खांसी की दवा के "साइड इफेक्ट" को लेकर संवेदनशील RMSCL, अन्य कम्पनी की सिरप पर भी लगाई रोक, देखिए खास रिपोर्ट

खांसी की दवा के "साइड इफेक्ट" को लेकर संवेदनशील RMSCL, अन्य कम्पनी की सिरप पर भी लगाई रोक, देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः प्रदेश में बच्चों में खांसी की दवा के कारण साइड इफेक्ट के बढ़ते मामले और एक बच्चे की कथित मौत के बाद अब RMSCL प्रशासन ने विवादित "सॉल्ट" की अन्य कम्पनी की दवा को भी जांच के दायरे में ला दिया है. सरकारी की दवा सप्लाई कम्पनी RMSCL ने डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सीरप सप्लाईकर्ता एक अन्य कम्पनी के प्रोडेक्ट के वितरण को भी रोक दिया है. इसके साथ ही पूरे मामले की जांच के लिए हाईलेवल कमेटी का गठन भी किया गया है. 

बच्चों में खांसी की दवा के कारण साइड इफेक्ट के बढ़ते मामलों को लेकर RMSCL प्रशासन सवालों के घेरे में है. भरतपुर में बच्चों की तबीयत बिगड़ने का मामला थमा भी नहीं था कि सीकर, जयपुर, बांसवाड़ा में भी केस सामने आए. चिंता तब बढ़ गई, जब सीकर में एक बच्चे की मौत की बात भी सामने आई. एकसाथ इतने प्रकरण सामने आने के बाद RMSCL प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है. किसी भी विवाद से बचने के लिए RMSCL प्रशासन ने M/S KAYSONS PHARMA के बाद डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सीरपसप्लाईकर्ता एक अन्य कम्पनी के  प्रोडेक्ट के वितरण को भी रोक दिया है. इसके साथ ही पूरे मामले की जांच के लिए हाईलेवल कमेटी का गठन भी किया गया है.

1.33 से अधिक मरीजों को वितरित हो चुकी दवा
खांसी की दवा के "साइड इफेक्ट" को लेकर RMSCL प्रशासन का दावा
प्रशासन के मुताबिक दवा कम्पनी द्वारा इस वर्ष के क्रयादेश के तहत जून, 2025 से की जा रही आपूर्ति
अब तक 1 लाख 33 हजार से अधिक मरीजों को वितरित की जा चुकी है ये दवा
दावा ये कि 28 सितम्बर से पूर्व किसी भी जिले से नहीं आई एक भी शिकायत
इसके पश्चात कम्पनी को माह जुलाई, 2025 में फिर से दिया गया परचेज ऑर्डर
इस आदेश के तहत अब तक 31 हजार से अधिक मरीजों को यह दवा वितरित की जा चुकी है
प्रशासन के मुताबिक 28 सितम्बर को दवा के संबंध में पहली शिकायत मिली
ऐसे में आनन फानन में दवा सप्लाई पर रोक लगाते हुए उठाए ऐतियातन कदम
प्रकरण की जांच के लिए सैम्पल उठाने के साथ ही गठित की गई है तीन सदस्यीय कमेटी

इस घटनाक्रम को लेकर भले ही आरएमएससीएल प्रशासन खुद की प्रक्रिया को क्लीनचीट दे रहा हो, लेकिन दवा की क्वालिटी को लेकर सवाल उठना इसलिए लाजमी हो गया है क्योंकि मामला बच्चों से जुड़ा है. जिस तरह से दावा किया जा रहा है कि चार साल से कम उम्र के बच्चों को दवा दी गई, जिसके चलते उनकी तबीयत बिगड़ी तो सवाल ये भी उठता है कि क्या फील्ड में इस तरह की परम्परा पहली बार शुरू हुई है. क्योंकि काफी सालों से ये दवा कम्पनी फील्ड में सप्लाई कर रही है. हालांकि, अभी दवा के उठाए सैम्पलों की जांच रिपोर्ट आना बाकी है. ऐसे में अधिकारी भी खुलकर कुछ भी कहने से बच रहे है. 

RMSCL प्रशासन के तर्क खुद उठा रहे सवाल !
खांसी की दवा के "साइड इफेक्ट" को लेकर खबर
बच्चों की तबीयत बिगड़ने को लेकर प्रशासन का आया था तर्क
ड्रग अधिकारियों का तर्क यह कि दवा का किया गया गलत उपयोग
डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप चार साल से बड़े बच्चों के लिए है मान्य
FDA भी चार साल से छोटे बच्चों को ये दवा नहीं देने की करता है सिफारिश
आश्चर्य की बात ये कि केन्द्र सरकार भी 2021 में जारी कर चुकी गाइडलाइन
डीजीएचएस ने डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप को लेकर दिए थे निर्देश
चार साल से कम उम्र के बच्चों को यह सीरप नहीं देने के दिए गए थे निर्देश
चिंता की बात ये कि हाल ही में जो प्रकरण आए, उनमें अधिकांश बच्चे चार साल से कम उम्र के
ऐसे में इस संवेदनशील घटना ने पूरे सिस्टम पर खडे़ किए सवाल
सवाल ये कि राजस्थान में छोटी उम्र के बच्चों को कैसे दे दी गई यह दवा?
क्या चिकित्सकों के स्तर पर हुई लापरवाही या परिजनों की अनदेखी रही वजह ?
क्या इस प्रकरण में प्रशासन किसी भी तरह की चूक सामने आने पर लेगा सख्त एक्शन