जयपुर: सांभर, राजस्थान का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल, आजकल अपनी छवि को नए रूप में पेश कर रहा है. पहले नमक की झील और फीणी की मिठास के लिए प्रसिद्ध यह स्थान अब देश-विदेश के पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर रहा है. सांभर उत्सव, जो पांच दिनों तक मनाया जा रहा है, इस क्षेत्र की समृद्ध धरोहर, संस्कृति और रोमांचक गतिविधियों का अद्वितीय संगम प्रस्तुत कर रहा है. इस उत्सव ने सांभर को न केवल पर्यटन की दृष्टि से एक नई पहचान दी है, बल्कि यहां के स्थानीय कारोबार और पारंपरिक कला रूपों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है.
उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी के निर्देश पर इस बार सांभर उत्सव को 5 दिन तक मनाया जा रहा है. इस उत्सव का आयोजन सांभर कस्बे में किया जा रहा है, और यह न केवल स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने का एक अवसर है, बल्कि पर्यटकों को इस इलाके के ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक सुंदरता से परिचित कराने का एक बेहतरीन माध्यम भी है. इस उत्सव का आज दूसरा दिन है, और यह दिन पर्यटकों के लिए विभिन्न गतिविधियों से भरा हुआ है.
सांभर उत्सव के पहले दिन की झलक:
पहले दिन से ही इस उत्सव ने सभी का ध्यान आकर्षित किया. उत्सव की शुरुआत हेरिटेज वॉक से हुई, जिसमें पर्यटकों को सांभर कस्बे की ऐतिहासिक गलियों और प्रमुख स्थलों की सैर कराई गई. यहां के स्थापत्य, कला और संस्कृति ने उपस्थित सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. इस हेरिटेज वॉक में स्थानीय गाइड्स ने सांभर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को विस्तार से बताया, जिससे पर्यटकों को इस स्थान की जड़ें और इतिहास समझने का अवसर मिला.
दूसरे दिन की गतिविधियां: रोमांचक और सांस्कृतिक संगम:
सांभर उत्सव का आज दूसरा दिन और भी ज्यादा रोमांचक और विविधताओं से भरा हुआ है. सुबह 10 बजे से ही विभिन्न गतिविधियाँ शुरू हो गईं. पर्यटकों के लिए फैंसी काइट डेमोन्सट्रेशन, आर्ट एंड क्राफ्ट स्टॉल्स, फोटोग्राफी एग्जिबिशन, और स्ट्रीट परफॉर्मेंस जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. यहां के बाजार में सज्जित आर्ट एंड क्राफ्ट स्टॉल्स पर स्थानीय शिल्पकला के अद्भुत नमूने देखने को मिल रहे हैं. पर्यटक यहां से विशेष हस्तशिल्प के सामान, कालीन, कढ़ाई की कृतियाँ, और विभिन्न प्रकार के पारंपरिक वस्त्र खरीद सकते हैं. इस अवसर पर स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुति दी जा रही है, जो यहां की संगीत और नृत्य परंपरा को प्रदर्शित करते हैं. इन लोक कलाकारों की रंगीन पोशाकें और जीवंत नृत्य प्रस्तुति इस उत्सव की सांस्कृतिक सुंदरता को और बढ़ा रही हैं. इसके साथ ही, पर्यटकों को रोमांचक गतिविधियाँ जैसे घुड़सवारी, ऊंट सवारी, कैमल कार्ट राइट, पैरासेलिंग, पैरामोटरिंग, पैराग्लाइडिंग, जीप सफारी, और एटीवी राइड्स का भी आनंद लिया जा रहा है. ये साहसिक गतिविधियाँ उन पर्यटकों के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करती हैं, जो प्रकृति और रोमांच को एक साथ अनुभव करना चाहते हैं.
सांभर की धरोहर और नमक झील का महत्व:
सांभर के ऐतिहासिक और प्राकृतिक महत्व का एक अहम हिस्सा इसकी नमक झील है, जो देश की सबसे बड़ी नमक झील मानी जाती है. उत्सव के दूसरे दिन, 3 बजे से साल्ट प्रोसेसिंग टूर का हुआ. जिसमें पर्यटक नमक उत्पादन की पूरी प्रक्रिया को देख सकेंगे. इस टूर में उन्हें यह जानने का मौका मिलेगा कि कैसे स्थानीय लोग नमक की झील से नमक निकालते हैं और उसे व्यावसायिक उपयोग के लिए तैयार करते हैं. इसके बाद, शाम 4 बजे सांभर के मुख्य आकर्षण, 'साल्ट लेक' की सैर रही. साल्ट लेक का दौरा करने वाले पर्यटक यहां की अनूठी जलवायु और जीवन को करीब से महसूस कर सकेंगे. इसके साथ ही, बर्ड वाचिंग टूर का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें विशेष रूप से फ्लेमिंगो जैसे प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकेगा. ये पक्षी यहां की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं, और उनका आगमन सांभर के पारिस्थितिकी तंत्र का अभिन्न हिस्सा बन चुका है.
सांस्कृतिक संध्या और स्टार्गेजिंग:
दिन के अंत में, सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाएगा, जिसमें लोक संगीत, नृत्य, और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए. यह कार्यक्रम न केवल इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करता है, बल्कि पर्यटकों को राजस्थान की जीवंत परंपराओं से भी अवगत कराता है. सांस्कृतिक संध्या के बाद, सोमवार रात 8 बजे स्टार्गेजिंग एक्टिविटी का आयोजन हुआ. जिसमें लोग आकाश के तारों का अवलोकन किया.यह गतिविधि उन पर्यटकों के लिए विशेष रूप से आकर्षक है, जो रात के आकाश को निहारने का शौक रखते हैं.
पर्यटन विभाग की भूमिका:
उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी के मार्गदर्शन में पर्यटन विभाग के उपनिदेशक उपेंद्र सिंह शेखावत ने इस उत्सव के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने बताया कि इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य सांभर के पर्यटन को एक नई दिशा देना और यहां की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करना है. उनका कहना है कि सांभर उत्सव जैसे आयोजनों से न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि राजस्थान के अन्य पर्यटन स्थलों को भी नई पहचान मिलेगी.
निष्कर्ष:
सांभर उत्सव न केवल एक सांस्कृतिक और साहसिक कार्यक्रम है, बल्कि यह इस क्षेत्र की ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करने और उसका प्रचार-प्रसार करने का भी एक प्रभावशाली मंच है. इस उत्सव ने सांभर को एक नया जीवन दिया है, जहां परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है. इस तरह के आयोजनों से न केवल स्थानीय जनता को लाभ होगा, बल्कि पर्यटकों को राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और विविधता का अनुभव भी मिलेगा.