जयपुरः विपक्ष में रहने के बावजूद राजस्थान कांग्रेस में गुटबाजी अभी भी बरकरार है. मैन कांग्रेस में जहां चार बड़े नेताओं के खेमे है तो वहीं अग्रिम संगठन भी उनके नक्शे कदम पर है. खासतौर से एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस तो जमकर गुटबाजी का शिकार है. दोनों संगठनों का प्रदेश नेतृत्व से कम्यूनिकेशन और तालमेल ना के बराबर है.
इस बार विधायकों की संख्या के आधार पर राजस्थान में बतौर कांग्रेस विपक्ष के रूप में तो काफी मजबूत है. लेकिन गुटबाजी के चलते कह सकते है एकजुटता का कांग्रेस में अभी भी अभाव है. राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट,अशोक गहलोत,गोविंद डोटासरा औऱ टीकाराम जूली जैसे बड़े नेताओं के चार खेमे तो जगजाहिर है. ऐसे में जाहिर सी बात है इसका असर फिर नीचे भी होगा. अग्रिम संगठनों में भी गुटबाजी साफ देखने को मिल रही है. जिसके चलते उनके कार्यक्रमों में गुटबाजी फिर खुलकर सामने भी आ जाती है.
आखिर कब दूर होगी कांग्रेस में गुटबाजी
अग्रिम संगठन भी गुटबाजी के जमकर शिकार
यूथ कांग्रेस और NSUI में है जमकर गुटबाजी
दोनों संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष आते है पायलट खेमे से
इन संगठन के प्रोग्राम से प्रदेश नेतृत्व रहता है नदारद
दोनों संगठन प्रमुखों का स्टेट लीडरशिप से कम्युनिकेशन ना के बराबर
यूथ कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष और दोनों कार्यकारी अध्यक्ष में है मनमुटाव
पिछले दिनों डोटासरा जयपुर में रहने के बावजूद नहीं गए NSUI के प्रदर्शन में
गुटबाजी से आहत होकर पिछले दिनों पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने भी बयान के जरिए अपनी पीड़ा जाहिर की थी. डोटासरा ने नाम लिए बिना इशारों में कहा था कि व्यक्तिगत नारे लगने के बजाय कांग्रेस के नारे लगने चाहिए. खास बात है डोटासरा ने यह बयान उस वक्त पीसीसी में दिया जब बगल में ही शहीद स्मारक पर एनएसयूआई के प्रदर्शन हो रहा था. जिसमें सचिन पायलट सहित उनके समर्थक विधायक मौजूद थे.
गुटबाजी के चलते जाहिर सी बात है पार्टी में फिर अनुशासन कैसे कायम रहेगा. दोनों संगठनों के कार्यक्रम में जब पीसीसी चीफ नहीं जाते है तो फिर संगठन से जुड़े पदाधिकारी और कई विधायक भी इनसे दूरियां बना लेते है. ऐसे में फिर सियासी गलियारों में भला मैसेज कैसे अच्छा जाएगा. यह हालात तो तब है जब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस गुटबाजी के चलते हार गई. लेकिन उसके बावजूद कांग्रेस नेता सीख नहीं ले रहे.
कांग्रेस के अग्रिम संगठन गुटबाजी के शिकार
यूथ कांग्रेस और NSUI में अनुशासन का अभाव
प्रदेश नेतृत्व से दोनों संगठनों का नहीं है तालमेल
संगठन के कार्यक्रमों में नजर नहीं आती स्टेट लीडरशिप
पिछले दिनों गोविंद डोटासरा के NSUI प्रदर्शन में नहीं जाने से उठे सवाल