अलविदा 2025: संशोधित PKC परियोजना को मिली रफ्तार, यमुना जल समझौते में संयुक्त डीपीआर के कार्यादेश जारी, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: प्रदेश की भजनलाल सरकार पेयजल प्रबंधन पर खासा ध्यान दे रही है ताकि प्रदेश के लाखों किसानों के खेतों तक पानी पहुंचे और लाखों प्यासे कंठों को चंबल और यमुना का जल दिया जा सके. इस साल संशोधित PKC परियोजना व यमुना जल समझौते का काम आगे बढ़ा और जल संसाधन विभाग के दर्जनभर से अधिक बड़े प्रोजेक्ट को रफ्तार मिली. ताकि पेयजल प्रबंधन मजबूत होने के साथ ही पानी की छीजत कम की जा सके. क्या कुछ मिला वर्ष 2025 में.

भजनलाल सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट राम जल सेतु लिंक परियोजना (संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना) की बात करें तो पूर्वी राजस्थान के 17 जिलों में लगभग 4 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई और लगभग 3 करोड़ आबादी की पेयजल जरुरतों को पूरा किया जा सकेगा. इसमें भी अब कोटा, बारां और झालावाड़ क्षेत्र की 12 सिंचाई परियोजनाओं को शामिल करने की मांग शामिल हो गई. परियोजना के सबसे महत्वपूर्ण घटक नवनेरा बैराज का काम पूरा होने के बाद हर स्तर पर टेस्टिंग भी हो गई. परियोजना के प्रथम चरण में ईसरदा बांध का निर्माण कर 15 सितंबर, 2025 को जलभराव की टेस्टिंग पूरी. उधर, रामगढ़ बैराज, महलपुर बैराज, नवनेरा पम्प हाउस, चम्बल नदी पर एक्वाडक्ट निर्माण, नवनेरा पम्प हाउस से मेज तक फीडर निर्माण, मेज से गलवा तथा गलवा से ईसरदा एवं बीसलपुर के लिए फीडर निर्माण के 9416.70 करोड़ रुपए के 3 पैकेजों के कार्य शुरू किए जा चुके है. दूसरी तरफ फेज वन-बी पैकेज के लिए 24 सितंबर, 2025 को जारी स्वीकृति पत्र के बाद अब अलाइनमेंट का काम चल रहा है.

--- संशोधित PKC फेज वन-बी में क्या काम होंगे ---
 -मोर सागर कृत्रिम रिजर्व वायर का निर्माण और बीसलपुर से मोर सागर कृत्रिम रिजर्ववायर तक फीडर का निर्माण (राशि 4799.50 करोड़ रुपए)
-ईसरदा से रामगढ़ बांध जयपुर तक फीडर निर्माण (राशि 2196 करोड़ रुपए) 
-खुरा चैनपुरा से जयसमंद अलवर फीडर निर्माण (राशि 3995 करोड़ रुपए)
- ईसरदा से खुरा चैनपुरा से बंध बरेठा, भरतपुर तक फीडर निर्माण कार्य  (राशि 2905 करोड़ रुपए) 
-ब्रह्माणी बैराज निर्माण के लिए (राशि 780.64 करोड़ रुपए) 
-कुल 1467़6 करोड़ के कार्यों के स्वीकृति पत्र (एलओए) 
-इन कार्यों पर अलाईनमेंट सर्वे का कार्य प्रगतिरत है
 -इन कार्यों को वर्ष 2028 तक पूर्ण किए जाने का लक्ष्य निर्धारित

यमुना जल की बात करें तो हथिनी कुंड बैराज (ताजेवाला हैड, हरियाणा) से आवंटित जल से चूरू, झुंझुनूं एवं सीकर जिलों में यमुना जल की बहुप्रतीक्षित मांग पूरी होगी. 25 जुलाई, 2025 को नैबकान को संयुक्त डीपीआर के लिए कार्यादेश जारी किया गया. हरियाणा और राजस्थान की संयुक्त टास्क फोर्स द्वारा भूमिगत पाइप लाइन के लिए इष्टतम एवं तकनीकी उपादेय अलाइनमेंट का सर्वे कार्य  भी पूरा हो गया. अब अलाइनमंट पर सहमति का इंतजार है और उसके बाद धरातल पर काम दिखाई भी देने लगेगा.

