जयपुर: राजस्थान में गर्मी के भीषण तेवर होटल इंडस्ट्री और ट्रैवल ट्रेड पर भारी पड़ रहे हैं. चढ़ते पारे से पर्यटकों ने मरुधरा से किनारा कर लिया है. सबसे ज्यादा प्रभाव होटल इंडस्ट्री पर देखने को मिल रहा है जिसकी बुकिंग 70 फ़ीसदी तक नीचे गिरी है.
अकेले राजधानी की बात करें तो राजधानी जयपुर में साढे चार सौ सितारा और बजट होटल हैं जिनमें करीब 8000 से ज्यादा कमरे हैं. मार्च तक इन होटलों में 60 से 70 फीसदी बुकिंग थी मई की शुरुआत से गिरने लगी और 30 मई आते आते 25 से 30 फीसदी के स्तर पर रह गई. कमरों की बुकिंग के तौर पर इसे समझें तो कहा जा सकता है कि मार्च तक जहां 5 हजार से साढ़े पांच हजार कमरे बुक रहते थे वह 31 मई आते आते दो से ढाई हजार तक सिमट गए हैं.
इससे पर्यटन उद्योग चरमरा गया है और सबको इंतजार है तो इस बात का कि मानसून जल्द आए जिससे ट्रैवल ट्रेड को राहत मिले और पर्यटकों का वापस प्रदेश में आना शुरू हो. दरअसल प्रदेश में जयपुर के अलावा जोधपुर, उदयपुर, सवाई माधोपुर, चित्तौड़, माउंट आबू और जैसलमेर में देश विदेश के पावणा की काफी चहल-पहल रहती थी. लेकिन इस बार पारा इतना चढ़ा कि सारे रिकॉर्ड तोड़ गया. उसका विपरीत असर यह रहा कि न केवल राजधानी जयपुर व प्रदेश के तमाम प्रमुख शहर खासकर पर्यटन स्थलों वाले शहरों में सैलानियों का आगमन तेजी से गिरा और होटलों में कमरे खाली होते चले गए.
बजट होटल्स हालत कितनी बुरी हैं कि स्टाफ की तनख्वाह निकलने तक में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अब जून तक प्रदेश में मानसून के आने के आसार हैं लेकिन मानसून में भी पर्यटन को ज्यादा गति मिलेगी इसको लेकर आशंका है. ट्रैवल ट्रेड से जुड़े लोगों का कहना है कि अब कमजोर हुआ पर्यटन उद्योग सितंबर की शुरुआत से ही संभाल पाएगा.