VIDEO: अवैध रूप से निर्मित किसी भी भवन में नहीं दिए जाएंगे लाइसेंस, नगरीय विकास विभाग व स्वायत्त शासन विभाग ने दिए आदेश, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: प्रदेश में नियमों के तहत भवन निर्माण को बढ़ावा देने और अवैध भवनों के निर्माण पर लगाम कसने के लिहाज से नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग ने  महत्वपूर्ण आदेश जारी किए हैं. ये आदेश सुप्रीम कोर्ट के एक मामले में दिए गए निर्देशों के तहत जारी किए गए हैं. 

सुप्रीम कोर्ट ने राजेन्द्र कुमार बड़जात्या व अन्य बनाम यूपी आवास एवं विकास परिषद व अन्य के मामले में अवैध निर्माण और उसके खिलाफ कार्रवाइ को लेकर कई निर्देश दिए है. इन्हीं निर्देशों के तहत नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग ने संयुक्त रूप से प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरण, आवासन मंडल, नगर सुधार न्यास, नगर निगम,नगर परिषद और नगर पालिका को आदेश जारी किया गया है. स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख सचिव राजेश यादव और नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव वैभव गालरिया की ओर से जारी इस संयुक्त आदेश के महत्वपूर्ण बिंदुओं की आपको जानकारी देते हैं.

अवैध रूप से निर्मित किसी भी भवन में नहीं दिए जाएंगे लाईसेंस
किसी भी अवैध आवासीय या व्यावसायिक भवन में किसी भी व्यवसाय के लिए नहीं दिए जा सकेंगे लाईसेंस
राज्य सरकार का कोई भी विभाग जारी नहीं कर सकेगा लाईसेंस
निकायों की ओर से ट्रेड लाईसेंस,विवाह स्थलों के संचालन के लिए लाईसेंस
खाद्य विभाग की ओर से फूड लाईसेंस और
आबकारी विभाग की ओर से बार लाईसेंस आदि दिए जाते हैं
लाईसेंस देते समय में अब तक नहीं देखा गया कि भवन वैध है या अवैध
एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश भर हजारों की तादाद में हैं ऐसे भवन
जिनके निर्माण की निकाय से अनुमति नहीं अथवा
अनुमोदित नक्शे के अनुसार नहीं किया गया है निर्माण
ऐसे छोटे-बड़े भवनों में चल रही बड़े पैमाने पर व्यावसायिक गतिविधियां
जिनके लिए विभिन्न विभागों की ओर से जारी किए गए हैं लाईसेंस
मकान या दुकान खरीदने के लिए बैंक तभी देंगे ऋण
जब भवन का पूर्णता/अधिवास प्रमाण पत्र किया जाएगा प्रस्तुत
बिना पूर्णता/अधिवास प्रमाण पत्र के बैंक/वित्तीय संस्था नहीं दे सकेंगे ऋण
ये आदेश जारी करने का मकसद यही है कि नियमों तहत निर्मित भवन के मकान,
दुकान या अन्य संपत्ति की खरीद के लिए ही बैंक/वित्तीय संस्था दे ऋण
ताकि अवैध भवनों के निर्माण को किया जाए हतोत्साहित
बिना पूर्णता/अधिवास प्रमाण पत्र लिए नहीं बिल्डर नहीं दे सकेंगे कब्जा
भवन में निर्मित मकान,दुकान या अन्य इकाई का नहीं दे सकेंगे कब्जा
निकायों से यह प्रमाण पत्र लेने के बाद ही आवंटी को दे सकेंगे कब्जा
जब भी निकाय भवन निर्माण के लिए जारी करेंगे नक्शा
अनुमोदित नक्शा जारी करते समय आवेदक से ली जाएगी अंडरटेकिंग
पूर्णता/अधिवास प्रमाण पत्र लेने के बाद ही आवंटियों को कब्जा देने की अंडरटेकिंग
इसकी अवहेलना करने पर संबंधित बिल्डर/आवेदक के खिलाफ होगी कार्रवाई

