अंता उपचुनाव से कांग्रेस के कईं नेताओं ने बनाई दूरियां, गोविंद डोटासरा बोले-आगे ऐसे नेताओं को नहीं देंगे अब जिम्मेदारी 

जयपुर: अंता विधानसभा उपचुनाव में प्रचार से दूरी बनाने वाले कांग्रेस नेताओं को लेकर प्रदेश नेतृत्व गंभीर नाराज है.यहां तक की करीब एक दर्जन से ज्यादा स्टार प्रचारक तक अंता चुनाव में प्रचार नहीं करने गए, जिसमें हरीश चौधरी,दानिश अबरार, सीपी जोशी और मोहनप्रकाश जैसे दिग्गज नेता भी शामिल है. गोविंद डोटासरा ने कहा कि प्रचार से दूरी बनाने वालों को आगे से अब जिम्मेदारी नहीं देंगे.

अंता विधानसभा उपचुनाव की जंग जीतने के लिए कांग्रेस ने पूरा जोर लगा दिया था.करीब तीन सौ नेताओं की ड्यूटी प्रदेश नेतृत्व ने अंता चुनाव में लगाई थी.यहां तक की हर गांव में एक नेता को तैनात कर दिया गया था.वहीं चालीस नेताओं को स्टार प्रचारक लगाया था, लेकिन उसके बावजूद कईं नेताओं ने चुनाव प्रचार से एकदम दूरी बनाए रखी.यहां तक कि सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लगाना तक कई नेताओं ने जरूरी नहीं समझा.लिहाजा स्टेट कांग्रेस लीडरशिप इससे बेहद नाराज है.

अंता विधानसभा उपचुनाव में कईं कांग्रेस नेता नहीं गए प्रचार करने:
-प्रदेश नेतृत्व ने इन नेताओं को दी थी प्रचार की जिम्मेदारी
-40 स्टार प्रचारकों में से करीब 15 नेता नहीं करने गए प्रचार
-सीपी जोशी, ऋतिक मकवाना,हरीश चौधरी, मोहन प्रकाश 
-दानिश अबरार,दिव्या मदेरणा,अर्जुन बामनिया,रामलाल जाट
-भजनलाल जाटव,संजना जाटव, उदयलाल आंजना,प्रताप सिंह खाचरियावास
-अमीन कागजी, अभिमन्यु पूनिया और विनोद जाखड़ नहीं गए प्रचार
-कईं अन्य नेताओं ने भी प्रचार से बनाई दूरी
-प्रदेश नेतृत्व परिणाम बाद करेगा अब इसको लेकर समीक्षा

चुनावी ड्यूटी लगाने के बाद दूरी बनाने के मसले को अब प्रदेश नेतृत्व ने बेहद गंभीरता से लिया है.पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने कहा कि रिजल्ट आने के बाद हम इसका विश्लेषण करेंगे.हमारे वॉर रुम में के पास सारा रिकॉर्ड है कि कौन नेता गया औऱ कौन नेता नहीं गया.आगे से हम इस बात का फिर पूरा ख्याल रखेंगे कि जिसने अपना रोल नहीं निभाया उसको जिम्मेदारी नहीं दी जाए.

हालांकि अब मामला गर्माने के बाद कईं नेताओं का कहना है कि वो बिहार चुनाव में बिजी थे तो कईं नेताओं के तर्क है कि वो पहले से तय कार्यक्रमों के चलते नहीं जा पाएं.लेकिन हैरत की बात है कि सोशल मीडिया पर भी इनमें से कई नेताओं ने प्रचार करना तक जरूरी नहीं समझा.अब देखते है कि आगे प्रदेश नेतृत्व इन नेताओं के बेरुखी को कैसे हैंडल करता है.