जल संसाधन विभाग के वर्तमान में दर्जनभर से अधिक बड़े प्रोजेक्ट में काम चल रहा. चाहे सिंचाई परियोजना के तहत किसानों के खेत तक पानी पहुंचाने की बात हो या फिर पेयजल प्रोजेक्ट के तहत लाखों लोगों के कंठ तर रहने हों. कहा जा सकता है कि प्रदेश के हर जिले को लाभ देने की कोशिश है..

--- प्रदेशभर में वर्ष 2025 के दौरान इन प्रोजेक्ट ने पकड़ी रफ्तार ---
- विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं (इन्दिरा गांधी नहर परियोजना) सहित पर 10418.30 करोड़ रुपए व्यय कर 84592 हैक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई.
-परवन वृहद बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना परवन नदी पर ग्राम अकावद कलां खानपुर झालावाड़ के निकट प्रगतिरत है. यह परियोजना कोटा, बारां एवं झालावाड जिले के लिए महत्वपूर्ण
परियोजना है. इस परियोजना के अन्तर्गत तीनों जिलों के कुल 571 गांवों के 2.01 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा और कुल 1402 (संषोधित) गांवों में पेयजल सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.
-धौलपुर लिफ्ट सिंचाई एवं पेयजल परियोजना के तहत चम्बल नदी से 6.54 क्यूमेक्स पानी लिफ्ट कर धौलपुर जिले के कुल 256 गांवों के (तहसील धौलपुर के 65 गांवों, तहसील मनियां के 83 गांवों, तहसील राजाखेड़ा के 83 गांवों  एवं तहसील सैपऊ के 25 गांवों)  मेें 39,980 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र में स्प्रिंकलर पद्वति द्वारा सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है.
- पीपलखूंट हाई लेवल कैनाल परियोजना, पीपलखूंट तहसील के 16 गांवों की 5000 हेक्टेयर अनकमांड क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के साथ-साथ माही बांध से 3.72 टी.एम.सी.
जल जाखम बांध में परिवर्तित करने के उद्देश्य से की गई है. जिससे प्रतापगढ़, उदयपुर,राजसमंद एवं चित्तौड़गढ़ जिले में पेयजल सुविधा उपलब्ध करवायी जा सकेगी. 
-अपर हाई लेवल कैनाल माही परियोजना, बांसवाडा के आदिवासी अंचल की 6 तहसीलों यथा बांसवाडा, बागीदोरा, आनन्दपुरी, कुशलगढ, सुजानगढ़ व गांगड़तलाई के कुल 338 ग्रामों की
कास्त योग्य भूमि के लगभग 42000 हेक्टेयर क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई प्रणाली द्वारा सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए माही बांध के अधिशेष जल का उपयोग कर उक्त परियोजना की परिकल्पना की गई. 
-कालीतीर लिफ्ट परियोजना, ग्राम कालीतीर तहसील सरमथुरा जिला धौलपुर के नजदीक चम्बल नदी से पानी लिफ्ट कर पार्वती बांध एवं रामसागर बांध को वर्षा काल में ही भरा जाना प्रस्तावित है. 
-ल्हासी सिंचाई परियोजना में ल्हासी नदी पर खजुरिया ग्राम जिला बारां में निर्माणाधीन है. इस परियोजना से 2,539 हेक्टेयर र क्षेत्र में सिंचाई सुविधा तथा छबडा एवं छीपाबड़ौद कस्बों को
पेयजल की सुविधा तथा छबडा थर्मल पावर स्टेशन के लिए भी जल उपलब्ध कराया जाएगा. इस परियोजना के प्रमुख एवं महत्वपूर्ण घटकों को पूर्ण किया जा चुका हैं.
-गागरिन सिंचाई परियोजना में आहू नदी पर गांव कालापीपल (देवगड़) तहसील पिड़ावा/पचपहाड़ जिला झालावाड़ में निर्माणाधीन है. इस परियोजना से पिड़ावा तहसील के 32 गांवो में 10000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. 