व्यवसाय या व्यापार के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों की ओर से लाईसेंस दिया जाते हैं. अधिकतर लाईसेंसों का नवीनीकरण हर वर्ष किए जाने का प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत जारी इस आदेश की अगर पालना की गई तो प्रदेश में बड़े पैमाने पर अवैध भवनों में चल रही व्यावसायिक/व्यापारिक गतिविधियों का नवीनीकरण नहीं किया जा सकेगा. इसी तरह पूर्णता प्रमाण पत्र और अधिवास प्रमाण पत्र लेने का प्रावधान पहले से ही प्रदेश में लागू भवन विनियमों में हैं. इनके अनुसार भवन का निर्माण पूरा होने के बाद पूर्णता प्रमाण पत्र लेना और उसमें रहवास होने के बाद अधिवास प्रमाण पत्र लेना बिल्डर के लिए अनिवार्य है. इस आदेश में ऋण देने वाले बैंक और भवन निर्माण करने वाले बिल्डर दोनों को पाबंद किया गया है. नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग की ओर से जारी इस आदेश में नियमों के तहत ही भवन निर्माण करने और भवन निर्माण की नियमित मॉनिटरिंग के भी प्रावधान किए गए हैं.

निकाय के जिम्मेदार अधिकारी जारी करेंगे भवन का पूर्णता/अधिवास प्रमाण पत्र
भवन का व्यक्तिगत निरीक्षण करने और पूरी जांच के बाद करेंगे जारी
अनुमोदित नक्शे के अनुसार अगर भवन का निर्माण नहीं किया गया है तो
प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को कर दिया जाएगा स्थगित
जब तक कि भवन में पूरी तरह से नहीं हो नक्शे के अनुसार निर्माण
प्रमाण पत्र जारी करने के बाद भवन में कोई अवैध निर्माण आता है सामने तो
निर्माणकर्ता के खिलाफ तो कार्रवाई की जाए साथ ही की जाए विभागीय कार्यवाही
प्रमाण पत्र जारी करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही
जिस भवन का पूर्णता/अधिवास प्रमाण पत्र नहीं होगा जारी
उस भवन के बिजली,पानी व सीवरेज कनेक्शन नहीं दिए जाएंगे
निकाय की ओर से ये प्रमाण पत्र जारी करने के बाद ही होगा संभव
भवन के बिजली,पानी व सीवरेज आदि कनेक्शन देना होगा संभव
नगरीय विकास विभाग व स्वायत्त शासन विभाग ने दिए आदेश
दोनों विभागों ने संयुक्त रूप से सभी निकायों को दिए आदेश
एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिए निर्देशों के तहत जारी किए आदेश
मास्टर/जोनल प्लान में दर्शाए लैंड यूज के अनुसार दी जाए स्वीकृति
प्लान में किसी प्रकार का बदलाव जनहित में और
पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए किया जाए
अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई में अगर मांगा जाता है सहयोग
किसी निकाय द्वारा दूसरी एजेंसी से मांगा जाता है सहयोग तो
तत्काल एजेंसी की ओर से सहयोग कराया जाएगा उपलब्ध
ऐसा नहीं करने पर जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ की जाएगी कार्यवाही
अदालती आदेशों की ईमानदारी से करनी होगी पालना
ऐसा नहीं करने पर मामले को लिया जाएगा गंभीरता से
और जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ की जाएगी सख्त कार्यवाही
निर्माणकर्ता को भवन निर्माण स्थल पर करना होगा प्रदर्शित
अनुमोदित भवन मानचित्र करना होगा प्रदर्शित
संबंधित अधिकारी समय-समय पर निर्माण स्थल का करेंगे निरीक्षण
और निरीक्षण को निकाय के रिकॉर्ड में किया जाएगा शामिल

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