भ्रष्टाचारियों के खौफ तक पहुंची 1st इंडिया की टीम, 1064 नंबर के कॉल सेंटर पर जानी कार्य प्रक्रिया, देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः आखिर कैसे एक फोन कॉल से भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारी की शामत आ जाती है, यही डीकोड करने के लिए फर्स्ट इंडिया  ने ACB की डीजी स्मिता श्रीवास्तव  से पूरी प्रक्रिया को जाना. फिर एसीबी मुख्यालय के उस कमरे तक पहुंचे, जहां 1064 नंबर का कॉल सेंटर चलता है. यहां प्रवेश पाना इतना आसान नहीं था, क्योंकि परिवादी की हर कॉल को गुप्त रखा जाता है. यहां न तो किसी मंत्री-विधायक को एंट्री दी जाती है और न किसी बड़े से बड़े अधिकारी को. 

1064, वो नंबर है, जिससे राजस्थान में हर भ्रष्टाचारी खौफ खाता है. घूस लेने वाले IAS-IPS से लेकर बडे़-बड़े अफसर-कर्मचारी इन नंबरों पर शिकायत के चलते ही आज जेल की सलाखों के पीछे हैं. इस साल एसीबी 15 अक्टूबर तक हेल्पलाइन के जरिये 101 ट्रेप कर चुकी है. राजस्थान एसीबी की इस वर्किंग को फॉलो करने के लिए UP, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड सहित कई राज्यों की टीमें ट्रेनिंग ले चुकी हैं. यहां तक कि मुख्यमंत्री भी कामकाज में कोई दखल नहीं देते हैं. डीजी स्मिता श्रीवास्तव से स्पेशल परमिशन के बाद हमें अंदर जाने दिया गया. शुक्रवार को जब फर्स्ट इंडिया की टीम उस कमरे में दाखिल हुई तो सीआई रीना मिस्त्री और दो कर्मचारी 1064 पर आ रही शिकायतें नोट कर रहे थे. फर्स्ट इंडिया  टीम ने करीब 6 घंटे वहां रुककर पूरी प्रोसेस जाना. ग्राउंड पर रियलिटी चैक भी किया कि आखिर परिवादी की कॉल को ACB कैसे रिस्पॉन्स करती है. 

ऐसे वर्किंग कॉल रिसीव करते ही ड्यूटी अफसर सलीके से संबोधित करते हैं.
करता है नंबर 1064
'सर नमस्कार.... राजस्थान एसीबी
परिवादी का कॉल आने
पर 2 रिसीवर में से जहां भी पहले घंटी बजती है, उसका ड्यूटी अफसर
रिसीव करता है.
1064 से बात कर रहे हैं. बताइए
आपकी क्या शिकायत है.'
परिवादी को यह भरोसा दिलाया
जाता है कि आपकी डिटेल कहीं
भी लीक नहीं की जाएगी.
इंस्पेक्टर परिवादी से पूरी डिटेल पूछता है. जिसे कॉल के दौरान ही एक रफ रजिस्टर में नोट करते हैंकॉल को रिकॉर्ड भी करते हैं ताकि कोई डिटेल छूट जाने पर दोबारा से सुनकर नोट कर सकें.बाद में शिकायत को सरकारी रिकॉर्ड वाले रजिस्टर पर पूरी डिटेल के साथ रजिस्टर करते हैं.इस शिकायत को सीआई रीना मिस्त्री मॉनिटर करती है, फिर एसीबी डीजी के पास भेजा जाता है.

ट्रैप से पहले एविडेंस इकट्ठे करती है एसीबी
शिकायत मिलने के बाद एसीबी परिवादी के संबंधित क्षेत्र के अधिकारी का नंबर देती है.
संबंधित अधिकारी को भी कॉल सेंटर से फोन कर परिवादी का नंबर दिया जाता है.
उधर मामले का सत्यापन करने के लिए एसीबी सबूत इकट्ठे करती है.
परिवादी का एसीबी पूरा प्लान होने पर अधिकारी से संपर्क हुआ
या नहीं, यह भी कॉल कर दूसरे जिले की टीम को ट्रैप में लगा
कन्फर्म किया जाता है. दिया जाता है.
ट्रैप सक्सेस होने के बाद रजिस्टर में दर्ज शिकायत को गुलाबी रंग के हाईलाइट कर देते हैं.

एसीबी हेड क्वार्टर में ही 1064 का कॉल सेंटर बनाया गया है. पूरे राजस्थान में कहीं से शिकायत के लिए कॉल करते हैं तो यहीं पर पहुंचती है. फर्स्ट इंडिया टीम जब पहुंची तो सीआई रीना मिस्त्री एक शिकायत के बारे में कॉन्स्टेबल से फीडबैक ले रही थी. कमरे में 2 अन्य सहयोगी कर्मचारी भी मौजूद थे.काम करने के लिए चार डेस्कटॉप, दर्जन भर फाइलें, 4 हेडफोन और 2 कॉल रिसीवर थे. महज 6  घंटे के दौरान हमारे सामने एसीबी अधिकारियों ने 100 से अधिक कॉल रिसीव किए. चूंकि एसीबी परिवादी की जानकारी लीक नहीं करती इसलिए केवल उसी पार्ट को ही हम यहां बता रहे हैं जो वर्किंग समझाने के लिए जरूरी है. एसीबी 1064 इंचार्ज सीआई रीना मिस्त्री के मुताबिक 1064 पर रोजाना करीब 200 से 250  कॉल आती हैं और एक माह में 16000 से 17000 कॉल आती है . रोजाना करीब 125 कॉल्स आम शिकायतों की होती है. जैसे कि नगर निगम की एनओसी, जन्म प्रमाण पत्र, मूल निवास नहीं बनाने जैसी जनरल समस्याओं की शिकायत होती है. इनमें स्पष्ट रूप से किसी एक अधिकारी के रुपए मांगने की डिटेल नहीं होती है. रोजाना एवरेज 20 -25  कॉल्स परफेक्ट होती हैं, जिनमें रुपए मांगे जाने की सही जानकारी और सबूत होते हैं. हर कॉल को ऑटो रिकॉर्ड पर लिया जाता है. कोई चूक न हो इसलिए 30 दिन का रिकॉर्डिंग बैकअप भी रखा जाता है.

कॉल सेंटर पर होता है 10 लोगो का स्टाफ तीन शिफ्ट में एसीबी करते है
काम सुबह 8:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे 
इसके बाद दोपहर 2:00 बजे से शाम 8:00 बजे तक
तीसरी शिफ्ट रात को 8:00 से सुबह 8:00 बजे तक रहती है. 

एसीबी 1064 इंचार्ज सीआई रीना मिस्त्री  ने फर्स्ट इंडिया को बातचीत में बताया कि कई जिलों और कस्बों में सालों से कोई ट्रैप नहीं हुआ था, लेकिन 1064 टोल फ्री नंबर आने से पिछले डेढ़ साल में ऐसे जिलों में भी ट्रैप होने लगे हैं. भरतपुर, श्रीगंगानगर, मकराना, कामां, सीकर, करौली सहित कई जिलों में पहले ट्रैप की कार्रवाई नहीं होती थी. अब लोग जागरूक हुए हैं. सीधे ही जयपुर हेडक्वार्टर में कॉल कर सूचना देते हैं. परिवादी के मन में ट्रैप के बाद डर रहता है. इसलिए ट्रैप की कार्रवाई भी दूसरे जिले की टीम को दी जाती है, जिससे परिवादी को एसीबी पर पूरा भरोसा रहे.