अमावस्या तिथि के स्वामी होते है पितृदेव, पितरों के लिए करें यथाशक्ति दान - पुण्य, जानिए वर्ष 2026 में कब-कब आएंगी अमावस्या

अमावस्या तिथि के स्वामी होते है पितृदेव, पितरों के लिए करें यथाशक्ति दान - पुण्य, जानिए वर्ष 2026 में कब-कब आएंगी अमावस्या

जयपुर: नया वर्ष वर्ष 2026 जैसे ही शुरू होगा वैसे ही त्यौहार और व्रत भी शुरू हो जाएंगे.इन्हीं में एक अमावस्या भी है.हिन्दु पञ्चांग के अनुसार, जब चंद्रमा को देखा नहीं जा सकेगा वह दिन अमावस्या कहलाता है.पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पृथ्वी का एक चक्कर चंद्रमा करीब 28 दिनों में पूरा करता है.वहीं, हर 15वे दिन चंद्रमा धरती के दूसरी तरफ होता है.यही कारण है कि चंद्रमा को नहीं देखा जा सकता है.इसी दिन को अमावस्या भी कहा जाता है.

हिंदू शास्त्रों में इस दिन को बहुत ही अहम माना गया है.साथ ही इस दिन को पूर्वजों का दिन भी कहा जाता है. ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि अमावस्या के दिन भगवान का स्मरण करना चाहिए.साथ ही बुरे व्यसनों से भी दूर रहना चाहिए.इस दिन गरीब लोगों को दान करना चाहिए.अमावस्या के दिन गरीबों को भोजन कराने से यह सीधा पितरों तक पहुंचता है.अगर ऐसा किया जाए तो इससे पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है.वर्ष 2026 में अमावस्या कब-कब पड़ने वाली है इसकी जानकारी हम आपको यहां दे रहे हैं. अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव होते हैं और यह दिन पितृदेव को समर्पित होता है.

अमावस्या पर क्या करें:
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अमावस्या  के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर भगवान का ध्यान करें.उसके बाद अपने पितरों का स्मरण कर व्रत रखें.अमावस्या के दिन किसी गरीब, जरूरतमंद, बेसहारा या बुजुर्ग व्यक्ति को भोजन कराएं और दान दें.ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. अमावस्या का दिन बेहद शुभ माना जाता है.इस दिन मांस-मदिरा और नशीली चीजों का सेवन बिल्कुल न करें.ऐसा करने से पितृदोष लगता है.

पितरों के लिए पूजा और दान:
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अमावस्या शब्द संस्कृत से लिया गया है जिसको चांद से जोड़कर देखा जाता है.साल में 12 अमावस्या होती है.सबसे बड़ी अमावस्या कार्तिक अमावस्या होती है.इस दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है.इस दिन पितृों के लिए पूजा और दान आदि किया जाता है.हिंदू पंचांग में अमावस्या तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है.इसके अलावा पितृपक्ष अमावस्या यानी श्राद्ध अमावस्या भी बहुत महत्नपूर्ण मानी जाती हैं.इस दिन पितृों का तर्पण आदि किया जाता है.सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है, यह अमावस्या भी स्नान और दान के हिसाब से बहुत महत्वपूर्ण होती है.

आइए भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास से जानते हैं इन तिथियों के बारे में
रविवार, 18 जनवरी    माघ अमावस्या
मंगलवार, 17 फरवरी    फाल्गुन अमावस्या
गुरुवार, 19 मार्च    चैत्र अमावस्या
शुक्रवार, 17 अप्रैल    वैशाख अमावस्या
शनिवार, 16 मई    ज्येष्ठ अमावस्या
सोमवार, 15 जून    ज्येष्ठ अमावस्या (अधिक)
मंगलवार, 14 जुलाई    आषाढ़ अमावस्या
बुधवार, 12 अगस्त    श्रावण अमावस्या
शुक्रवार, 11 सितंबर    भाद्रपद अमावस्या
शनिवार, 10 अक्टूबर    अश्विन अमावस्या
सोमवार, 09 नवंबर    कार्तिक अमावस्या
मंगलवार, 08 दिसंबर    मार्गशीर्ष अमावस्या