रोड से किसान धर्म कांटा होते हुए न्यू सांगानेर रोड बी-2 बायपास तिराहा तक कोरिडोर बनाया गया
-सड़क की जगह घिरने और अन्य वाहन के लिए कम स्थान उपलब्ध होने के चलते इस सिस्टम की आलोचना होने लगी
-तत्कालीन परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने दावा किया था कि इस रूट पर होने वाली 1271 मौतों में से 70 फीसदी मौतें बीआरटीएस कॉरिडोर के कारण हुई है
-स्टेट रोड सेफ्टी काउंसिल ने जनवरी, 2020 में पहली बार कॉरिडोर को हटाने का फैसला किया था.  
-लेकिन इस फैसले की तब पालना नहीं की गई

जेडीए आयुक्त मंजू राजपाल की अध्यक्षता में 27 फरवरी को जेडीए ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की बैठक हुई थी. बैठक में राजधानी स्थित बीआरटीएस कोरिडोर का अध्ययन कराने का फैसला किया गया था. इस फैसले की पालना भी की गई,लेकिन इस पर लगा दिए गए ब्रेक. आपको बताते हैं कि ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड का क्या था फैसला,उसकी कैसे की पालना और फिर आखिर क्यों उसे रोक दिया गया. 

-27 फरवरी को हुई जेडीए ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की बैठक में बीआरटीएस कोरिडोर को लेकर फैसला किया गया था

-कोरिडोर को हटाने या नहीं हटाने के संबंध में किसी एक्सपर्ट एजेंसी से अध्ययन कराने का फैसला किया गया था

-इस फैसले की पालना में जेडीए ने बीआरटीएस कोरिडोर का अध्ययन कराने के लिए केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान को पत्र भेजा था

-इस पत्र पर केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) की टीम ने 6 मई को कोरिडोर का निरीक्षण किया

-इस निरीक्षण के बाद सीआरआरआई ने जेडीए को औपचारिक ऑफर दिया 

-इस ऑफर पर जेडीए ने सीआरआरआई को अध्ययन करने के लिए वर्क ऑर्डर भी दे दिया

-वर्क ऑर्डर मिलने के बाद सीआरआरआई काम शुरू करती, उससे पहले ही जेडीए ने उसे काम करने से रोक दिया

-जेडीए अधिकारियों के अनुसार मध्यप्रदेश सरकार ने भोपाल में बीआरटीएस कोरिडोर हटाने का कुछ महीने पहले फैसला किया था

-मध्यप्रदेश सरकार के इस फैसले का आधार किसी एक्सपर्ट एजेंसी की ओर से अध्ययन के बाद दी गई सिफारिशें नहीं थी

-जेडीए को राज्य सरकार से संकेत मिले हैं कि जल्द ही बीआरटीएस कोरिडोर को लेकर फैसला किया जाएगा.