जयपुर: राजस्थान विधानसभा का अमृत काल है.यहां की विधानसभा का स्वर्णिम इतिहास रहा है.इसी विधानसभा के दो सदस्य देश के उप राष्ट्रपति पद तक पहुंचे और लोकसभा राज्यसभा का नेतृत्व किया.राज्य की सबसे बड़ी पंचायत ने राजस्व सुधार, कृषि कानूनों और सामाजिक क्रान्ति की दिशा में अहम योगदान दिया.विधानसभा के पुराने और नए भवन का अलग अलग इतिहास है.75 वर्ष के दौर में विधानसभा आधुनिकरण की ओर बढ़ चुकी है और पेपर लैस बन गई.राजस्थान में विधानसभा का गठन भले ही मार्च 1952 में हुआ, लेकिन यहां के लोग राजशाही शासनकाल में भी संसदीय लोकतंत्र से परिचित थे.राजस्थान विधानसभा का पहली बार उद्घाटन 31 मार्च 1952 को हुआ था.उस दौर में विधानसभा सदस्यों की संख्या 160 थी.
विधानसभा का गठन और ऐतिहासिक तथ्य:
-अजमेर का विलय
-1956 में तत्कालीन अजमेर रियासत के राजस्थान में विलय के बाद 1957 में सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई दूसरी विधानसभा (1957-62) और तीसरी विधानसभा (1962-67) विधानसभाओं में सदस्य संख्या 176 थी. चौथी विधानसभा (1967-72) और पांचवीं विधानसभा (1972-77) विधानसभा में 184 सदस्य थे. छठी विधानसभा 1977-80 से सदस्य संख्या 200 हो गई जो अब तक जारी है.राजस्थान विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव अंतिम बार 1985 में तत्कालीन हरिदेव जोशी सरकार के खिलाफ लाया गया था.
-गहलोत लेकर आए थे अपनी सरकार के पक्ष में आखिरी बार विश्वास प्रस्ताव
-प्रदेश में अब तक 13 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है
-और आज समेत 5 बार विश्वास प्रस्ताव
-राजस्थान विधानसभा ने सती प्रथा को रोकने के लिए सती (निवारण) अधिनियम, 1987 पारित किया
यह ऐतिहासिक बिल था
-अधिनियम 4 सितंबर, 1987 को रूप कंवर सती कांड के बाद लागू किया गया था
सबसे पहले राजस्थान विधानसभा का पुराना भवन जयपुर के चारदीवारी क्षेत्र में स्थापित हुआ था.जिसे अब सवाई मान सिंह टाउन हॉल कहा जाता है, 1952 से 1990 के दशक तक यही राज्य का विधानसभा भवन रहा.आगे चलकर विधानसभा को सचिवालय के पास लाया गया.नया विधानसभा भवन देश की सबसे बड़ी
आधुनिक विधानसभा है.राजस्थान विधानसभा का वर्तमान नया भवन बिना किसी औपचारिक उद्घाटन समारोह के ही शुरू हो गया था.यह 25 फरवरी 2001 को तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर. नारायणन द्वारा उद्घाटन किया जाना था, लेकिन वे बीमारी के कारण नहीं आ सके, और तब से यह भवन बिना किसी औपचारिक उद्घाटन के ही कार्य कर रहा है.राजस्थान विधानसभा का वर्तमान नया भवन मार्च 2001 में बनकर तैयार हुआ था.इसका औपचारिक उद्घाटन 25 फरवरी 2001 को तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर. नारायणन द्वारा किया जाना था, लेकिन वे बीमारी के कारण नहीं आ सके, और तब से यह भवन बिना किसी औपचारिक उद्घाटन के ही कार्य कर रहा है.
जब यह नया भवन शुरू हुआ.राजस्थान विधानसभा के नए भवन की आधारशिला 12 नवंबर 1994 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव द्वारा रखी गई थी.इस नए भवन के निर्माण की पहल में उस समय के राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष हरिशंकर भाभड़ा का महत्वपूर्ण योगदान रहा.वे 1993 से 1998 तक राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष रहे थे.उनके कार्यकाल में ही इस महत्वाकांक्षी परियोजना को आगे बढ़ाया गया.जब नया भवन बना तो परसराम मदेरणा ने नए भवन के अध्यक्ष की बागडोर संभाली.11वीं विधानसभा का पाँचवाँ सत्र, 6 नवंबर 2000 को सवाई मान सिंह टाउन हॉल में आयोजित अंतिम सत्र था.इस परियोजना पर काम नवंबर 1994 में शुरू हुआ और मार्च 2001 में पूरा हुआ.
वर्तमान में, राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी हैं:
हाल ही में विधानसभा के कारपेट का रंग हरे से बदलकर गुलाबी कर दिया गया है. साथ ही, विधायकों के प्रवेश और निकास के लिए भी द्वार बदल दिए गए विधानसभा का इतिहास उसके अध्यक्षों के माध्यम से समझा जा सकता है, जो सदन की कार्यवाही और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का मार्गदर्शन करते आए हैं.
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष:
-नरोत्तम लाल जोशी
-राजस्थान विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष
-राम निवास मिर्धा
-मिर्धा ने दो बार अध्यक्ष का पद संभाला
-मिर्धा दस वर्षों की अवधि तक सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहे हैं
-निरंजन नाथ आचार्य
-राम किशोर व्यास
-लक्ष्मण सिंह गोपाल सिंह
-पूनम चन्द विश्नोई
-हीरा लाल देवपुरा
-गिरिराज प्रसाद तिवाड़ी
-हरिशंकर भाभड़ा
-शांति लाल चपलोत
-समरथ लाल मीणा
-परसराम मदेरणा
-सुमित्रा सिंह
-सुमित्रा सिंह राजस्थान विधानसभा की पहली महिला अध्यक्ष रही
-दीपेन्द्र सिंह शेखावत
-कैलाश चन्द्र मेघवाल
-डॉ सीपी जोशी
-वासुदेव देवनानी
वर्तमान अध्यक्ष है वासुदेव देवनानी:
पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान विधानसभा में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कभी भी 15% से अधिक नहीं रहा. 2018 में, 24 महिलाएँ विधानसभा के लिए चुनी गईं; 16 वीं विधानसभा में यह संख्या घटकर 20 रह गई.2018 में, निर्वाचित सदस्यों में से 48% मतलब 200 में से 95 विधायक 55 वर्ष से अधिक आयु के थे.नई विधानसभा में यह अनुपात मामूली रूप से कम हुआ है करीब 46 प्रतिशत.मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी नवाचारों के लिए चर्चित है.चाहे कारगिल शौर्य वाटिका हो या फिर पेपर लेस विधानसभा.डिजिटल अटेंडेंस और हर विधायक की सीट पर आई पैड लगाना बड़ी पहल रही देवनानी की.राजस्थान विधानसभा ने अनेकों गुणी नेता दिए.भैरों सिंह शेखावत विधायक रहे और देश के उप राष्ट्रपति पद तक पहुंचे.जगदीप धनखड़ भी राजस्थान विधानसभा के विधायक रहे और उप राष्ट्रपति पद तक पहुंचे.लोकसभा के मौजूदा अध्यक्ष ओम बिरला भी राजस्थान विधानसभा के विधायक रहे थे.अपने 75सालों के दौर में राजस्थान विधानसभा का ऐसा इतिहास है जो कुछ शब्दों में पूरा नहीं हो सकता.