-गरड़दा सिंचाई परियोजना में मांगली डूंगरी नदी व गणेश नाला पर ग्राम होलासपुरा जिला बून्दी में निर्माणाधीन है. परियोजना से बून्दी जिले के 44 गावों की 9161 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई
सुविधा एवं जिले के 111 गांवों और 98 ढ़ाणियों में पेयजल सुविधा उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है. परियोजना को दिनांक 31 दिसम्बर, 2025 तक पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है.
-हथियादेह सिंचाई परियोजना में स्थानीय नदी पर ग्राम करवरी खुर्द तहसील किशनगंज जिला बारां मे निर्माणाधीन है. परियोजना से बारां जिले के 49 ग्रामों की 8979 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. बांध की पूर्ण भराव क्षमता 46.95 मि.घ.मी. है. 
-तकली सिंचाई परियोजना में तकली नदी पर ग्राम ढाकिया तहसील रामगंजमंडी जिला कोटा में निर्माणाधीन है. बांध की भराव क्षमता 33.74 मिलियन घन मीटर से 33 गांवों को 7800 हेक्टेयर
भूमि में सिंचाई सुविधा एवं 0.66 मिलियन घन मीटर औद्योगिक उपयोग के लिए उपलब्ध हो सकेगा. 
- सिंचाई परियोजनाओं का कार्य  समय पर पूर्ण किये जाने के लिए मुख्यमंत्री सिंचाई टास्क फोर्स का
गठन किया गया.
- इंदिरा गांधी मुख्य नहर के बुर्जी 507 पर दाईं ओर स्थित एस्केप रिजरवायर को जल जीवन मिशन के अन्तर्गत वृहद् जलाशय में परिवर्तित किए जाने की योजना के तहत डिपॉजिट मद में
208 करोड़ रुपए की लागत से कार्य  पूर्ण किया गया.
-इन्दिरा गांधी नहर परियोजना की पन्नालाल बारूपाल लिफ्ट नहर पर फव्वारा सिंचाई पद्धति के लिए  प्रगतिरत पैकेज जीएल-1, जीएल-2, बीजीएल-1 व बीजीएल-2 का कार्य  पूर्ण कर लगभग 58,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई पद्धति स्थापित की गई.
-किसान साथी एप के जरिए किसानों को घर बैठे सिंचाई जल की उपलब्धता की जानकारी मिलेगी. फिलहाल किसान साथी मोबाइल एप से धौलपुर के पार्वती सिंचाई परियोजना के लगभग 24,667 हेक्टेयर कमांड क्षेत्र के धौलपुर, बाड़ी व बसेड़ी विधानसभा क्षेत्र के 100 गांव के 72 हजार किसान लाभान्वित होंगे. इस एप के जरिए स्वामित्व विवरण के साथ फसल की जानकारी मिलेगी.
-अक्टूबर 2025 में बाराबंदी मोबाइल ऐप विकसित किया है. इसके माध्यम से किसान सीधे अपने मोबाइल फोन पर अपनी जल पर्चियों को देख सकेंगे और अपनी भूमि, सिंचाई बारी,
भराई एवं निकाल के समय आदि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे
-श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ एवं बीकानेर जिलों में 1.11 लाख हेक्टेयर कमाण्ड क्षेत्र और चबंल कमाण्ड के कोटा, बूंदी व बारां जिलों में 14,143 हेक्टेयर कमाण्ड क्षेत्र, कुल 1.25 लाख हेक्टेयर
कमाण्ड क्षेत्र में पक्का खाला निर्माण कार्य  पूर्ण किया गया.
-चम्बल कमांड क्षेत्र कोटा, बूंदी एवं बारां के सिंचित क्षेत्र की दक्षता सुधार के लिए 414.37 किलोमीटर लंबाई में नहरों की लाइनिंग का कार्य पूर्ण किया गया.

भजनलाल सरकार अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत ही प्रदेश के हर जिलों को सिंचाई और पेयजल उपलब्ध कराने पर पूरा फोकस कर रही है और आगामी कुछ साल के दौरान कई जिलों की तस्वीर और लोगों की तकदीर भी बदलेगी. देखने वाली बात यह रहेगी कि सरकार की मॉनिटरिंग ही तय करेगी कि तय समय पर योजनाएं पूरी होनी चाहिए.